एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण, युवाओं ने देखा धानक्या स्थित स्मारक

एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण, युवाओं ने देखा धानक्या स्थित स्मारक

एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण, युवाओं ने देखा धानक्या स्थित स्मारकएकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण, युवाओं ने देखा धानक्या स्थित स्मारक

जयपुर। रविवार (28 अप्रैल, 2024) को जयपुर के विभिन्न सामाजिक समूहों मनसंचार, यूथ पल्स, यू थिंक, विचार शक्ति, विचार अमृत, इग्नाइट थॉट्स और सोशल थिंकर्स के लगभग 50 युवक युवतियों ने ग्राम धानक्या स्थित दीनदयाल राष्ट्रीय स्मारक का भ्रमण किया व एकात्म मानव दर्शन विषय पर आयोजित संवाद सत्र में भाग लिया। 

कार्यक्रम की संयोजक डॉ. गायत्री जेफ ने बताया कि जयपुर व आसपास के क्षेत्रों के ये समूह प्रतिमाह कोई न कोई सामाजिक गतिविधि करते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष अप्रैल में पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा दिए गए एकात्म मानव दर्शन के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सभी समूहों ने पंडित जी के जीवन व उनके द्वारा दिए गए इस दर्शन को जानने हेतु यह कार्यक्रम रखा। धानक्या वह स्थान है जहां महान दार्शनिक पंडित दीनदयाल उपाध्याय का बचपन बीता। 

व्यक्ति नहीं विचार थे पंडित जी 

एकात्म मानव दर्शन पर आयोजित संवाद सत्र में विशेषज्ञ के रूप में डॉ. सुभाष कौशिक व एडवोकेट देवेश बंसल उपस्थित थे। उन्होंने युवाओं से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि भारत की चिति यानी ह्रदय में एकात्मता है। यहाँ किसी में कोई भेद नहीं है, व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से राष्ट्र और इस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड परस्पर पूरक एवं सहायक है। इस प्रकार साम्यवाद व पूंजीवाद से परे भारत का एकात्म मानव दर्शन इस विचार पर बल देता है कि अकेले व्यक्ति के विकास से विकास संभव नहीं है। भारत ने हमेशा ही चराचर जगत की चिंता की है।

मनोज कुमार ने युवाओं से वार्ता करते हुए कहा कि यह वही विचार है, जो आदिगुरु शंकराचार्य ने अद्वैत के माध्यम से समझाया था व महर्षि अरविन्द ने जिसकी आध्यात्मिक व्याख्या की थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने उसी को सरल रूप में समाज के सामने प्रस्तुत किया। राजनीति में किस प्रकार एकात्मता का ध्यान रखना चाहिए यह भी उन्होंने बताया। उन्होंने कहा, वास्तव में पंडित जी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार थे। विचार जिसमें हमेशा व्यष्टि से परमेष्टि तक का चिंतन रहा। 

संग्रहालय देखकर जानी जीवन की व्यापकता 

युवाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जिस स्थान पर पंडित जी अपने नाना नानी के साथ रहते थे, उस रेलवे क़्वार्टर में उनके बचपन से जुड़े दृश्य, साहसिक कार्य, प्रमाण पत्र देखकर ऐसा लगा जैसे उनका बचपन सजीव हो उठा हो। चार मंजिला संग्रहालय में पंडित जी के जीवन को समग्रता से दर्शाया गया है। समूह की एक सदस्य मोनिका ने कहा कि वहां लगी प्रदर्शनियों से पता चला कि वे पढ़ाई में इतने उत्कर्ष थे कि उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई स्कॉलरशिप से पूरी की। विद्यालय में प्रथम आना, यूनिवर्सिटी में गोल्ड मैडल मिलना, देश की सर्वोच्च परीक्षाएं पास करना व उसके बाद भी देश के लिए ऐसा समर्पण कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश पर न्यौछावर कर दिया। पत्रकार, चिंतक, लेखक और महान दार्शनिक; एक व्यक्ति के जीवन के कितने पहलू हो सकते हैं यह वहां  जाकर जाना। संग्रहालय में तकनीकी कुशलता व कलात्मकता का उपयोग करते हुए उनके जीवन व दर्शन दोनों को दिखाया गया है।

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