आचार्य सुनील सागर ने किया अढ़ाई दिन के झोपड़े में विहार, कहा धर्म मिलकर रहना सिखाता है

आचार्य सुनील सागर ने किया अढ़ाई दिन के झोपड़े में विहार, कहा धर्म मिलकर रहना सिखाता है

आचार्य सुनील सागर ने किया अढ़ाई दिन के झोपड़े में विहार, कहा धर्म मिलकर रहना सिखाता हैआचार्य सुनील सागर ने किया अढ़ाई दिन के झोपड़े में विहार, कहा धर्म मिलकर रहना सिखाता है

अजमेर। आचार्य सुनील सागर जी महाराज मंगलवार (7 मई, 2024) को प्रात:काल नसियां जी से ढाई दिन का झोपड़ा सांस्कृतिक धरोहर को देखने के लिए अपने 41 पिछी ससंघ एवं विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं के साथ विहार पर निकले। वे दिल्ली गेट, दरगाह बाजार होते हुए ढाई दिन का झोपड़ा स्थल पर पहुंचे। स्थानीय लोगों ने उन्हें रोकने का प्रयास यह कहते हुए किया, कि जैन मुनि बिना कपड़े पहने मस्जिद में प्रवेश नहीं कर सकते। भिक्षुओं ने तर्क दिया कि ऐसे ही रहना और अढ़ाई दिन के झोपड़े में जाना उनका अधिकार है। जैन संतों और उनके अनुयायियों ने अपनी यात्रा के दौरान मस्जिद के केंद्रीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया। मुनि सुनील सागर ने वहॉं प्रवचन करते हुए कहा, “इतिहास साक्षी है कि किस प्रकार से हमारे पूर्वजों ने धर्म संस्कृति को बनाए रखा। इतिहास के पन्नों को टटोला जाए तो हमारी पौराणिक संस्कृति हमारे इतिहास का परिचय दे देगी। संस्कृत पाठशाला एवं मंदिर के पौराणिक अवशेष के संकेत यहॉं आज भी दिखते हैं।”

उन्होंने कहा, “सभी की भावनाओं’ का सत्कार बना रहना चाहिए क्योंकि भगवान ने सबके कल्याण की बात कही है, भक्तिभाव एवं आपसी प्रेम की बात कही है। महावीर कहते हैं जियो और जीने दो। रामचरित मानस में कहा गया है- परहित सरिस धर्म नहिं भाई, ऐसे में हम सबसे पहले देश को रखें। बाद में धर्म और समाज जैसी चीजें हैं। एक बात समझ लें, कि धर्म लड़ना नहीं सिखाते हैं। फिर भी जो स्थितियां हैं वो सबके सामने हैं। जिनकी जो वस्तु है, चीजें हैं वो उनके अधिकार में होनी चाहिए। धर्म मिलकर रहना सिखाता है।”
इस अवसर पर जैन समाज के विनीत जैन, सुनील जैन, प्रदीप पाटनी आदि उपस्थित थे।

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