अजमेर में जहॉं आज दरगाह है, वहॉं था महादेव मंदिर, कोर्ट में याचिका दायर

अजमेर में जहॉं आज दरगाह है, वहॉं था महादेव मंदिर, कोर्ट में याचिका दायर

अजमेर में जहॉं आज दरगाह है, वहॉं था महादेव मंदिर, कोर्ट में याचिका दायरअजमेर में जहॉं आज दरगाह है, वहॉं था महादेव मंदिर, कोर्ट में याचिका दायर

अजमेर। अजमेर जिला न्यायालय में मंगलवार 24 सितंबर को हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से एक दीवानी वाद दायर किया गया, जिसमें दावा किया गया है कि राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित दरगाह एक शिव मंदिर है, इसलिए इसे भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाना चाहिए। वादी पक्ष ने न्यायालय से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मंदिर के अस्तित्व की जांच के लिए सर्वे कराने की प्रार्थना की है।  

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रमेश कुमार सिंह ने 750 वर्ष पुराने मंदिर की उपस्थिति को सत्यापित करने के लिए तथ्यों को प्रस्तुत किया। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि वर्तमान में जहॉं दरगाह है, उस विस्तारित क्षेत्र का सर्वेक्षण कर मंदिर की स्थिति की पुष्टि की जाए और परिसर पर किए गए अनधिकृत और अवैध कब्जे को हटाया जाए।

वादी विष्णु गुप्ता का दावा है कि दरगाह परिसर में एक प्राचीन हिन्दू मंदिर उपस्थित है, जिसे समय के साथ दबा दिया गया या दरगाह की संरचना का भाग बना दिया गया। इस मामले को लेकर अजमेर शहर में चर्चा का वातावरण बना हुआ है।  

न्यायालय ने इस वाद को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई के लिए 25 सितम्बर की दिनांक तय की थी। साथ ही, एएसआई सर्वे कराने की मांग पर भी 25 सितंबर को न्यायालय का निर्णय आने की संभावना थी। अब अगली सुनवाई की दिनांक 10 अक्टूबर निर्धारित की गई है। 

वादी पक्ष ने ऐतिहासिक तथ्यों और पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर मंदिर की उपस्थिति का दावा किया है। वहीं, मुसलमानों का कहना है कि यह दावा ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करने का प्रयास है। इससे धार्मिक सौहार्द बिगड़ सकता है। 

क्यों है हिन्दू मंदिर?

विष्णु गुप्ता द्वारा दायर प्रकरण में दावा किया गया है कि मुख्य प्रवेश द्वार पर छत का डिजाइन हिन्दू संरचना जैसा दिखता है, जो दर्शाता है कि यह स्थल मूल रूप से एक मंदिर था। छतरियों की सामग्री और शैली स्पष्ट रूप से उनके हिन्दू मूल को दर्शाती है। उनकी उत्कृष्ट नक्काशी दुर्भाग्य से रंग और सफेदी के कारण छिपी हुई है, इसे हटाने के बाद इसकी वास्तविक पहचान और वास्तविकता उजागर हो सकती है।

याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जो दर्शाता हो कि अजमेर दरगाह रिक्त भूमि पर बनाई गई थी। इसके स्थान पर, ऐतिहासिक विवरण बताते हैं कि इस स्थल पर महादेव मंदिर और जैन मंदिर थे, जहाँ हिन्दू भक्त अपने देवताओं की पूजा करते थे।

हिन्दू सेना से पहले महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने दरगाह में हिन्दू मंदिर होने का दावा किया था। इसके बाद फरवरी में वीर हिन्दू आर्मी ने भी ऐसा ही दावा किया था।

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