फिर सामने आया अल जजीरा का हमास कनेक्शन
फिर सामने आया अल जजीरा का हमास कनेक्शन
कहने को तो अल जजीरा एक समाचार चैनल है, जो विभिन्न देशों में अरबी और इंग्लिश में समाचार, विश्लेषण, वृत्त चित्र और टॉक शो आदि प्रसारित करता है, लेकिन इसके पत्रकारों का हमास कनेक्शन इसे विवादास्पद बनाता है। पत्रकारिता में संस्थान व पत्रकार से निष्पक्ष होने की अपेक्षा की जाती है। लेकिन यदि किसी मीडिया नेटवर्क के पत्रकार पर किसी आतंकी संगठन द्वारा अपहृत किए निर्दोष नागरिकों को अपने घर में बंधक बनाकर रखने या उसका कमांडो होने के आरोप लगें, तो उसे आप क्या कहेंगे। दोहा में मुख्यालय वाले अल जजीरा पर ऐसे आरोप अब नए नहीं रहे।
पिछले दिनों (8 जून) इजरायली सुरक्षा बलों ने गाजा के नुसीरत में एक कार्रवाई कर चार बंधकों- 25 वर्षीय नोआ आर्गमनी, 21 वर्षीय अल्माग मेयर जेन, 27 वर्षीय एंड्री कोजलोव और 40 वर्षीय शलोमी को मुक्त करवाया। इन्हीं में से एक लड़की नोआ आर्गमनी जिस मकान से छुड़वाई गई, पता चला गाजा स्थित वह मकान एक पत्रकार का है, जिसका नाम अब्दुल्ला अल जमाल है। अब्दुल्ला अल जमाल अल जजीरा और फिलिस्तीन क्रॉनिकल के लिए पत्रकार के तौर पर काम करता था। इस बात का खुलासा इस्लामी आतंकवादी संगठन हमास के ही एक सदस्य रामी अब्दु ने किया जो यूरोप में रहता है। अब्दु मानवाधिकार निगरानी संस्था यूरो मेड का भी सदस्य है। उसने एक्स पर लिखी पोस्ट में बताया कि यह 36 वर्ष का पत्रकार अब्दुल्ला अल जमाल नुसीरत में हुई बंधकों को मुक्त करवाने की कार्रवाई में मारा जा चुका है। इसकी पत्नी फातिमा का नाम भी मरने वालों की सूची में है।
उल्लेखनीय है, नोआ ही वह लड़की है, जिसे म्यूजिक फेस्टिवल से अपहृत किया गया था और वह जबरन बाइक पर बैठाए जाते समय बोल रही थी- डोंट किल मी। उसका यह वीडियो बहुत वायरल हुआ था। मुक्ति के बाद नोआ की इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात कराई गई। इन सभी को 7 अक्टूबर, 2023 को हमास लड़ाकों ने इजरायल से अगवा कर गाजा में बंधक बना रखा था।
अलजजीरा के हमास समर्थक अन्य पत्रकार
इसी वर्ष फरवरी माह में अल जजीरा के एक बड़े पत्रकार मोहम्मद वाशाह पर आंतकवादी होने का आरोप लग चुका है। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) के अरबी भाषा के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल अविचाई अद्राई ने लैपटॉप से प्राप्त सबूतों के आधार पर खुलासा किया था कि फिलिस्तीनी पत्रकार मोहम्मद वाशाह जो कि अल जजीरा में काम करता है, हमास की सैन्य विंग में एक वरिष्ठ कमांडर भी है।
लैपटॉप से पता चला कि वाशाह हमास की टैंक रोधी मिसाइल यूनिट में ‘प्रमुख कमांडर’ था। वह 2022 के अंत से आतंकवादी संगठन हमास की एयर यूनिट के लिए रिसर्च और डवलपमेंट का काम कर रहा था।
इसी तरह जनवरी माह में भी गाजा के राफा में इजरायली हवाई हमले में मारे गए अल जजीरा के दो पत्रकारों पर आईडीएफ ने हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े होने का आरोप लगाया था। इससे पहले अल जजीरा के काबुल ब्यूरो प्रमुख समीर अल्लावी पर भी हमास से सम्बंध के आरोप लग चुके हैं।
क्या है अल जजीरा
अल जज़ीरा की शुरुआत कतर की राजधानी दोहा में समाचार एवं समसामयिक घटनाओं को दिखाने वाले अरबी भाषा के एक उपग्रह चैनल के रूप में 1 नवम्बर 1996 में हुई थी। उससे पहले वहॉं बीबीसी का अरबी चैनल काम करता था। लेकिन सऊदी राजघराने पर कोई विवादास्पद रिपोर्ट प्रसारित करने पर उसकी वह यूनिट बंद कर दी गई और इस घटना के तुरन्त बाद यानि नवम्बर 1996 में ही अल जज़ीरा चैनल की शुरुआत कर दी गयी। चैनल मुख्य रूप से अरबी में है लेकिन नवम्बर 2006 में इसका अंग्रेजी चैनल भी शुरू कर दिया गया।
आज विश्व के 140 देशों में अल जज़ीरा देखा जाता है और 27 करोड़ घरों तक इसकी पहुँच है। अल जज़ीरा के पूरी दुनिया में 70 ब्यूरो कार्यालय हैं, कई दर्जन पत्रकार दुनियाभर से अल जज़ीरा के लिए रिपोर्टिंग करते हैं। इसे अलकायदा और हमास का माउथपीस भी कहा जाता है। अल जजीरा पूरी तरह से इस्लामवादी मीडिया हाउस है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अल जजीरा को ‘टेररिस्ट चैनल’ करार दिया है।
उन्होंने इजराइल में अल जजीरा को बैन करने से पहले एक्स पर की गई पोस्ट में लिखा कि ‘अल जज़ीरा ने इजराइल की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाया। 7 अक्टूबर के नरसंहार में सक्रिय रूप से भाग लिया। अब समय आ गया है कि हमारे देश से इसे हटाया जाए।’ उन्होंने आगे लिखा कि ‘आतंकवादी चैनल अल-जजीरा अब इजराइल से प्रसारित नहीं होगा। मैं चैनल की गतिविधि को रोकने के लिए नए कानून के अनुसार तुरंत कार्रवाई करने का इरादा रखता हूं।’ उन्होंने लिखा है कि ‘मैं संचार मंत्री श्लोमो कराई द्वारा प्रचारित कानून का स्वागत करता हूं।
IDF ने भी कतर के सरकारी स्वामित्व वाले टेलीविजन समाचार नेटवर्क अल जजीरा पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘Hey अल जजीरा, हमें लगता है कि आपके पत्रकारों को स्थितियों पर निष्पक्ष रिपोर्ट देनी चाहिए, न कि उन्हें हमास के आतंकवादियों के रूप में अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।’
अल जजीरा पर 2015 में भारत में भी पांच टेलीकास्ट दिनों के लिए प्रतिबंधित लग चुका है। तब अल जजीरा ने POK को पाकिस्तान का हिस्सा बताया था और भारत के नक्शे को बार बार गलत दिखा रहा था। कुछ नक्शों में पाक अधिकृत कश्मीर एवं अक्साई चिन को भारत से अलग दिखाया था। लक्षद्वीप एवं अंडमान द्वीप के कुछ क्षेत्र भी नक्शों में नहीं थे। इस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने चैनल पर 5 दिन का बैन लगा दिया था।
इसके अलावा अल जजीरा की एक डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : हू लिट द फ्यूज’ को पिछले वर्ष यानि 2023 में इलाहबाद हाईकोर्ट ने बैन कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
क्या है हमास
हमास का पूरा नाम है हरकत अल-मुक़ावमा अल-इस्लामिया। इसे इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन भी कहा जाता है। हमास का गठन 1987 में मिस्र तथा फ़िलीस्तीन के मुसलमानों ने मिलकर किया था, जिसका उद्धेश्य क्षेत्र में इजरायली प्रशासन के स्थान पर इस्लामिक शासन की स्थापना करना था। 1993 में किए गए पहले आत्मघाती हमले के बाद से लेकर 2005 तक हमास ने इज़राइल में कई आत्मघाती हमले किए। 2006 से गाज़ा से इजराइली क्षेत्रों में रॉकेट हमलों का क्रम आरम्भ हुआ, जिसके लिए हमास को उत्तरदायी माना जाता है।