अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने का षड्यंत्र, रियासी के शिव मंदिर में तोड़फोड़
अमरनाथ यात्रा को प्रभावित करने का षड्यंत्र, रियासी के शिव मंदिर में तोड़फोड़
रियासी। अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है। आतंकियों की इस पर बुरी नजर है, इसीलिए वे बार बार वातावरण अशांत करने का प्रयास कर रहे हैं। रियासी में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला करने के बाद उन्होंने रियासी जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर धर्ममाड़ी में एक शिव मंदिर को भी निशाना बनाया। अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू हुई और 29-30 जून की रात को ही आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के धर्ममाड़ी में स्थित शिव मंदिर में तोड़ फोड़ की। घटना की तस्वीरें और वीडियो कुछ ही समय में वायरल हो गए। इस के बाद पूरे जम्मू में तनाव फैल गया और रियासी में बंद की घोषणा कर दी गई।
हिन्दू संगठन के लोगों ने किया विरोध
मंदिर में शिवलिंग को नुकसान पहुंचाने, पूजा-पाठ के सामान को बेतरतीब ढंग से फेंकने और दीवारों पर लगे चित्रों को जमीन पर गिराने की इस घटना से आक्रोशित हिन्दुओं ने रात को ही श्री सनातन धर्म सभा के नेतृत्व में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। हिन्दू संगठनों ने स्थानीय जनाना पार्क से रोष रैली निकाली और प्रदर्शन करते हुए डीसी आवास के बाहर पहुंचकर मुख्य सड़क को अवरुद्ध कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। साथ ही डीसी विशेष पाल महाजन से उनके आवास के बाहर मिलकर इस मामले पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
उल्लेखनीय है कि 29 जून से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जम्मू के रास्ते अमरनाथ पहुँच रहे हैं। ऐसे में जम्मू के रियासी में हुई इस घटना को अमरनाथ यात्रा में व्यवधान डालने व इस दौरान साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का षड्यंत्र माना जा रहा है। घटना के विरोध में रियासी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय में भी एक बैठक हुई। इस बीच, पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है और मामले में जल्द खुलासे का भरोसा भी दिया है।
पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं
प्रदर्शनकारियों ने डीसी को बताया कि रियासी में इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। कुछ घटनाओं के दोषियों का आज तक पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई है। डीसी ने प्रदर्शनकारियों को शांत करते हुए कहा कि आज ही श्री अमरनाथ यात्रा शुरू हुई है। देश विरोधी व आतंकी तत्वों का जब किसी और जगह वश नहीं चला तो उन्होंने षड्यंत्र के अंतर्गत यहां इस तरह की घटना को अंजाम दिया है। उन्होंने कहा कि रियासी में ट्रेन भी पहुंच गई है। इसके अलावा विकास के मामले में भी रियासी आगे बढ़ रहा है। यह सब देश विरोधी और असामाजिक तत्वों को रास नहीं आ रहा है।
खतरे के बावजूद श्रद्धालुओं का आना जारी
आतंकी हमलों के खतरे की आशंकाओं के बीच भी श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर निकल पड़े हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर से एक श्रद्धालु धर्मपाल पिछले 16 दिन की पैदल यात्रा करके पहलगाम पहुंच गये हैं। धर्मपाल ने 10 जून को अपनी यात्रा शुरू की थी। वे प्रतिदिन 45-50 किलोमीटर चलते हैं और अब अगले एक महीने तक भगवान के भक्तों की सेवा में लगे रहेंगे।
सुरक्षा बल कर रहे मॉक ड्रिल
जम्मू कश्मीर पुलिस के अनुसार, पिछले 1 महीने से सभी सुरक्षा बल मिलकर ऐसी किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल कर रहे हैं।
1990 से 2017 तक अमरनाथ यात्रा पर हुए 36 आतंकी हमले
अमरनाथ यात्रा पर पहला हमला वर्ष 1993 में हुआ था। तबसे लेकर 2017 तक अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकी हमले हो चुके हैं, जिनमें 65 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। कुछ प्रमुख हमले इस प्रकार हैं-
1993: 2 अगस्त को, आतंकवादियों ने पहलगाम में तीर्थयात्रियों के एक समूह पर हमला किया, जिसमें कई लोग मारे गए।
1994 : इस हमले में दो अमरनाथ यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
1995 : इस वर्ष अमरनाथ यात्रियों पर तीन हमले हुए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।
1996 : इस वर्ष दो हमले हुए, लेकिन जान-माल की हानि नहीं हुई।
2000: 1 अगस्त को, पहलगाम में अमरनाथ यात्रियों पर एक बड़े हमले में लगभग 30 तीर्थयात्री मारे गए और 60 से अधिक घायल हुए।
2001: 20 जुलाई को, आतंकवादियों ने शेषनाग बेस कैंप पर हमला किया, जिसमें 13 लोग मारे गए।
2002: 30 जुलाई को आतंकियों ने श्रीनगर में अमरनाथ यात्रा के लिए जा रहे श्रद्धालुओं की प्राइवेट टैक्सी पर हमला किया। इस हमले में दो यात्रियों की मौत हो गई और दो लोग घायल हुए।
2002: 6 अगस्त को पहलगाम के ननवान कैंप के पास लश्कर के आतंकियों ने ग्रेनेड फेंका और गोलीबारी की। इस हमले में 9 लोगों की मौत हुई और 27 लोग घायल हुए।
2006 : इस वर्ष फिर आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया और श्रद्धालुओं से भरी बस पर ग्रेनेड फेंका, जिसमें एक श्रद्धालु की मौत हो गई।
2017: 11 वर्षों की शांति के बाद इस वर्ष 10 जुलाई को अनंतनाग जिले में अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला किया गया, जिसमें 7 तीर्थयात्री मारे गए और 19 घायल हुए।
2017 के बाद से एक भी आतंकी हमला नहीं हुआ। भारतीय सेना ने ऑपरेशन ऑल आउट के चलते आतंकियों को चुन-चुन कर मारा।