उदयपुर में हुआ अपराजिता नृत्य नाटिका का मंचन, दर्शक हुए भावविभोर
उदयपुर में हुआ अपराजिता नृत्य नाटिका का मंचन, दर्शक हुए भावविभोर
उदयपुर। राजस्थान लोक विरासत संप महोत्सव के अंतर्गत शुक्रवार को उदयपुर में अपराजिता नृत्य नाटिका का भव्य मंचन बागौर की हवेली में किया गया। इस विशेष प्रस्तुति में धरती, आकाश, पवन, अग्नि और जल जैसे पंचतत्वों के माध्यम से मातृभूमि के लिए सर्वस्व समर्पण का भाव दर्शाया गया। यह नाटिका महिला शक्ति, सृजन एवं सामाजिक बंधुत्व का प्रकटीकरण एवं मेवाड़ की नायिकाओं व वीरांगनाओं का गौरवगान करने वाली थी। नाटिका के दौरान हाड़ी रानी, पन्नाधाय व मीरा के चरित्र जैसे जीवंत हो उठे। नृत्य-नाटिका का मंचन प्रसिद्ध निर्देशिका सृष्टि पंड्या के निर्देशन में हुआ। हाड़ी रानी की भूमिका अंजना कंवर राव, सखी की भूमिका भाविका कंवर, पद्मिनी की भूमिका सृष्टि पांडे, पन्नाधाय की भूमिका उपासना कंवर और अन्य सखियों की प्रभावी भूमिकाएं प्रदी और उर्मिला ने निभाईं। कलाकारों के अभिनय ने उपस्थित जनों को भावविभोर कर दिया। मीरा के रूप में रुद्राक्षी चतुर्वेदी और सृष्टि पांडे की प्रस्तुति ने विशेष रूप से आकर्षित किया। नाटिका का संगीत और कथोपकथन सृष्टि पांडे और अंजना राव द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जनार्दन राय नागर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से राजस्थान ही नहीं पूरे देश की विविधता से ओतप्रोत लोक संस्कृति को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। कमलीराम मीणा, कला मर्मज्ञ दीपक दीक्षित ने महोत्सव को सारगर्भित बताया। शेरु खां एवं दल ने लोकगीतों व लोकवाद्यों की अभिनव प्रस्तुति दी।
जनजाति संस्कृति को दर्शाती पोशाकों का जीवंत प्रदर्शन
सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एंड डिजाइननिंग की हेड डॉ. डॉली मोगरा के निर्देशन में हुआ। जिसे स्थानीय दर्शक ही नहीं पर्यटकों ने भी सराहा। कार्यक्रम संयोजक डॉ. शिवदान सिंह जोलावास ने अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा रखी।
महोत्सव के दौरान कला वीथि में राजस्थान के जनजातीय कला, संस्कृति और सृजनात्मकता को समेटे चित्रों व सुखाड़िया विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी एंड डिजाइनिंग के विद्यार्थियों द्वारा तैयार जनजातीय समुदाय की पोशाकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
महोत्सव में शोधकर्ताओं के शोध पर आधारित जनजाति लोक संस्कृति की पुस्तकों- जनजाति समुदाय की भाषा, लोक कला, संस्कृति एवं परंपरागत पहचान का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम का संचालन अनु जैन ने किया। आभार संस्थान के अध्यक्ष रोहित भटनागर ने प्रकट किया।
यह तीन दिवसीय महोत्सव रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ शुक्रवार को शुरू हुआ था, जिसका आयोजन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और टीआरआई के सहयोग से अमि संस्थान उदयपुर की ओर से किया गया।