बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में प्रदर्शन 

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में प्रदर्शन 

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में प्रदर्शन बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध जयपुर में प्रदर्शन 

जयपुर, 03 दिसंबर। बांग्लादेश में हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में मंगलवार को जयपुर की बड़ी चौपड़ पर साधु-संतों और सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। 

प्रदर्शन में विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल सनातन धर्म के साथ नहीं खड़े हैं। बांग्लादेश में हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए उन्होंने चेतावनी दी, “जिहाद अब नहीं चलेगा। करोड़ों सनातनियों की सेना तैयार है। उन्होंने इस्कॉन संस्था द्वारा जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े उपलब्ध कराने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्कॉन और संत समाज पर हो रहे अत्याचार बर्दाश्त से बाहर हो चुके हैं। आचार्य ने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो हम जयपुर से दिल्ली तक अपनी आवाज उठाएंगे और जरूरत हुई तो बांग्लादेश भी जाएंगे।

बालमुकुंद आचार्य ने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे अत्याचार की निंदा नहीं की। उन्हें केवल वोट बैंक की राजनीति करनी है। भारत के लोग अब समझ गए हैं कि सनातन धर्म और देश का विकास किसके साथ है। 

महामंडलेश्वर मनोहर दास महाराज ने बांग्लादेश में हिन्दुओं व अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों को विधर्मियों का षड्यंत्र करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई और वहां के लोगों को जीने का तरीका सिखाया, लेकिन अब वहीं के लोग हिन्दुओं के विरुद्ध अत्याचार कर रहे हैं।  

उन्होंने कहा, यह साधु समाज का दायित्व है कि सनातनियों की रक्षा के लिए आवाज उठाए। लेकिन यह जिम्मेदारी हर भारतीय नागरिक की भी है। प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री, राज्यपाल, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के नाम ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। इस दौरान चिन्मय कृष्ण दास की तत्काल रिहाई की मांग की गई। 

इस प्रदर्शन में महामंडलेश्वर मनोहर दास महाराज, आचार्य विष्णु नागा, बसंतानंद महाराज, विधायक बालमुकुंद आचार्य, शनि धाम से रंधावा महाराज, सोमेंद्र महाराज और साध्वी शिखा शिखर सहित बड़ी संख्या में साधु-संत सम्मिलित हुए।

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