बांग्लादेश में हिन्दुओं को दुःख-दुविधा, भारत में अवैध बांग्लादेशयों को सुख-सुविधा
डॉ. अभिमन्यु
बाग्लादेश में हिन्दुओं को दुःख-दुविधा, भारत में अवैध बांग्लादेशयों को सुख-सुविधा
बांग्लादेशियों द्वारा आधार कार्ड एवं वोटर आईडी बनवाना, उसके पश्चात भारत के चुनावों में मतदान करना तथा इससे भी आगे बढ़कर सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाकर जेडीए द्वारा मकान आवंटित करवा लेना जैसे समाचार भारत के लिए चिंताजनक हैं और भयावह स्थिति की ओर इशारा कर रहे हैं। जयपुर में ऐसे कई मामलों का खुलासा हुआ है। जैसे, हिना बानो का नाम जयपुर के सांगानेर थाने में बांग्लादेश नागरिक वाली सूची में दर्ज है। फिर भी उसके पास बक्शावाला स्थित जेडीए कॉलोनी में आवंटित जेडीए का मकान है। मिशन बसेरा के अंतर्गत दिए गए इस मकान के पते का वोटर कार्ड भी है। विधानसभा चुनाव में वह वोट भी डाल चुकी है।
हिना के पड़ोस के मकान में रहने वाली हसीना के पास भी वोटर कार्ड है और जेडीए का मकान भी। वह हर माह 1100 रुपए सरकारी पेंशन भी पा रही है।
बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे उत्पीड़न की घटनाओं के समाचारों के साथ जब भारत का हिन्दू ऐसे समाचार पढ़ता है, तो उसका मन पीड़ा से भर उठता है। एक ओर तो बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर दी गयी हैं, वहीं दूसरी ओर भारत में हिन्दुओं का हक़ छीनकर सरकारी सुविधाओं का लाभ बांग्लादेशी घुसपैठिए आसानी से उठा रहे हैं। इसके पीछे कारणों की पड़ताल करें तो प्रशासनिक कमियाँ तो दिखती ही हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण राजनैतिक दलों की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति है। अपने वोटबैंक के लिए ये दल बांग्लादेशियों को संरक्षण प्रदान करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, आज 5 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी घुसपैठियों ने भारत को अपना घर बना रखा है।
पश्चिम बंगाल में तो ममता बनर्जी, कांग्रेस और लेफ्ट द्वारा मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण बांग्लादेशी घुसपैठियों को खुलेआम पनाह दी जा रही है, जिसके चलते मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त उत्तर दिनाजपुर, उत्तर और दक्षिण 24 परगना, हुगली, हावड़ा जैसे जिलों में भी बड़ी संख्या में मुसलमान बस गए हैं। स्थिति यह है कि पश्चिम बंगाल में 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर मुस्लिम तय करने लगे हैं कि विजयी कौन होगा।
बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण भारत में जनसांख्यिकी बदलाव कितनी तेजी से हो रहा है, इसका अनुमान पश्चिम बंगाल के उदाहरण से लगाया जा सकता है। बढ़ती अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम जनसंख्या के चलते भारतवासियों के लिए राजनैतिक, प्रशासनिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अन्याय का वातावरण बन रहा है।
बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा वोटर कार्ड बनवाकर भारत में हो रहे चुनावों में मतदान करके चुनाव परिणामों को प्रभावित करना, एक तरह से भारतवासियों के लिए राजनैतिक अन्याय का कारण बन रहा है। इसी प्रकार आधार कार्ड बनवाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से सरकारी तंत्र पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। भारत के करदाताओं के साथ यह अन्याय है। ऐसे लोग गरीब भारतीयों का हक खा रहे हैं।
इसी प्रकार भारतीय श्रमिकों एवं मजदूरों को बेरोजगारी झेलनी पड़ रही है। बांगलादेशी घुसपैठिये अपनी जगह बनाने के लिए सस्ते में काम करने को तैयार हो जाते हैं। इसी तरह लव जिहाद के मामलों में भी बांग्लादेशियों की सहभागिता है, जो हमारी सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संरचना के लिए कठोर चुनौतियां प्रस्तुत कर रही है।
भारत की आंतरिक सुरक्षा के सामने भी बांग्लादेशी खतरा पैदा कर रहे हैं। अगर पश्चिम बंगाल का उदाहरण लें, तो मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, ज्यादातर हिंसक घटनाएं बांग्लादेशी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हुई हैं। राज्य में वर्ष 2011 से लेकर अब तक 380 से अधिक मंदिरों में कथित रूप से तोड़फोड़ की गई तथा बलात्कार के 2134 मामलों में बांग्लादेशियों की संलिप्तता की पुष्टि हुई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक जे. नंदकुमार अपनी पुस्तक ‘बदलते दौर में हिंदुत्व’ में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा भारत के समक्ष प्रस्तुत की जा रही एक नई चुनौती का उल्लेख करते हैं। यह चुनौती ‘ग्रेटर इस्लामिक बांग्लादेश’ के रूप में सामने आयी है। प्रस्तावित ग्रेटर इस्लामिक बांग्लादेश के माध्यम से जिहादियों ने बंगाल के नवाब रहे सिराजुद्दौला (1733-1757) की तत्कालीन रियासत को फिर से स्थापित करने की योजना बनायी है। इस रियासत में आज का बांग्लादेश, बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय, असम, बिहार का कुछ हिस्सा, झारखण्ड और ओड़िशा शामिल हैं। यह अवधारणा भारत की एकता एवं अखंडता के लिए कठोर षड्यंत्र के रूप में उभर कर सामने आयी है।
इस तरह हम देखते हैं कि बांग्लादेशियों द्वारा भारत के समक्ष हर मोर्चे पर खतरा प्रस्तुत किया जा रहा है। आज केंद्र सरकार को इस दिशा में कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही हिंदू समाज को अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा उत्पन्न खतरे को समझ कर संगठित रहते हुए सरकार के सामने इस समस्या के समाधान के लिए दबाव बनाना होगा।