बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हो रहा हनन, राजस्थान के प्रबुद्धजनों ने यूएन से की हस्तक्षेप की मांग
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हो रहा हनन, राजस्थान के प्रबुद्धजनों ने यूएन से की हस्तक्षेप की मांग
जयपुर। बांग्लादेश में हिन्दुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हिंसक अत्याचार और मानवाधिकार उल्लंघन की गंभीर स्थिति पर चिंता जताते हुए राजस्थान के प्रबुद्धजनों ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव और राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही नियोजित हिंसा को रोकने, उनके मानवाधिकारों की रक्षा करने और शांति सेना भेजने की मांग की गई।
ज्ञापन में कहा गया है कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट और मोहम्मद यूनुस की ताजपोशी के बाद से धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई आदि) पर अत्याचार चरम पर हैं। कट्टरपंथी संगठनों द्वारा हिन्दुओं के घरों और धार्मिक स्थलों पर हमले किए जा रहे हैं। इस्कॉन मंदिरों पर हमले और देव मूर्तियों को अपमानित करने की घटनाएं इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं पर अत्याचार से वहां मानवाधिकारों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन हो रहा है। वहां की सरकार मूक दर्शक ही नहीं बनी हुई है बल्कि कट्टरपंथियों का संरक्षण भी कर रही है। इस्लामिक कट्टरपंथी हिन्दुओं पर रिलीजियस कन्वर्जन का दबाव बना रहे हैं। कन्वर्ट न होने पर अत्याचार कर रहे हैं। झूठे मुकदमों में स्वामी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी जैसे अनेक धार्मिक संस्थाओं से जुड़े लोगों को जेलों में डाला जा रहा है।
ज्ञापन में बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों पर रोक लगाने, यूएन प्रतिनिधिमंडल भेजकर स्थिति की जांच कराने और हिन्दू समुदाय के पुनर्वास एवं क्षतिपूर्ति की मांग की गई। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र से बांग्लादेश में शांति सेना भेजने की भी अपील की गई है।
प्रतिनिधि मण्डल में उपस्थित उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश एनके जैन ने बताया कि राजस्थान नागरिक वृन्द बांग्लादेश की घटनाओं को लेकर राज्यपाल से मिले हैं। यूएनओ के महासचिव के नाम राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। हमारी मांग है, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचारों को तुरन्त प्रभाव से रोका जाए। मानवाधिकारों की रक्षा की जाए। यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल बांग्लादेश में प्रतिनिधि मडंल भेज मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चत करे। सुनियोजित हिंसा के शिकार हुए पीड़ित समुदाय की क्षतिपूर्ति एवं पुर्नवास हो। संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना को बांग्लादेश भेजा जाए तथा भविष्य में हिन्दुओं की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संवैधानिक व्यवस्था यूएनओ की निगरानी में बनाए।
प्रतिनिधि मंडल में उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मुख्य न्यायाधीश एनके जैन, प्रशांत अग्रवाल, सेवा निवृत्त सैन्य अधिकारी कर्नल देवानंद लोमरोड, लेफ्टिनेंट कर्नल महावीर सैनी, सेवा निवृत्त नौसेना अधिकारी कमांडर प्रियंका चौधरी, पूर्व कुलपति मोहनलाल छीपा, अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जसबीर सिंह, सेवा निवृत्त पुलिस अधिकारी कन्हैयालाल बैरवाल, अस्थि रोग विशेषज्ञ रमेश अग्रवाल और सेवा निवृत्त बैंक अधिकारी श्याम मनोहर उपस्थित थे। ज्ञापन पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत रहे 50 प्रबुद्धजनों ने हस्ताक्षर किए हैं।