बैंक कर्मचारियों की भूमिका फर्जी खाते खोलने या उपलब्ध कराने में पाई गई, तो होगी कड़ी कार्रवाई

बैंक कर्मचारियों की भूमिका फर्जी खाते खोलने या उपलब्ध कराने में पाई गई, तो होगी कड़ी कार्रवाई

बैंक कर्मचारियों की भूमिका फर्जी खाते खोलने या उपलब्ध कराने में पाई गई, तो होगी कड़ी कार्रवाईबैंक कर्मचारियों की भूमिका फर्जी खाते खोलने या उपलब्ध कराने में पाई गई, तो होगी कड़ी कार्रवाई

राजस्थान पुलिस ने साइबर ठगी के बढ़ते मामलों के बीच फर्जी खातों के उपयोग पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया है। विशेष रूप से मेवात क्षेत्र में फर्जी खातों के उपयोग के कई मामले सामने आने के बाद, पुलिस मुख्यालय (PHQ) ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) को इस दिशा में कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

पुलिस महानिदेशक (साइबर) हेमंत प्रियदर्शी ने बुधवार 23 अक्टूबर को निर्देश जारी करते हुए कहा कि जिन बैंक कर्मचारियों की भूमिका फर्जी खाते खोलने या उपलब्ध कराने में पाई जाएगी, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ठग अक्सर बैंक खातों को किराए पर लेकर उनमें ठगी की रकम जमा करते हैं। ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस सभी थानों और कलेक्ट्रेट कार्यालयों पर जागरूकता के लिए पंपलेट और होर्डिंग्स लगाने का अभियान चलाएगी।

भरतपुर रेंज के आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि ठगी के तरीके लगातार बदल रहे हैं, इसलिए पुलिस ने भी अपने जांच और कार्रवाई के तरीके में बदलाव किया है ताकि ठगों को आसानी से पकड़ा जा सके। पुलिस ने लोगों को सचेत किया है कि लालच में आकर ठगों को अपना बैंक खाता उपलब्ध न करवाएं, अन्यथा कठोर कार्रवाई की जाएगी।

आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि जनवरी 2024 में देश में डीग साइबर ठगी में 20% भागीदारी के साथ पहले नंबर पर था। इसके बाद ऑपरेशन एंटी वायरस चलवाया, जिससे यहां के पुलिस का डर बढ़ा और सितम्बर में डीग तीसरे स्थान पर पहुंच गया।

उन्होंने बताया कि साइबर ठग बस्तियों, जंगल और पहाड़ियों में ठगी करते हैं। तकनीकी आधार पर इन ठगों की पुख्ता जानकारी जुटाकर हमारी टीमें दबिश देती हैं। राज्य सरकार ने संसाधन भी बढ़ाए हैं। 

बैंक खाते किराए पर देने और कमीशन लेने के मामले

1) 15 अक्टूबर 2024: कोटा में पुलिस ने एक ही दिन में इस तरह के 3 मामलों में आरोपियों को गिरफ्तार किया।

केस 1 : विज्ञान नगर पुलिस ने साइबर फ्रॉडस्टरों को बैंक एकाउंट उपलब्ध कराने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। राकेश उर्फ राजा, रितिक शाक्यवाल और विशाल कसोटिया से पूछताछ में बैंक खाते बिकने का खुलासा हुआ। आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति गरीब एवं कम पढ़े-लिखे आमजन को कुछ प्रलोभन देकर उनके बैंक खाते खुलवा रहे थे। वे उन बैंक खातों को साइबर फ्रोडस्टरों को उपलब्ध करवाते थे एवं उपलब्ध करवाए गए प्रत्येक बैंक खाते की एवज में मोटी रकम वसूलते थे।

केस 2 : नयापुरा पुलिस ने एक मामले में होटल में ठहरे तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया था। ये तीनों मेवात क्षेत्र के हैं। कोटा में बालिता क्षेत्र के मजदूरों के 3 से 5 हजार रुपए में खाते खरीद रहे थे। उस वक्त पुलिस जांच में सामने आया था कि बदमाशों ने कई लोगों के खातों को खरीदा। पुलिस को मौके पर ही 10 से 15 खातों की डिटेल मिली थी।

केस 3 : साइबर थाना पुलिस ने कुछ महीने पहले एक मामले में कार्रवाई की थी। उस समय पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था। उक्त खाते के माध्यम से आरोपी फ्रॉड के पैसे ले रहा था। जब जांच करते हुए पुलिस खाताधारक तक पहुंची तो उसके होश उड़ गए। पुलिस ने चालान पेश कर दिया, लेकिन आगे की चेन को ब्रेक नहीं किया।

2) 13 सितंबर 2024 : जयपुर के मानसरोवर थाना पुलिस ने फर्जी बैंक खाते साइबर ठगों को किराए पर उपलब्ध कराने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी तुलसीराम शर्मा, प्रदीप शर्मा, अनिल खीचड़, और सचिन मेघवाल हैं। ये लोग नौकरी और सैलरी के झांसे में लोगों के नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवाते थे, जिनका उपयोग साइबर ठगी के लिए किया जाता था।

पुलिस ने इनके पास से 65 एटीएम कार्ड, 36 चेक बुक, 7 मोबाइल फोन, 6 सिम कार्ड, और एक लैपटॉप समेत अन्य सामान बरामद किया है। आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर पूछताछ की जा रही है ताकि गिरोह की गतिविधियों के बारे में और जानकारी जुटाई जा सके।

3) 1 जून 2024 :  जयपुर पुलिस ने एक बड़े साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया, जिसमें पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। ये आरोपी 733 फर्जी बैंक खाते खोलकर ठगी का काम कर रहे थे। गिरोह ऑनलाइन गेमिंग और सट्टे की अवैध रकम का लेन-देन करता था। पुलिस ने आरोपियों से 18 बैंक खातों के आवेदन फॉर्म, 34 सिम कार्ड, और 32 क्रेडिट/डेबिट कार्ड सहित अन्य सामग्री बरामद की।

इन खातों को कमीशन के बदले साइबर ठगों को उपलब्ध कराया जाता था, जिसमें प्रति खाता 20,000 रुपये तक का कमीशन मिलता था। प्रारंभ में, रिश्तेदारों और गरीब तबके के लोगों के नाम पर खाते खोले गए थे, जिन्हें ठगों द्वारा अपनी जानकारी देकर उपयोग किया जाता था।

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