BHU के प्रोफेसरों का शोध, कोरोना को हरा चुके लोगों को चाहिए वैक्सीन की बस एक डोज
कोविड वैक्सीन की किल्लत के बीच बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) से एक सुखद समाचार आया है। वहॉं के जूलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों की एक टीम ने टीकाकरण कराने वालों पर शोध कर यह निष्कर्ष निकाला है कि कोरोना को हरा चुके लोगों के लिए वैक्सीन की एक डोज ही पर्याप्त है। शोध की जानकारी पत्र द्वारा प्रधानमंत्री को भी दी गई है।
शोध टीम को लीड कर रहे प्रो. ज्ञानेश्वर का कहना है कि उनकी टीम ने बीस लोगों पर यह शोध किया और प्रारंभिक परिणामों से पता चला कि पहली लहर में संक्रमित न होने वालों में वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी बनने में चार सप्ताह तक का समय लगा। जबकि संक्रमित हो चुके लोगों में वैक्सीन लगने के 7-10 दिनों में एंटीबॉडी बन गई। इसके पीछे संक्रमित लोगों में टी और बी कोशिकाओं का निर्माण होना है। ये कोशिकाएं नए संक्रमण की पहचान कर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय कर देती हैं। इसलिए जो लोग पिछली बार संक्रमित हुए थे, वे दूसरी लहर में जल्दी ठीक हो गए। लेकिन जो पहली लहर की चपेट में आने से बच गए थे, उनमें मृत्यु दर अधिक देखी जा रही है। इसलिए जो व्यक्ति वायरस से पहले संक्रमित हो चुके हैं, उनके लिए वैक्सीन की पहली डोज ही काफी है पर जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं, उन्हें दोनों डोज लगनी आवश्यक हैं।इस रिसर्च को अमेरिका की जर्नल साइंस इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित होने की स्वीकृति भी मिल गई है।
प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे और उनकी टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि यदि देश के दो करोड़ लोग जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, उनको वैक्सीन की केवल एक ही डोज दी जाए तो दो करोड़ वैक्सीन की बचत हो सकती है। प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के साथ इस रिसर्च टीम में डॉ. प्रज्ज्वल सिंह, प्रो. बीएन मिश्रा व प्रो. अभिषेक पाठक शामिल हैं।