लाइलाज नहीं है सर्वाइकल कैंसर
गीता यादव
लाइलाज नहीं है सर्वाइकल कैंसर
सर्वाइकल कैंसर (बच्चेदानी, गर्भाशय या ग्रीवा का कैंसर) के मामले प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं। इंडियन काउंसलिंग ऑफ मेडिकल रिसर्च के कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार, महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर मौत का दूसरा बड़ा कारण है। जिससे देश में हर आठ मिनट में, एक महिला की मौत हो रही है। एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया-भर में वर्ष 2020 में लगभग 6 लाख महिलाएं इस कैंसर से पीड़ित हुईं। जिनमें लगभग 3 लाख 42 हजार की मौत हो गई। गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर एक महिला के गर्भाशय ग्रीवा में विकसित होता है। यह तब होता है, जब शरीर के इस हिस्से की कोशिकाएं, अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं। इसके लगभग सभी मामले 99 प्रतिशत उच्च जोखिम वाले मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) के संक्रमण से जुड़े हैं। यह यौन संपर्क से प्रसारित होने वाला वायरस है। हालांकि एचपीवी के अधिकांश संक्रमण अनायास हल हो जाते हैं, कोई लक्षण पैदा नहीं करते। लेकिन लगातार संक्रमण महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का कारण बन सकते हैं। गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के लक्षण देर से सामने आते हैं, इसलिए यह गंभीर है। इस जानलेवा बीमारी से महिलाओं को बचाने के लिए पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक टीका विकसित किया है। यह भारतीय बाजार में लगभग दो हजार रुपए प्रति खुराक की कीमत में उपलब्ध है। लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करते हुए, सभी राज्यों के सहयोग से, देश भर में नि:शुल्क उपलब्ध कराना चाहती है। इसके लिए भारत सरकार जल्दी ही एक बड़ा अभियान भी शुरू करने जा रही है।
दुनिया-भर में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामले कम करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी एक ग्लोबल प्लान जारी किया है। उसकी इस पहल पर, पहली बार भारत समेत दुनिया के 194 देश, इस कैंसर के उन्मूलन के लिए सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य 2050 तक गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के 40 प्रतिशत तक मामलों को घटाना है। साथ ही पांच लाख मौतों को कम करना है। इसके अंतर्गत 2030 तक 15 वर्ष की आयु वाली 90 प्रतिशत लड़कियों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 140 देशों ने एचपीवी वैक्सीन देने की शुरुआत वर्ष 2011 में ही कर दी थी। इस अभियान में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर समाप्त करने के लिए पूरी तरह से इसकी वैक्सीन, स्क्रीनिंग और ट्रीटमेंट पर ध्यान दिया जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में पहले इस कैंसर के मामले 50 वर्ष की आयु के बाद आते थे। लेकिन अब 25 से 35 वर्ष की आयु की युवतियां भी इसका शिकार हो रही हैं।
छोटी आयु में संबंध बनाने, एक्टिव और पैसिव स्मोकिंग, लगातार गर्भनिरोधक दवाइयों का प्रयोग और इम्यूनिटी कम होने से इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि किसी महिला को नियमित माहवारी के बीच रक्तस्राव हो, पानी जैसे बदबूदार पदार्थ का भारी डिस्चार्ज हो, पेट के निचले हिस्से में अचानक दर्द होने लगे, सम्बंधों के दौरान पेल्विक एरिया में दर्द हो, असामान्य भारी रक्तस्राव हो, वजन कम हो, थकान अनुभव हो और एनीमिया की समस्या हो, तो उसे तुरंत अपने चिकित्सक से मिलना चाहिए। इसके बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन कारगर है। यह वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से लेकर वुल्वर, एनल, वेजाइना और पेनाइल कैंसर से बचाव करती है। एक डोज लगाने के बाद, यह गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर फैलाने वाले एचपीवी वायरस को समाप्त कर देती है। इसे लगवाने के बाद यह महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से होने वाले खतरे को 80 से 90 प्रतिशत तक कम कर सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं, 35 वर्ष की आयु के बाद सभी महिलाओं को गर्भाशय-ग्रीवा की स्क्रीनिंग करवानी चाहिए। चाहे पैप टेस्ट हो, विनेगर टेस्ट या फिर एचपीवी डीएनए टेस्ट। इन जांचों की सहायता से समय से पहले कैंसर की संभावना की जांच हो सकती है। अगर आपकी रिपोर्ट निगेटिव आती है, तो आप पांच वर्ष बाद जांच दोबारा करा सकती हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर से बचाव के लिए लड़कियों को 9 से 14 वर्ष की आयु में यह टीका लगवा लेना चाहिए। महिलाओं को जननांगों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा माहवारी में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी नैपकिन प्रयोग करना चाहिए। वैसे तो गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है। आमतौर पर सर्जरी द्वारा गर्भाशय निकाल दिया जाता है। अगर बीमारी एडवांस स्टेज पर होती है तो कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी दी जाती है। चिकित्सक मानते हैं, इससे बचाव के लिए बाजार में वैक्सीन उपलब्ध हैं। लेकिन महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं है। जागरूकता के अभाव में महिलाएं और बच्चियां लाभ नहीं उठा पा रही हैं।
आईसीएमआर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च की डायरेक्टर शालिनी सिंह के अनुसार, देश में हर वर्ष सर्वाइकल कैंसर के लगभग 1.2 लाख नए रोगी सामने आते हैं। इससे हर वर्ष 77 हजार महिलाओं की मौत होती है। इससे बचने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए कैंसर टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। वैक्सीन की उपलब्धता के अनुसार यह मिशन अलग-अलग फेज में चलेगा। इस आयु वर्ग की देश में कुल 6.8 करोड़ लड़कियां हैं। पहले इन्हें टीका लगाना है। इसके बाद हर वर्ष नौ वर्ष की लगभग 1.12 करोड़ लड़कियों को यह कैंसर वैक्सीन लगाई जाएगी। सभी राज्यों से डेटा मंगवाया गया है। इसके बाद टीकाकरण की योजना बनाई जाएगी।
हाल ही में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अंतरिम बजट 2024 में महिलाओं की सेहत पर विशेष पर ध्यान दिया है। उन्होंने गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की रोकथाम के लिए बड़ी घोषणा की है। उनके अनुसार, गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर को रोकने के लिए देश भर में वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा। इसमें 9 से 14 वर्ष की लड़कियों को नि:शुल्क एचपीवी वैक्सीन लगाई जाएगी ताकि गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की रोकथाम की जा सके। इस अभियान की शुरुआत मिशन इंद्रधनुष के अंतर्गत की जाएगी। इस घोषणा से सरकार की मंशा तो साफ है कि वह भी इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करते हुए सभी राज्यों के सहयोग से देशभर में नि:शुल्क उपलब्ध कराना चाहती है।
एचपीवी वैक्सीन क्या है
एचपीवी वैक्सीन, नौ तरह के एचपीवी वायरस से सुरक्षा देती है। नौ में से दो वायरस ऐसे हैं, जो इस कैंसर के अधिकतर मामलों के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह वैक्सीन दस वर्ष या उससे अधिक समय तक सुरक्षा देती है और कैंसर के मामलों में 90 प्रतिशत तक कमी ला सकती है।
यह वैक्सीन कौन ले सकता है
यदि लड़की-लड़का एचपीवी वायरस के संपर्क में आने से पहले यह वैक्सीन लें, तो बेहतर है। क्योंकि वैक्सीन सिर्फ संक्रमण को रोकती है। संक्रमित हो जाने पर यह उस वायरस को बाहर नहीं निकाल सकती। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इस वैक्सीन की एक या अधिक डोज दी जानी चाहिए। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें दो या तीन डोज दी जानी चाहिए।