गर्मी की छुट्टियों में बच्चे सीख रहे हैं 16 संस्कार और पूजा विधि
गर्मी की छुट्टियों में बच्चे सीख रहे हैं 16 संस्कार और पूजा विधि
भारत विश्व का प्राचीनतम देश है। यहां अनेक आक्रांता आए, देश की संस्कृति को छिन्न भिन्न करने के प्रयास हुए। गुरुकुल परम्परा समाप्त कर मैकाले की शिक्षा पद्धति लाद दी गई। स्वाधीनता के बाद भी यही क्रम चलता रहा। लेकिन अब भारत करवट बदल रहा है। प्राचीन भारतीय परम्पराओं में लोगों की रुचि बढ़ रही है।
अनेक संस्थाएं भी उन्हें यह अवसर प्रदान कर रही हैं। राजस्थान के उदयपुर और बीकानेर में हिन्दू मंदिर और वैदिक संस्थाओं की ओर से युवाओं को हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार 16 संस्कारों सहित देवी देवताओं की पूजा पद्धति का पूर्ण ज्ञान कराया जा रहा है।
उदयपुर शहर में नई पीढ़ी को हिन्दू धर्म की परंपराओं और मान्यताओं से अवगत कराने की दृष्टि से गत 15 मई से सात दिवसीय हिन्दू संस्कारम प्रमाण पत्र कोर्स की शुरुआत शहर के श्री विद्या फॉरेस्ट स्कूल, श्रीकुलम ने की है। इसमें 175 से अधिक बच्चे हिन्दू धर्म के अंतर्गत 16 संस्कारों, प्रमुख तीर्थ स्थलों, देवी-देवताओं, उनकी पूजा पद्धति और गुरु परंपरा आदि के बारे में शिक्षा ले रहे हैं।
श्री कुलम की अधिष्ठात्री स्वामिनी भुवनेश्वरी पुरी ने बताया कि कोर्स को तीन भागों में फाउंडेशन, इंटरमीडिएट और एडवांस में विभक्त किया गया है। तीन वर्षों में पूरा होने वाले इस कोर्स में हर वर्ष सात दिवसीय शिविर लगाया जाएगा। इस वर्ष कोर्स में शिक्षा देने के लिए बाहर से भी संतों का आगमन हुआ है। कोर्स में बच्चों को लघु पूजा, सूर्य उपासना और योगाभ्यास जैसे प्रायोगिक अभ्यासों के साथ खेलकूद और कहानियों के माध्यम से जीवन में आवश्यक मूल्यों और संस्कारों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इसी प्रकार भारतीय सिन्धु सभा उदयपुर की ओर से ग्रीष्मकालीन अवकाश में शहर के 10 स्थानों पर 15 दिवसीय सिन्धी बाल संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। सभा के महानगर अध्यक्ष गुरमुख कस्तूरी एवं संभाग प्रभारी प्रकाश फूलानी ने बताया कि शिविर में बच्चों को सिन्धी भाषा, संस्कार, संस्कृति, सिन्ध के महापुरुषों, बलिदानियों की जीवनी, प्राचीन सभ्यता, सिन्धी गीत, नृत्य आदि विधाओं से अवगत कराया जा रहा है। इन निशुल्क संस्कार शिविरों में 5 से 15 वर्ष के 560 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
बीकानेर में भी ग्रीष्मावकाश में मौज मस्ती की बजाए युवा अब वैदिक मंत्रों का अध्ययन कर भारतीय संस्कारों में निपुण हो रहे हैं। स्थानीय रघुनाथसर कुआं किराडू गली के पास स्थित श्री रघुनाथ मंदिर में इन दिनों रुद्राष्टध्यायी और वैदिक शिव पूजा पद्धति का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मंदिर में प्रशिक्षण के दौरान गुंजायमान हो रहे मंत्रों से गुरुकुल जैसा वातावरण दिख रहा है। शाम को प्रतिदिन दो घंटे मंदिर परिसर का प्रांगण वेद मंत्रों से गूंजता रहता है। वेद मत्रों के प्रशिक्षण के साथ-साथ यहां बच्चों और युवाओं को भारतीय संस्कारों की जानकारी दी जा रही है। 2022 में दुर्गा सप्तशती पाठ व वैदिक संध्या का प्रशिक्षण, वर्ष 2023 में रुद्राष्टध्यायी व दुर्गा सप्तशती पाठ का प्रशिक्षण दिया गया। इस वर्ष रुद्राष्टध्यायी व वैदिक शिव पूजा पद्धति का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
ये भी ले रहे प्रशिक्षण
प्रशिक्षण शिविर में 20 से अधिक ऐसे प्रशिक्षणार्थी है, जिनकी आयु 50 वर्ष या इससे अधिक है। ये प्रशिक्षणार्थी भी रुद्रराष्टध्यायी और वैदिक शिव पूजा पद्धति का प्रशिक्षण ले रहे हैं।