जलवायु परिवर्तन : सरकारी योजनाएं और चुनौतियाँ

डॉ. अमित वर्मा
जलवायु परिवर्तन : सरकारी योजनाएं और चुनौतियाँ
जलवायु परिवर्तन 21वीं सदी की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक बन चुका है। इसके प्रभाव पूरे विश्व में अनुभव किए जा रहे हैं, लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों में इसकी मार अधिक गहरी है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, चक्रवात, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएँ न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और जल संसाधनों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखना और ग्रामीण समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाना है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव कृषि उत्पादन, जल संसाधनों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर देखा जा सकता है। अनियमित मानसून और बदलते मौसम चक्र ने किसानों को अनिश्चितता की स्थिति में डाल दिया है, जिससे उनकी आय प्रभावित हो रही है। जल संसाधनों की कमी और बाढ़ जैसी समस्याएँ भी लगातार बढ़ रही हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा पर संकट उत्पन्न हो गया है। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाएँ जैसे कि राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC), मिशन लाइफ, राष्ट्रीय सौर मिशन और मनरेगा के तहत जल संरक्षण परियोजनाएँ ग्रामीण भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। हालांकि, इन योजनाओं के क्रियान्वयन में कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, जैसे कि जागरूकता की कमी, संसाधनों की सीमित उपलब्धता और ग्रामीण स्तर पर समुचित नीति कार्यान्वयन। इसलिए, यह अध्ययन इस बात पर केंद्रित है कि ये सरकारी योजनाएँ जलवायु परिवर्तन से निपटने में कितनी प्रभावी हैं और ग्रामीण समुदायों को इनसे कैसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता है। जलवायु परिवर्तन आज के युग की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है। यह न केवल पर्यावरणीय असंतुलन पैदा कर रहा है, बल्कि समाज, अर्थव्यवस्था और जीवन शैली को भी प्रभावित कर रहा है। बढ़ता तापमान, अनियमित मौसम परिवर्तन, समुद्री जल स्तर में वृद्धि, और कृषि उत्पादन में गिरावट जैसे मुद्दे भारत सहित पूरे विश्व को प्रभावित कर रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, जहाँ अधिकांश आबादी कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अधिक गंभीर हैं। अनिश्चित मानसून, सूखा, बाढ़, और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएँ किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए बड़ी चुनौतियाँ बन गई हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करना है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का उद्देश्य जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन को बढ़ावा देने और वर्षा आधारित कृषि पर निर्भरता को कम करने में सहायक है। इसके अंतर्गत ‘हर खेत को पानी’ अभियान और ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे जल की बचत होती है और सूखे की स्थिति में किसानों को राहत मिलती है। राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष (NAFCC) विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए बनाई गई एक वित्तीय योजना है। यह योजना कृषि, वानिकी, जल संसाधन और जैव विविधता क्षेत्रों में अनुकूलन परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ग्रामीण समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए इस योजना के अंतर्गत कृषि पद्धतियों में बदलाव, जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण और स्थानीय स्तर पर जलवायु अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है। मनरेगा और पर्यावरण संरक्षण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अंतर्गत जल संरक्षण, वृक्षारोपण, मिट्टी संरक्षण और बंजर भूमि सुधार जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। इससे न केवल ग्रामीण रोजगार सृजन होता है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का भी संवर्धन होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में सहायता मिलती है। राष्ट्रीय सौर मिशन राष्ट्रीय सौर मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को सौर पंपों की सुविधा दी जाती है, जिससे वे पारंपरिक डीजल और बिजली पर निर्भरता कम कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण घरों में सौर ऊर्जा आधारित लाइटिंग सिस्टम को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे बिजली की समस्या का समाधान किया जा सके। ‘मिशन लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों कोपर्यावरण-अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करता है, जिससे ग्रामीण भारत में टिकाऊ कृषि, ऊर्जा बचत और जल संरक्षण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है। इसी तरह, ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलती है। जल जीवन मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की एक महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के अंतर्गत हर घर तक पाइप लाइन के माध्यम से स्वच्छ पेयजल पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह जलसंसाधनों के सतत उपयोग और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जल संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य सरकारों की जलवायु अनुकूलन पहल कई राज्य सरकारों ने भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी-अपनी योजनाएँ शुरू की हैं। उदाहरण के लिए राजस्थान में ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ के अंतर्गत जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। महाराष्ट्र में ‘जलयुक्त शिवार अभियान’ के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में जल संचयन के लिए विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है। उत्तर प्रदेश में ‘किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान’ (KUSUM योजना) के माध्यम से किसानों को सौर ऊर्जा से संचालित पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वनीकरण और जैव विविधता संरक्षण कार्यक्रम वनों का संरक्षण और वृक्षारोपण जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत सरकार ने ‘राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम’ और ‘ग्रीन इंडिया मिशन’ जैसी योजनाएँ शुरू की हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में वनीकरण को बढ़ावा देती हैं। इसके अतिरिक्त, ‘कम्पेंसेटरी अफॉरेस्टेशन फंडमैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी’ (CAMPA) के अंतर्गत भी वनों के पुनर्जीवन पर जोर दिया गया है। स्मार्ट कृषि तकनीक और नवाचार सरकार स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकों और नवाचारों को प्रोत्साहित कर रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन तकनीक और जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियाँ किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहनशील बनाने में सहायता कर रही हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय भी जलवायु-अनुकूल कृषि पद्धतियों पर अनुसंधान कर रहे हैं।
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई ये योजनाएँ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष, मनरेगा, राष्ट्रीय सौर मिशन, जल जीवन मिशन, वनीकरण अभियान और राज्य सरकारों की पहलें पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इन योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों की जलवायु सहनशीलता बढ़ेगी, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में भी सहायता मिलेगी। इसके अतिरिक्त, स्थानीय समुदायों की भागीदारी और जागरूकता अभियान जलवायु अनुकूलन प्रयासों को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की नई तकनीकों, जल संरक्षण प्रणालियों, और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को अपनाने से दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, सरकार को इन योजनाओं की नियमित निगरानी और मूल्यांकन पर जोर देना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वे कितनी कुशलता से ग्रामीण समुदायों तक पहुँचती हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।