सनातन के प्रति घृणा के एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटीं ईसाई मिशनरियां
सनातन के प्रति घृणा के एजेंडे को आगे बढ़ाने में जुटीं ईसाई मिशनरियां
जयपुर। भारत में स्वाधीनता से पहले मुगलों ने करोड़ों हिन्दुओं को तलवार की नोक पर मुसलमान बनाया, तो ईसाई मिशनरियां भी पीछे नहीं रहीं। ईसाई मिशनरियां सेवा का आवरण ओढ़कर आईं और स्वास्थ्य व शिक्षा की आड़ में अपना काम करती रहीं, जो आज भी जारी है। इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होने से इनके हौसले बुलंद हैं। अनुसूचित जातियां व जनजातियां इनका प्रमुख लक्ष्य हैं। भारत के कई राज्यों में आज हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है। यह बदलती डेमोग्राफी देश की सुरक्षा और स्थिरता के लिए बड़ी चुनौतियों को जन्म दे रही है, राजस्थान भी इससे अछूता नहीं।
राजस्थान में बढ़ रही ईसाई मिशनरियों की गतिविधियां
राजस्थान में ईसाई मिशनरियों ने कन्वर्जन को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। राजधानी जयपुर सहित श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, बांसवाड़ा, बारां, जालौर, जैसलमेर सहित अन्य जिलों में इनका नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। कई जिलों में बाकायदा जमीन लेकर चर्च बनाए जा रहे हैं। गरीबों को लालच देकर ईसाई बनाया जा रहा है। पंजाब से सटे श्रीगंगानगर जिले में इस प्रकार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कई गांवों में लोगों ने इनका विरोध भी किया, लेकिन कानून की कमजोरी के कारण इनके हौसले बुलंद हैं।
जयपुर में सिंधी समुदाय के युवक ने कन्वर्जन किया और इसके बाद अपने समुदाय के अन्य लोगों व एससी समाज लोगों को ईसाई बनाया। जब इस युवक से बात की गई तो उसने कहा कि हमने रिलिजन नहीं बदला, मन बदला है। हमारे नाम आज भी वही हैं। इसके घर में भी ईसा मसीह के चित्र लगे हुए हैं, घर के दरवाजे पर लगी गणेश जी की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया है। इसी प्रकार आलू-प्याज बेचने वाले एक और सिंधी युवक भी ईसाई बन गया। यहां रहने वाले करण ने बताया कि यह युवक प्रत्येक रविवार को चर्च जाता है और अन्य लोगों को भी स्वयं के खर्चे पर वहां भेजता है। करण ने कहा कि राजस्थान सरकार को कन्वर्जन रोकने के लिए सख्त काननू बनाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष जयपुर के सांगानेर में कन्वर्जन को लेकर एक आयोजन होना था, जिसे हिन्दू संगठनों की आपत्ति के बाद स्थगित कर दिया गया। जयपुर की तरह बारां और अलवर में भी कन्वर्जन के कई मामले सामने आ चुके हैं।
ईसाई मिशनरियों ने बदला कन्वर्जन का तरीका
अब ईसाई मिशनरियों ने कन्वर्जन का तरीका बदल लिया है। इनकी मंडलियां गरीब हिन्दुओं को प्रलोभन देकर उनका कन्वर्जन कराती हैं। पहले कन्वर्जन के समय हिन्दू व्यक्ति का नाम परिवर्तित कर उसे क्रिश्चियन नाम दे दिया जाता था, लेकिन इससे कन्वर्जन की पोल खुल जाती थी। इसके चलते मिशनरियों ने पैटर्न बदल लिया है। अब वे पहले हिन्दुओं के मन में उनके देवी-देवताओं के प्रति अनादर का भाव उत्पन्न करती हैं। यीशू की प्रार्थनाओं पर जोर देती हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में कन्वर्जन के बाद उनके नाम नहीं बदलतीं। इससे क्रिप्टो क्रिश्चियंस की संख्या बढ़ रही है। अब वे ईसाई बन गए लोगों को चर्च भी नहीं ले जाते, घर में ही प्रार्थना करना सिखाते हैं। उन्हें सिखाया जाता है कोई पूछे तो कहना मन बदला है रिलिजन नहीं। कन्वर्जन के कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें हिन्दुओं के घरों से भगवान की मूर्तियां हटा दी गई हैं और अब वे देवी-देवताओं की पूजा के बजाए यीशू की प्रेयर करने लगे हैं। इनका ऐसा ब्रेनवॉश किया गया है कि ये लोग दावा करते हैं कि यीशू की प्रेयर करने से ही इनकी शराब-सिगरेट की आदत छूटी है और रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा मदर मैरी की गोद में ईसा मसीह के स्थान पर गणेश या कृष्ण को चित्रांकित कर ईसाइयत का प्रचार शुरू किया गया है, ताकि लोगों को लगे कि वे तो हिन्दू धर्म के ही किसी संप्रदाय की सभा में जा रहे हैं। ईसाई मिशनरियों को आप भगवा वस्त्र पहनकर हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर तिरुपति बालाजी तक ईसाइयत का प्रचार करते देख सकते हैं। पंजाब, मध्यप्रदेश, झारखंड और उड़ीसा में तो जोशुआ प्रोजेक्ट के चलते हालात बेहद खराब हैं।
मीठा जहर हैं कॉन्वेंट स्कूल
ईसाई मिशनरियां हमारी संस्कृति पर मीठा वार कर रही हैं। कई ईसाई स्कूल कन्वर्जन का केंद्र बन चुके हैं। इन स्कूलों में गरीब और जनजातीय हिन्दू बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का लालच देकर उनका रिलीजियस कन्वर्जन कराया जा रहा है। बच्चों के बालमन में ईसाइयत के बीज बोये जा रहे हैं। यही बच्चे बड़े होकर अपनी हिन्दू संस्कृति से अधिक ईसाई संस्कृति को मानेंगे।
मिशनरी गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण आवश्यक
देश को गहरे नुकसान से बचाने के लिए विदेशी चंदे पर पूरी तरह रोक के साथ-साथ मिशनरी संगठनों की गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण आवश्यक है। कुछ राज्यों जैसे उड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश आदि में अवैध कन्वर्जन के विरोध में कानून हैं, लेकिन प्रभावी नहीं। यही कारण है कि उड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में मिशनरीज के जोशुआ प्रोजेक्ट के चलते डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आया है। चर्चों की संख्या भी पिछले 15 वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है। छत्तीसगढ़ के सन्ना ब्लॉक में 50 गॉंवों में सिर्फ 5 गॉंव ही पूर्णतया हिन्दू हैं। अन्य ब्लॉक के भी कई गॉंवों में एक-दो हिन्दू परिवार ही बचे हैं।
विभिन्न राज्यों में कन्वर्जन रोकने के लिए कानून में प्रावधान
– ओडिशा पहला राज्य है, जहां जबरन कन्वर्जन को रोकने के लिए 1967 से कानून है। जबरन कन्वर्जन पर एक वर्ष की कैद और 5 हजार रुपये की सजा हो सकती है। वहीं, एससी-एसटी के मामले में 2 वर्ष तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
– मध्य प्रदेश में 1968 में कानून लाया गया था। 2021 में इसमें संशोधन किया गया। इसके बाद लालच देकर, धमकाकर, धोखे से या जबरन कन्वर्जन कराया जाता है तो 1 से 10 वर्ष तक की कैद और 1 लाख तक के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
– अरुणाचल प्रदेश में 1978 में कानून लाया गया था। इस कानून के अंतर्गत जबरन कन्वर्जन कराने पर 2 वर्ष तक की कैद और 10 हजार रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
– छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद 1968 वाला कानून लागू हुआ। बाद में इसमें संशोधन किया गया। जबरन कन्वर्जन कराने पर 3 वर्ष की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माना, जबकि नाबालिग या एससी-एसटी के मामले में 4 वर्ष की कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
– गुजरात में 2003 से कानून है। 2021 में इसमें संशोधन किया गया था। यहां 5 वर्ष की कैद और 2 लाख रुपये जुर्माना, एससी-एसटी और नाबालिग के मामले में 7 वर्ष की कैद और 3 लाख रुपये के जुर्माने की सजा है।