पहचान छिपा कर दोस्ती, शादी से इन्कार पर दुष्कर्म व हत्या मामले में अदालत ने अरशद को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

पहचान छिपा कर दोस्ती, शादी से इन्कार पर दुष्कर्म व हत्या मामले में अदालत ने अरशद को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

पहचान छिपा कर दोस्ती, शादी से इन्कार पर दुष्कर्म व हत्या मामले में अदालत ने अरशद को सुनाई आजीवन कारावास की सजापहचान छिपा कर दोस्ती, शादी से इन्कार पर दुष्कर्म व हत्या मामले में अदालत ने अरशद को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

अजमेर। अजमेर की पॉक्सो अदालत (क्रम-2) ने शनिवार (14 दिसम्बर) को लगभग 33 माह पुराने एक केस में एक नाबालिग से दुष्कर्म और उसकी नृशंस हत्या के दोषी यूपी निवासी अरशद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही अदालत ने दोषी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और पीड़िता के परिजनों को 6 लाख रुपये मुआवजे के रूप में देने के आदेश दिए।

मामला मार्च 2022 का है, जब अरशद ने एक नाबालिग लड़की से इंस्टाग्राम पर हिन्दू लड़के के नाम से फर्जी पहचान बनाकर दोस्ती की और एक दिन पीड़िता को बहला-फुसलाकर सुनसान जगह बुलाकर दुष्कर्म किया फिर सब्जी काटने वाले चाकू से उसकी हत्या कर दी। पीड़िता को धोखा देकर फंसाने और उसकी हत्या के बाद, आरोपी ने स्वयं को भी घायल करने का प्रयास किया।

पुलिस ने आरोपी को घटना के अगले दिन अजमेर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया। डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। पुलिस पूछताछ में अरशद ने बताया कि अक्टूबर 2020 में पीड़िता से उसकी दोस्ती हुई। वह उससे शादी करना चाहता था। लेकिन लड़की ने शादी करने से मना कर दिया तो अरशद ने उसे सबक सिखाने की सोची। अरशद पीड़िता को जंगल में ले गया और दुष्कर्म किया। इसके बाद गला काट कर उसकी हत्या कर दी और अपनी भी नसें काट लीं। 

लोक अभियोजक विक्रम सिंह शेखावत ने अभियोजन पक्ष की ओर से 30 गवाहों और 88 दस्तावेजों के आधार पर आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य प्रस्तुत किए।

न्यायालय ने इस मामले को “जघन्य अपराध” बताते हुए कहा कि आरोपी के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाई जा सकती। 70 पन्नों के अपने निर्णय में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पीड़िता का जबरन शारीरिक शोषण और निर्मम हत्या जैसे कृत्य समाज के लिए चिंता का विषय हैं।

समाज का आक्रोश

इस घटना के बाद स्थानीय लोगों ने जेएलएन अस्पताल का घेराव किया था, जिसके चलते पुलिस को अस्पताल में सुरक्षा बढ़ानी पड़ी। पुलिस ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन देकर स्थिति को संभाला। इस प्रकार का मामला न केवल एक गंभीर अपराध का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग किस प्रकार मासूमों की जान को खतरे में डाल रहा है।

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