साइबर सुरक्षा के लिए सावधान करती फिल्म – CTRL
दिवस गौड़
साइबर सुरक्षा के लिए सावधान करती फिल्म – CTRL
CTRL, जो कि आज की चैटिंग की दुनिया में ‘CONTROL’ का संक्षिप्त रूप है। 4 अक्टूबर, 2024 को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई यह फिल्म एक लड़की नेला (अनन्या पांडे) पर केन्द्रित है जो अपने दोस्त जो (विहान सामंत) से ब्रेकअप के बाद अपने कम्प्यूटर व सोशल मीडिया से उसकी स्मृतियों को मिटाने के लिए एक AI पार्टनर की सहायता लेती है और धीरे-धीरे यही AI पार्टनर उसके पूरे जीवन को अपने वश में कर लेता है। इसी AI पार्टनर एप का नाम है CTRL…नेला और जो सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर होते हैं, जिनका एक कम्युनिटी चैनल ‘NJOY’ है, जिस पर वीडियो बनाकर वे ब्रांड प्रमोशन करके अच्छा खासा पैसा कमाने लगते हैं। एक दिन नेला किसी पार्टी में जो को किसी और लड़की बीना (देविका वत्स) के साथ देख लेती है और उसके बाद वहां नेला व बीना के बीच काफी लड़ाई होती है, जिसके विडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल होते हैं। अब क्योंकि नेला एक जानी मानी व्यक्ति है, तो ऐसे विडियोज के वायरल होने के बाद उस पर बहुत सारे मीम्स (memes) बनने लगते हैं। जो से भी उसका रिश्ता टूट जाता है। उनका चैनल भी बन्द हो जाता है। ऐसे में नेला स्वयं का चैनल शुरू करती है, परन्तु उसे पहले जैसी सफलता नहीं मिलती। सोशल मीडिया पर बहुत से लोग उसे ट्रोल करने लगते हैं। तभी उसकी दृष्टि एक कमेंट पर पड़ती है, जिसमें लिखा होता है कि अपनी पुरानी बुरी यादों को मिटाने के लिए CTRL app का उपयोग करें। नेला बिना सोचे समझे यह एप डाउनलोड कर लेती है। जहां उसे एक AI पार्टनर ऐलेन मिलता है। नेला, ऐलेन से अपने कम्प्यूटर व सोशल मीडिया पर जो की सभी यादों को मिटाने के लिए कहती हैं। ऐलेन उसके सारे डेटा को स्कैन कर बताता है कि तुम दोनों के 1,49,881 फोटोज़ और 19,665 विडियोज में से सिर्फ जो को मिटाने के लिए 90 दिन से अधिक का समय लगेगा। नेला इसे स्वीकार कर लेती है। ऐलेन उससे बातें करता रहता है। धीरे-धीरे वह नेला का पर्सनल असिस्टेंट बन जाता है। वह नेला के सारे काम जैसे उसकी मीटिंग्स, अपॉइंटमेंट्स, टाइम टेबल आदि संभाल लेता है। वह नेला को उसके सोशल मीडिया कमबैक की योजना बताता है ताकि वह फिर से एक इन्फ्लुएंसर बन सके। इसके लिए वह उसे नए-नए आइडियाज देने लगता है। ऐलेन की सहायता से नेला पहले से भी अधिक सफलता प्राप्त कर लेती है। अब वह पहले से भी कहीं ज्यादा पैसे कमाने लगती है। उधर ऐलेन एक-एक कर हर फोटो व वीडियो से केवल जो को हटाते जा रहा है, और वहां सिर्फ नेला रह जाती है। ऐलेन हर समय नेला की हर गतिविधि पर दृष्टि रखता है। उसकी सभी फोन कॉल्स सुनता है, सभी चैट्स पढ़ता है। उसके कम्प्यूटर के सारे डेटा को एक्सिस करने लगता है। इंटरनेट पर उसकी हर गतिविधि पर नजर रखता है।
एक दिन नेला को जो के लापता होने की सूचना मिलती है। इसी को लेकर नेला फिर से बीना से मिलती है, जहां उसे पता चलता है कि जो एक बहुत बड़ी फिनटेक कंपनी के डेटा स्कैम को उजागर करने के लिए काम कर रहा था। उस कंपनी के डेटा एनालिस्ट के साथ मिल कर वह इस घोटाले का पर्दाफाश करना चाहता था ताकि वह लोगों की इंटरनेट सिक्योरिटी को बचा सके। परन्तु जो मारा जाता है। मरने से पहले वह अपना एक वीडियो बनाता है, जिसमें वह सभी प्रमाणों के साथ इस कंपनी के घोटालों का पर्दाफाश कर देता है। इसी वीडियो से नेला को पता चलता है कि वह जिस AI सहयोगी की सहायता लम्बे समय से ले रही है, वह इसी कंपनी का है। नेला उस एप से लॉग आउट कर उस वीडियो को अपने चैनल पर अपलोड कर देती है। परन्तु तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। नेला के कम्प्यूटर से लेकर उसकी ईमेल व सोशल मीडिया सब पर उस कंपनी का कब्जा हो चुका होता है। वह कंपनी Artificial Intelligence की ही सहायता से उस वीडियो में फेरबदल कर ऐसा बना देती है, जिसमे जो अपनी मौत का जिम्मेदार नेला को बता रहा है। नेला गिरफ्तार हो जाती है और कानूनों व अदालतों में लम्बे समय तक के लिए फंस जाती है। फिल्म का अंत क्या हुआ, यह बताना ठीक नहीं होगा।
AI के शुरुआती दौर में संभवत: यह पहली भारतीय फिल्म है। शायद इस जनर में अब तक ऐसी फिल्म यहां ना बनी हो। फिल्म का बजट बहुत अधिक नहीं लगता। पूरी फिल्म में शायद बहुत थोड़े से दृश्यों को ही किसी सिनेमैटिक कैमरा से शूट किया गया हो। क्योंकि 80% से अधिक फिल्म केवल फोन, लैपटॉप या टैबलेट की स्क्रीन रिकार्डिंग्स हैं। इन स्क्रीन रिकार्डिंग्स को वास्तविक दिखाने के लिए इन्हें बिल्कुल वैसा ही रखा गया है जैसा हम किसी ना किसी एप के माध्यम से अपनी स्क्रीन रिकार्डिंग करते हैं। वीडियो कॉल्स के दृश्य भी बिल्कुल ऐसे ही लगते हैं जैसे हमारे स्मार्टफोन में दिखता है। यह प्रयोग अच्छा लगा। शायद इसीलिए नेटफ्लिक्स ने इसे अपने प्लेटफार्म पर स्थान दिया। अन्यथा नेटफ्लिक्स सिनेमैटिक कैमरा के बिना किसी फिल्म को नहीं लेता।
फिल्म में अनन्या पांडे के अतिरिक्त कोई बड़ा नाम नहीं है। अनन्या पांडे का काम काफी अच्छा रहा इस फिल्म में। इस प्रकार के गंभीर अभिनय में इससे पहले अनन्या कभी दिखी हों, ऐसा मुझे याद नहीं। जो के किरदार में विहान ने भी अच्छा काम किया है। शायद यह विहान की पहली फिल्म हो। शेष सभी लोगों का स्क्रीन टाइम बहुत कम है। फिल्म में केवल अनन्या और विहान ही अधिक दिखे।
एक बात अजीब लगी, शायद यह कोई प्रोपगंडा हो। फिल्म के अंत मे एक सीन में दुकानों पर लगे QR कोड दिखाए गए हैं, जो उसी कंपनी के हैं, जिसने जो को मरवाया था। ये QR कोड बिल्कुल ऐसे लगते हैं जैसे हम अक्सर पेटीएम, फोनपे आदि के देखते हैं। फिल्म के एक सीन में जो द्वारा ‘डिजिटल इंडिया’ पर प्रहार करते हुए भी दिखाया गया है। प्रोडक्शन कंपनी का नाम भी अजीब लगा, Saffron and Andolan Production. इससे पहले मैंने इसके बारे में नहीं सुना था।
साइबर सिक्योरिटी एक बड़ा गंभीर विषय है। हां, हम जिस युग में जी रहे हैं, वहां Artificial Intelligence की आवश्यकता है। डिजिटल दुनिया की भी आवश्यकता है। परन्तु इसके लिए किसी एक देश ही नहीं, अपितु समूचे विश्व को विचार करना होगा कि इस डिजिटाइजेशन का दुरुपयोग उपभोक्ता के साथ ना हो। उसकी निजता का सम्मान किया जाना चाहिए। ऐसे में वैश्विक स्तर पर कठोर कानून बनाए जाने चाहिए। इंटरनेट, सोशल मीडिया एवं विभिन्न एप्प्स के ऊपर नियंत्रण होना आवश्यक है ताकि वे हमारी जासूसी ना करें। किसी भी एप पर लॉग इन करते समय हम उसकी Terms and Conditions नहीं पढ़ते। पढ़ी भी नहीं जा सकतीं और जो लोग अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं, वे उन्हें समझ भी नहीं सकते। ऐसे में किसी भी कंपनी को ऐसे अधिकार दिए जाने की आवश्यकता ही क्या है, यहां वह आपके निजी जीवन में झांक सके? जब मुझे किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कुछ अपलोड करना होता है तो वह प्लेटफार्म मुझसे मेरी स्टोरेज का एक्सिस मांगता है और ना चाहते हुए भी मुझे देना पड़ता है। जबकि इससे बचा सकता था। बिना एक्सिस मांगे भी डेटा अपलोड किया जा सकता है। अधिकतर मामलों में इस ताका झांकी की आवश्यकता होती ही नहीं परन्तु फिर भी ये सब हो रहा है क्योंकि आज डेटा एक बहुत बडा धर भी है और हथियार भी।
जो भी हो, एक बार इस फिल्म को देखा जा सकता है।