साइबर अपराध का नया गढ़ बना राजस्थान का भरतपुर

साइबर अपराध का नया गढ़ बना राजस्थान का भरतपुर

साइबर अपराध का नया गढ़ बना राजस्थान का भरतपुरसाइबर अपराध का नया गढ़ बना राजस्थान का भरतपुर

जयपुर। गत वर्ष हुए एक अध्ययन के अनुसार राजस्थान का भरतपुर क्षेत्र साइबर अपराध का नया केंद्र बन चुका है। आईआईटी कानपुर द्वारा संचालित स्टार्टअप फ्यूचर क्राइम रिसर्च फाउंडेशन (एफसीआरएफ) के इस अध्ययन के अनुसार, राजस्थान का भरतपुर और उत्तर प्रदेश का मथुरा अब साइबर अपराधों के मामले में झारखंड के जामताड़ा और हरियाणा के नूंह का स्थान ले चुका है। स्टार्ट अप के श्वेत पत्र ‘भारत पर साइबर अपराध के प्रभाव की गहरी पड़ताल’ में बताया गया है कि देश में होने वाले साइबर अपराधों में 80% मामले भरतपुर, अलवर , मथुरा, नूंह, देवघर, जामताड़ा, गुरुग्राम, बोकारो, कर्माटांड और गिरिडीह जिलों के हैं।

भरतपुर क्षेत्र में पुलिस की कार्रवाई से साइबर ठगी के मामलों में गिरावट देखी गई है और पुलिस के भय के चलते साइबर ठग क्षेत्र को छोड़कर अन्य जगह जा रहे हैं। गत माह की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन एंटीवायरस अभियान के अंतर्गत डीग जिला पुलिस ने 23 साइबर ठगों को पकड़ा है, जिनमें 5 नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस ने इनसे 46 मोबाइल सिमकार्ड सहित, 6 मोबाइल सिम, 1 एटीएम, 3 चेकबुक, 4 जमीनों के कागजात, क्रेटा कार, 1 ट्रैक्टर व 2 बाइक जब्त की हैं। आरोपी अब तक 1 हजार से अधिक लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं।

भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि इस अभियान के चलते साइबर ठगी के मामलों में 33.89% कमी आई है। डीग जिले के मेवात क्षेत्र में फरवरी माह में 6530 मामले थे, जबकि एंटीवायरस अभियान के बाद अप्रैल माह में मामलों की संख्या 4317 रह गई है। एंटीवायरस अभियान के अंतर्गत मार्च और अप्रैल माह में 51 केस दर्ज हुए व 133 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किए गए अपराधियों के कब्जे से 28.60 लाख रुपए जब्त किए गए हैं। 252 मोबाइल, 134 एटीएम कार्ड, 294 सिम कार्ड, 9 माइक्रो एटीएम, 6 स्वेप मशीन, 25 कार, 6 लैपटॉप, 6 कम्प्यूटर, एक टैबलेट, 28 पास बुक्स, 37 चेक बुक, एक रुपए गिनने की मशीन, 5 पिस्तौल के साथ 6 कोर्टेज को बरामद किया जा चुका है।

साइबर क्राइम क्या है?

साइबर अपराध एक ऐसा अपराध है जो कम्प्यूटर और नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। इसमें गैरकानूनी रूप से किसी की निजी जानकारी प्राप्त करना, जानकारी मिटाना, उसका गलत प्रयोग करना, उसमें फेरबदल करना, ऑनलाइन बैंक खातों से पैसे चुराना आदि सम्मिलित हैं। इनमें हैकिंग, फ़िशिंग, पहचान की चोरी, फिरौती मांगना और मैलवेयर हमले आदि शामिल हैं। साइबर अपराध की पहुंच की कोई भौतिक सीमा नहीं है क्योंकि ये अपराध इंटरनेट पर अंजाम दिए जाते हैं। राजस्थान में साइबर अपराध के मामले गंभीर समस्या बनते जा रहे हैं। इनमे बैंक खातों से पैसों का हेरफेर सबसे बड़ी समस्या है। भरतपुर सहित कई शहर और गाँव इन अपराधों के अड्डे बन चुके हैं। इस संदर्भ में भारत में राजस्थान का चौथा स्थान है।

साइबर अपराधों के प्रकार

ऑनलाइन धोखाधड़ी: इसमें बैंकिंग धोखाधड़ी, क्रेडिट/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी, और ऑनलाइन शॉपिंग धोखाधड़ी शामिल हैं।

साइबर उत्पीड़न: इसमें सोशल मीडिया पर धमकी देना, अपमानजनक संदेश भेजना, और पीड़ितों की तस्वीरें या वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करना शामिल है।

साइबर चोरी: इसमें कंप्यूटर सिस्टम से डेटा चोरी करना, जैसे बैंक खाता जानकारी, क्रेडिट कार्ड जानकारी और व्यक्तिगत जानकारी शामिल है।

चाइल्ड पोर्नोग्राफी: इसमें बाल यौन शोषण सामग्री का निर्माण, वितरण और कब्जा करना शामिल है।

साइबर अपराधों से बचाव

गूढ़ पासवर्ड का उपयोग करें: अपने सभी ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें। पासवर्ड किसी से भी साझा न करें।

सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग करते समय सावधान रहें: सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करते समय ऑनलाइन बैंकिंग या खरीदारी जैसी संवेदनशील गतिविधियों से बचें।

अपने सॉफ़्टवेयर को अपडेट रखें: अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर को नवीनतम बैच के साथ अपडेट रखें।

अज्ञात ईमेल या लिंक पर क्लिक न करें: अज्ञात स्रोतों से प्राप्त ईमेल या लिंक पर क्लिक करने से बचें, क्योंकि वे मैलवेयर या फ़िशिंग हमलों का कारण बन सकते हैं।

अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने में सावधान रहें: सोशल मीडिया या अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते समय सावधान रहें।

साइबर अपराधियों से निपटने के लिए उपाय

किसी साइबर अपराध का शिकार होने पर भारत सरकार का वेब पॉर्टल नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग आपके बड़े काम आ सकता है। सरकार के इस पोर्टल की सहायता से यूजर को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा मिलती है। इस पोर्टल पर सभी तरह के साइबर अपराध की शिकायत की जा सकती है।

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