सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने दीनानाथ बत्रा को दी श्रद्धांजलि
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने दीनानाथ बत्रा को दी श्रद्धांजलि
जयपुर। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पूर्व अध्यक्ष और शिक्षा बचाओ आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक, प्रेरणादायी शिक्षक, महान शिक्षाविद् और अपना सर्वस्व शिक्षा को समर्पित करने वाले दीनानाथ बत्रा का गुरुवार, 7 नवंबर 2024 को आकस्मिक निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी, न्यास के समस्त कार्यकर्ताओं एवं देश भर के शिक्षाविदों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भी दीनानाथ बत्रा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि अपना सर्वस्व शिक्षा को समर्पित करने वाले शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संस्थापक अध्यक्ष व शिक्षा बचाओ आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक मा. दीनानाथ बत्रा जी के निधन का समाचार अत्यन्त दुःखद है। वे एक आदर्श शिक्षक और उच्च कोटि के शिक्षाविद थे। शिक्षा क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है। विशेषकर पाठ्यक्रमों में इतिहास की विकृतियों को दूर करने के लिए वे सतत् प्रयत्नशील रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है एवं ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और सद्गति प्रदान करें।
दीनानाथ बत्रा का जन्म 5 मार्च 1930 को डेरा गाजीखान में हुआ था, जो अब वर्तमान पाकिस्तान में है। लाहौर विश्वविद्यालय में पढ़ाई के बाद उन्होंने अध्यापन कार्य शुरू किया। वे कुरुक्षेत्र के श्रीमद भागवत गीता कॉलेज में प्रधानाचार्य भी रहे। दीनानाथ बत्रा शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के माध्यम से शिक्षा में बदलाव के आंदोलन के ध्वजवाहक रहे। वे 1955 से 1965 तक डीएवी विद्यालय डेराबस्सी पंजाब तथा गीता वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कुरुक्षेत्र में सन् 1965 से 1990 तक प्राचार्य रहे। बत्रा ने हरियाणा शिक्षा बोर्ड की पाठ्य योजना, दिल्ली शिक्षा बोर्ड, दिल्ली शिक्षा कोड समिति, दिल्ली नैतिक-शिक्षा समिति के सदस्य तथा हरियाणा अध्यापक संघ के महामंत्री के रूप में कार्य किया। वे अखिल भारतीय हिंदुस्तान स्काउट्स गाइड के कार्यकारी अध्यक्ष रहे। दीनानाथ विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण-संस्थान के राष्ट्रीय संस्थान के राष्ट्रीय महामंत्री तथा उपाध्यक्ष रहे। वे विद्याभारती की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा के सुधार के लिए सतत प्रयासरत रहे। वे पंचनद शोध-संस्थान के निदेशक एवं संरक्षक, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कार्यकारिणी के सदस्य, भारतीय शिक्षा शोध-संस्थान, लखनऊ की कार्यकारिणी के सदस्य तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान के अध्यक्ष एवं शिक्षा बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक रहे।
दीनानाथ बत्रा ने बहुत सी पुस्तकें लिखीं, जिनमें से कुछ हैं- शिक्षा का भारतीयकरण, तेजोमय भारत, प्ररेणादीप – भाग 1, 2, 3 और 4, विद्यालय : प्रवृत्तियों का घर, शिक्षण में त्रिवेणी, शिक्षा परीक्षा तथा मूल्यांकन की त्रिवेणी, वैदिक गणित, आचार्य का आचार्यत्व जागे, वीरव्रत परम सामर्थ्य, आत्मवत् सर्वभूतेषु, माँ का आह्वान, पूजा हो तो ऐसी, हमारा लक्ष्य, विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण, विद्यालय गतिविधियों का आलय, चरित्र-निर्माण तथा व्यक्तित्व के समग्र विकास का पाठ्यक्रम।
दीनानाथ बत्रा को शिक्षा विषयक उनके उत्कृष्ट कार्यों के चलते अनेक सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए। इनमें प्रमुख रूप से भारत स्काउट्स, हरियाणा में महामहिम राज्यपाल द्वारा ‘मेडल ऑफ मैरिट’, हरियाणा शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रशंसा प्रमाण-पत्र, श्रेष्ठ शिक्षक हेतु सम्मान, अध्यापन के क्षेत्र में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार, भारत विकास परिषद् हरियाणा उत्तर क्षेत्र द्वारा प्रशस्ति-पत्र, स्वामी कृष्णानंद सरस्वती सम्मान-2010, बीकानेर सम्मान-पत्र, साहित्य श्री सम्मान-2012, स्वामी श्री अखण्डानन्द सरस्वती 9.विशिष्ट व्यक्तित्व अलंकरण आदि हैं।