ब्रज संवादोत्सव: छाए रहे डीप स्टेट, वोकिज्म और सांस्कृतिक मार्क्सवाद जैसे मुद्दे
ब्रज संवादोत्सव: छाए रहे डीप स्टेट, वोकिज्म और सांस्कृतिक मार्क्सवाद जैसे मुद्दे
भरतपुर। 9 और 10 नवम्बर को भरतपुर में ब्रज संवादोत्सव का दूसरा संस्करण आयोजित हुआ। पहला दिन साहित्य और समसामयिक मुद्दों पर गहन चर्चाओं से सराबोर रहा। प्रथम दिवस के प्रथम सत्र की शुरुआत चर्चित उपन्यासकार मुरारी गुप्ता के बहुचर्चित उपन्यास “सुगंधा – एक सिने सुंदरी की त्रासद कथा” पर चर्चा से हुई। इस सत्र में साहित्य समालोचक विक्रांत सिंह ने उपन्यास की भूमिका पर चर्चा करते हुए इसे सिनेमाई विश्व की स्याह सच्चाई का दर्पण बताया। मुरारी गुप्ता ने उपन्यास की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह कहानी फिल्मी दुनिया के वास्तविक पात्रों और घटनाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने बताया कि उपन्यास में नेपोटिज्म, अंडरवर्ल्ड और सिनेमा के आतंकवाद से रिश्ते जैसे विषयों को उभारा गया है। विक्रांत सिंह ने इसे एक बड़े कैनवास पर लिखा गया उपन्यास बताया, जो समाज की वास्तविकताओं को रेखांकित करता है।
दूसरे सत्र में “डीप स्टेट, वोकिज्म और सांस्कृतिक मार्क्सवाद” जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चाएं हुईं। इस सत्र में वक्ता रश्मि सामंथ, अंशुल सक्सेना और अमित झालानी ने अपनी गहरी अंतर्दृष्टि साझा की।
रश्मि सामंथ ने कहा कि किस प्रकार डीप स्टेट भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों में फेक नैरेटिव फैलाकर सांस्कृतिक और सामाजिक विभाजन पैदा करता है। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता और समरसता को जानबूझकर विभाजन का आधार बनाया जा रहा है।
अंशुल सक्सेना ने डीप स्टेट द्वारा चलाए जा रहे वैश्विक षड्यंत्रों के उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे यह सोशल मीडिया के माध्यम से भारत विरोधी प्रचार करता है। उन्होंने फेक नैरेटिव के माध्यम से भारत की संस्कृति और राजनीति पर पड़ने वाले प्रभावों की गहराई से चर्चा की।
तीसरे सत्र में “फेक नैरेटिव और सोशल मीडिया का प्रभाव” विषय पर चर्चा हुई। वक्ताओं में योगेश राजपुरोहित, अंशुल सक्सेना और जितेश जेठानंदानी शामिल रहे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार सोशल मीडिया पर झूठे नैरेटिव फैलाकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। उदाहरण के रूप में, जालौर मटका कांड और कश्मीर से धारा 370 हटाने जैसे मुद्दों पर झूठे प्रोपेगेंडा चलाए गए।
ब्रज संवादोत्सव का पुस्तक मेला भी सभी के लिए आकर्षण का केंद्र रहा, जिसमें 5 हजार से अधिक पुस्तकों का संग्रह था। देशभर के प्रमुख प्रकाशकों ने अपनी स्टॉल लगाई। मेले में धार्मिक, सामाजिक, मोटिवेशनल और अन्य अनेक विषयों पर पुस्तकें उपलब्ध थीं। बड़ी संख्या में लोगों ने पुस्तक मेले का अवलोकन किया और अपने पसंदीदा विषयों की पुस्तकें खरीदीं। मेले में आए लोगों का कहना था कि ब्रज संवादोत्सव साहित्य, संस्कृति और समसामयिक विषयों पर विचार-विमर्श का एक अद्भुत मंच बन गया है, जो पाठकों और विचारकों को जोड़ने का काम कर रहा है।