गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण की मांग बढ़ी

गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण की मांग बढ़ी

गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण की मांग बढ़ीगीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण की मांग बढ़ी

सनातन धर्म सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो रहा है। लोग इसे गहराई से समझना चाहते हैं। यही कारण है कि विदेशों में गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करणों की मांग लगातार बढ़ रही है। गीता प्रेस 3 मई 1923 से धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन कर रहा है। इनमें ‘श्रीमद्भग्वद गीता’ के अलावा महा शिवपुराण, रामचरितमानस समेत अनेक पुस्तकें हैं, जिनके हिन्दी संस्करण सबसे अधिक बिकते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से इन पुस्तकों के अंग्रेजी संस्करण की मांग तेजी से बढ़ी है। 

पाठकों के इस रुझान को देखते हुए गीता प्रेस अब विदेशों में हनुमान चालीसा व सुंदरकांड के अंग्रेजी संस्करण की लगभग 50 हजार प्रतियां प्रति माह भेज रहा है। ज्ञात हो कि गीता प्रेस द्वारा 15 भाषाओं में धार्मिक पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है। प्रेस के मैनेजर लालमणि तिवारी बताते हैं कि हिन्दी में छपी चौपाई के ऊपर उसे अंग्रेजी में भी लिखा जाता है, इससे इन पुस्तकों को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों के पाठक आसानी से पढ़ सकते हैं। तिवारी बताते हैं कि, श्रद्धालुओं की मांग पर विभिन्न भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं। गीता प्रेस की पुस्तकें बेहद सस्ती होती हैं। हनुमान चालीसा का दाम 8 रुपए है तो, सुंदरकांड की कीमत मात्र 30 रुपए है।

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