सच की आड़ में सफेद झूठ परोसने में कुशल ध्रुव राठी 

सच की आड़ में सफेद झूठ परोसने में कुशल ध्रुव राठी 

आशीष कुमार ‘अंशु’

सच की आड़ में सफेद झूठ परोसने में कुशल ध्रुव राठी सच की आड़ में सफेद झूठ परोसने में कुशल ध्रुव राठी 

इस बात का 2024 के लोकसभा चुनाव में कई लोगों ने उल्लेख किया कि सोशल मीडिया पर भारतीय जनता पार्टी की उपस्थिति कहीं दिखाई नहीं दी। जिस पार्टी के आईटी सेल का डंका बजता था। आरएसएस और बीजेपी से घृणा करने वाला पूरा गिरोह जिसके भय से आक्रांत रहता था। उस आईटी सेल की आवाज सोशल मीडिया पर ना के बराबर थी। इस चुनाव में सबसे अधिक जिस नाम ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया, वह ध्रुव राठी था। उसके वीडियो पर इकट्ठे हुए व्यूज, रवीश कुमार, अजित अंजुम, अभिसार शर्मा, आरफा खानम, पूण्य प्रसून वाजपेयी, आकाश बनर्जी, साक्षी जोशी से कई गुना अधिक होते हैं। जबकि यह पूरा गिरोह चुनाव से पहले भी और चुनाव के दौरान भी इंडी अलायंस के आईटी सेल के एक्सटेंडेड समूह की तरह ही काम कर रहा था। जैसे-जैसे देश चुनाव की प्रक्रिया में शामिल हुआ, इन्होंने कथित निष्पक्षता की चादर उतार कर कांग्रेसनामी चादर ओढ़ ली।

पत्रकार प्रमोद रंजन, ध्रुव राठी और रवीश कुमार दोनों के प्रशंसक हैं और उस गिरोह से सम्बंध रखते हैं जो बीजेपी से घृणा करता है। प्रमोद ध्रुव और रवीश के योगदान की 2024 के संदर्भ में प्रशंसा करते हुए बताते हैं कि रवीश कुमार से अच्छी पत्रकारिता ध्रुव ने की। यह बात अधिक महत्वपूर्ण इसलिए है कि यह रवीश की विचारधारा का पत्रकार कह रहा है। प्रमोद लिखते हैं कि रवीश का सत्ता विरोधी होना ठीक है, लेकिन उन्हें इंडी अलायंस का सीधे तौर पर पक्ष नहीं लेना चाहिए। प्रमोद को पढ़ते हुए पीके फिल्म का वह दृश्य सामने था, जिसमें आमिर खान का किरदार एक रेडियो लेकर खड़ा है और उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान रवीश ने अपने हाथों में पड़ा वह रेडियो भी उछालकर फेंक दिया। इस बात को उनके निकटस्थ मित्र भी अब स्वीकार रहे हैं।

ध्रुव राठी भारत में नहीं रहता। कम वीडियो बनाता है। लेकिन सच यह भी है कि इंडी अलायंस के बचाव में उसने अपनी निष्पक्षता को दर्जनों बार तार-तार किया है। यह बात सब जानते हैं कि उसने आम आदमी पार्टी के आईटी सेल के लिए काम किया है। आम आदमी पार्टी के लिए उसने वीडियो बनाए हैं। वह आम आदमी पार्टी की व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ही असिस्टेंट प्रोफेसर हुआ करता था। वह वीडियो संपादित करता था और पार्टी के व्हाट्सएप समूह में अपने वीडियो शेयर भी किया करता था। इन दिनों वह व्हाट्सएप पर अपनी यूनिवर्सिटी चला रहा है। जहां 40 लाख से अधिक सदस्य उसने जोड़ रखे हैं। इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से उसने जमकर इंडी अलायंस का चुनाव प्रचार किया। ध्रुव की यूनिवर्सिटी में 2024 में भाजपा को जीत ना मिले, इसके लिए प्रोपेगेंडा वॉर की तैयारी हुई। नैतिकता के बड़े-बड़े लेक्चर देने वाला ध्रुव राठी कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए अपनी व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में बच्चों का उपयोग कर रहा था। इस बात का किसी राजनीतिक दल ने संज्ञान नहीं लिया।

ध्रुव का आम आदमी पार्टी वॉलंटियर होना, उसके इंडिपेंडेंट ब्लॉगर पर हर बार हावी पड़ जाता है। फिर भी उसकी ब्रांडिंग इंडिपेंडेंट पालिटिकल इंफ्लुएंसर के तौर पर उसका वामपंथी इको सिस्टम करता रहा है। वैसे भी यह तो इनके गिरोह का स्वभाव है, ये अपने समूह के सदस्यों का विज्ञापन निष्पक्ष बताकर ही करते हैं।

जैसा रवीश कुमार ने ध्रुव राठी का साक्षात्कार एनडीटीवी के अपने प्राइम टाइम शो में लेते हुए किया, जबकि वे जानते थे कि ध्रुव राठी आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है, लेकिन रवीश कुमार इस बात को छुपा गए। दर्शकों के सामने उन्होंने इस बात का अनुमान तक न लगने दिया। जैसे आइसा से ताल्लुक रखने वाले रवीश कुमार के मित्र फिल्मकार अविनाश दास ने कभी इस बात को जाहिर नहीं होने दिया कि रवीश ‘जेएनयू वाले’ दिनों में आइसा के संपर्क में थे। जेएनयू वाले दिन यानि जब रवीश अपने मित्र के साथ विश्वविद्यालय के छात्रावास में गेस्ट बनकर रुकते थे। आज भी आइसा एसएफआई से निकले कार्यकर्ता बड़ी संख्या में निष्पक्ष पत्रकार बनकर मीडिया का हिस्सा हैं। एक दूसरे के लिए दिल्ली से लेकर भोपाल तक जगह बना रहे हैं। 2014 तक तो मीडिया में उनका एकछत्र राज था। पत्रकार से लेकर सम्पादक तक सब वामोन्मुख थे।

वर्ष 2014 में पहली बार पत्रकारिता में वामपंथी वर्चस्व को चुनौती मिली तो निष्पक्षता के आवरण में छुपे सारे पत्रकार बौखला गए। इसी बौखलाहट में गोदी मीडिया शब्द की उत्पत्ति हुई, जबकि रवीश कुमार और अजित अंजुम का चैनल हमेशा कांग्रेस की गोदी में ही रहा। यह बात लुटियन दिल्ली से लेकर खान मार्केट गैंग तक किसी से छुपी नहीं है।

ध्रुव राठी के साथ आम आदमी पार्टी में काम करने वाले कई कार्यकर्ताओं को उस दिन धक्का लगा होगा, जब आकाश बनर्जी के साथ साक्षात्कारनुमा प्रोमोशनल वीडियो में ध्रुव कहता है कि उस पर आरोप लगाए जाते हैं। वह कहता है कि वह ना किसी राजनीतिक दल का सदस्य है, ना था। इतना ही नहीं, उसने बनर्जी को यह भी कहा कि ना किसी राजनीतिक दल से उसने पैसे लिए और ना किसी राजनीतिक दल ने उसे पैसे दिए, जबकि ध्रुव आम आदमी पार्टी के आईटी सेल का हिस्सा थे। 21 दिसंबर 2014 को ध्रुव ने अरविंद के लिए गीत बनाया, पांच साल केजरीवाल। 09 फरवरी 2015 को आम आदमी पार्टी के ऑफिशियल पेज पर इसका बनाया हुआ गाना शेयर हुआ, जिसके बोल थे आम आदमी आए हैं। यह आम आदमी पार्टी का इतना प्रतिबद्ध कार्यकर्ता है कि ऑड ईवेन का सिस्टम जब दिल्ली में लागू हुआ, तब उसे लागू करने को लेकर कई तरह के प्रश्न उठे थे, उसके बचाव में ध्रुव ने वीडियो बनाया। बाद में जब उसे लगा कि ऐसा करके वह एक्सपोज हो रहा है तो उसने अपना वीडियो प्राइवेट कर लिया। यह केवल एक वीडियो नहीं था। उसने अनर्गल तर्कों के साथ आम आद‌मी पार्टी के नेताओं के ऐसे कई वीडियो बनाए हैं, जिसे बाद में उसे प्राइवेट करना पड़ा। 27 जुलाई 2016 को आम आदमी पार्टी उसे अपना घोषणा पत्र बनाने के लिए आमंत्रित करती है और 12 जनवरी 2017 को आम आदमी पार्टी के आईटी सेल हेड भास्कर इस बात को स्वयं बताते हैं कि ध्रुव उनकी पार्टी की रिसर्च विंग का हिस्सा है। ये सारी बातें पब्लिक डोमेन में होने के बावजूद आकाश बनर्जी प्रश्न नहीं पूछ पाते क्योंकि वे साक्षात्कार नहीं कर रहे थे बल्कि प्रोमोशनल वीडियो बना रहे थे, इसलिए यहां कठिन प्रश्नों की गुंजाइश नहीं थी। ध्रुव का कोई भी साक्षात्कार आप सुशांत सिन्हा, अर्णव गोस्वामी, रुबिका लियाकत या फिर नाविका कुमार के साथ नहीं देख सकते। वह वास्तव में एक भगोड़ा है। वह सबसे पहले देश छोड़कर भागा। जर्मनी में बैठकर देशभक्ति की बातें करता है। लेकिन वह भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व में मतदान के लिए भारत नहीं आया। वह अर्णव, सुशांत, रुबिका के सामने नहीं टिकेगा। वहां से भी भाग खड़ा होगा। इसलिए वह सिर्फ रवीश कुमार, अजित अंजुम, आकाश बनर्जी जैसे सुप्रिया श्रीनेत और पवन खेरा के आईटी सेल के एक्सटेंडेड टीम मेंबर्स से ही बात करता है। इनसे बाहर किसी से बात करेगा तो उसकी सारी पोल पट्टी खुल नहीं जाएगी। इसलिए वह साक्षात्कार सिर्फ अपने इको सिस्टम के लोगों को देता है। जहां पहले से प्रश्न- उत्तर तय होते हैं।

ध्रुव पर जातिवादी होने के गम्भीर आरोप लगे, लेकिन उसने अब तक इस पर प्रतिकिया नहीं दी। उसने आम आदमी पार्टी से अपने रिश्तों पर उत्तर नहीं दिया। उसके लिखे की वजह से उसकी पुरानी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को सर्वोच्च न्यायालय में माफी मांगनी पड़ी, लेकिन ध्रुव राठी को इस बात पर भी शर्मिंदगी नहीं हुई। वह यू ट्यूब के माध्यम से जितने पैसे इन दिनों कमा रहा है, वह किसी दूसरे काम को करके कभी नहीं कमा सकता था।

इस समय हम सबके लिए चिंता की बात यह होनी चाहिए कि ध्रुव राठी जैसे लोग अफवाह को सच की तरह अपने इको सिस्टम के माध्यम से जिस गति से फैला देते हैं, उनका सारा सच सार्वजनिक होने के बावजूद उन लोगों तक क्यों नहीं पहुंच पाता, जो ध्रुव जैसों को निष्पक्ष और स्वतंत्र माने बैठे हैं।

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