क्या बांग्लादेश में बगावत के पीछे राहुल गांधी की भी भूमिका है?
क्या बांग्लादेश में बगावत के पीछे राहुल गांधी की भी भूमिका है?
क्या बांग्लादेश में हुई बगावत के पीछे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की कोई भूमिका है? यह प्रश्न उस सनसनीखेज खुलासे से उठ रहा है जो बांग्लादेश के चर्चित साप्ताहिक समाचार पत्र ब्लिट्ज के संपादक सलाउद्दीन शोएब चौधरी ने हाल ही में किया है।
दरअसल राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर 8 अगस्त को एक पोस्ट डाली, जिसमें बांग्लादेश के नव नियुक्त अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को बधाई देते हुए उन्होंने लिखा – “बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को बधाई। शांति और सामान्य स्थिति की शीघ्र बहाली समय की मांग है।”
इसके उत्तर में बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार और ब्लिट्ज के संपादक सलाउद्दीन शोएब चौधरी ने भी एक पोस्ट एक्स पर शेयर की, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी की पोस्ट को टैग करते हुए लिखा- “हां, मुझे पता है कि आप बांग्लादेश को नव-तालिबान राज्य में बदलकर अस्थिर करने और उसके बाद भारत को अस्थिर करने और नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के अपने गुप्त षड्यंत्र की सफलता का उत्सव मना रहे हैं। आपने अभी तक लंदन में बीएनपी नेता तारिक रहमान के साथ अपनी गुप्त बैठक के बारे में मेरे खुलासे का कोई उत्तर नहीं दिया है। इसके अलावा आपने बांग्लादेश में चल रहे हिन्दू उत्पीड़न के बारे में भी एक शब्द नहीं कहा है। आखिर क्यों? शायद आपके लिए हिन्दू जीवन कोई मायने नहीं रखता, है ना?” सलाउद्दीन शोएब चौधरी ने अपना यह बयान 9 अगस्त को रिपब्लिक टीवी में अर्णव गोस्वामी के डिबेट शो में भी दोहराया। लेकिन कांग्रेस या राहुल गांधी की ओर से अभी तक इन सारे प्रश्नों पर कोई उत्तर नहीं आया है।
दरअसल सलाउद्दीन चौधरी राहुल की लंदन में जिस तारिक रहमान से मुलाकात का उल्लेख कर रहे हैं, वह बांग्लादेश की विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का बड़ा बेटा है और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी का कार्यवाहक अध्यक्ष है। आरोप है कि बांग्लादेश में विद्रोह कराने और सरकार के विरोध को हवा देने के पीछे लंदन में बैठे इस नेता का बड़ा हाथ है। मीडिया में चर्चा इस बात की भी है कि लंदन में मुलाकात के दौरान राहुल गांधी की बांग्लादेश के घटनाक्रम को लेकर तारिक रहमान से लंबी बात हुई थी और पत्रकार सलाउद्दीन के अनुसार राहुल ने उस चर्चा में कथित तौर पर बांग्लादेश को अस्थिर करने की योजना का परोक्ष समर्थन किया था।
इधर भारत में यह प्रश्न बहुत जोर शोर से उठ रहा है कि संसद में स्वयं को हिन्दुओं का हिमायती बताने वाले और मोहब्बत की दुकान चलाने वाले राहुल गांधी आखिर बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अमानवीय अत्याचार और हिंसा पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। और यदि बांग्लादेश के वरिष्ठ संपादक सलाउद्दीन चौधरी की बात सच है तो भारत सरकार को भी इस बात की उच्च स्तरीय जांच पर सोचना चाहिए कि राहुल गांधी ने लंदन जाकर बांग्लादेश के विपक्षी नेता से क्या सचमुच भारत के पड़ोस में अस्थिरता को बढ़ावा देने वाली हरकतों के प्रति समर्थन जताया था। पाठकों को हम यह भी बता दें कि तारिक रहमान पर 2004 में शेख हसीना पर जानलेवा हमला करवाने का भी आरोप है। हसीना उस समय विपक्ष की नेता थीं और बाल-बाल बची थीं। तारिक बाद में लंदन भाग गया था। इस मामले को लेकर तारिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। तारिक लंदन में रहकर शेख हसीना सरकार के विरुद्ध बगावत के षड्यंत्र को अंजाम दे रहा था। बांग्लादेश में हुए पिछले चुनाव का बीएनपी ने बहिष्कार किया था और अवामी लीग की नेता शेख हसीना की जीत के बाद बीएनपी ने बांग्लादेश से भारतीयों को बाहर करने के लिए अभियान चलाया था, जिसकी अगुवाई तारिक रहमान कर रहा था। आरोप है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रही हिंसा और अत्याचार के पीछे भी यही अभियान है। ऐसे में एक हिन्दू विरोधी नेता से राहुल गांधी की लंदन में हुई गुपचुप मुलाकात कई संदेहों को जन्म देती है और यह प्रश्न भी खड़ा करती है कि क्या भारत और यहां की सरकार के विरुद्ध भी सचमुच कहीं कोई ऐसा षड्यंत्र तो नहीं रचा जा रहा?
(साभार: स्वदेश )