कॉलेज कैंपसों में नशा: इंजेक्टेबल नशे के चलते त्रिपुरा में 828 छात्र HIV पॉजिटिव मिले 

कॉलेज कैंपसों में नशा: इंजेक्टेबल नशे के चलते त्रिपुरा में 828 छात्र HIV पॉजिटिव मिले 

कॉलेज कैंपसों में नशा: इंजेक्टेबल नशे के चलते त्रिपुरा में 828 छात्र HIV पॉजिटिव मिले कॉलेज कैंपसों में नशा: इंजेक्टेबल नशे के चलते त्रिपुरा में 828 छात्र HIV पॉजिटिव मिले 

हाल ही में त्रिपुरा एड्स कंट्रोल सोसायटी (TSACS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने राज्य में छात्रों में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामलों का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में अब तक 828 छात्र एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से 47 की इस बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी है।

TSACS के वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि इन 828 छात्रों में से 781 अब भी जीवित हैं और उनका इलाज चल रहा है। चिंता का विषय यह है कि कई संक्रमित छात्र पढ़ाई के लिए देशभर के विभिन्न संस्थानों में दाखिला लेकर त्रिपुरा से बाहर जा चुके हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है।

कैसे फैला एचआईवी संक्रमण?

TSACS की रिपोर्ट में बताया गया है कि त्रिपुरा के 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों के छात्रों के बीच इंजेक्शन वाले ड्रग्स का सेवन करने का चलन बढ़ रहा है, जो एचआईवी संक्रमण के फैलने का प्रमुख कारण है। TSCS के ज्वाइंट डायरेक्टर ने ANI को जानकारी दी कि राज्य के सभी ब्लॉकों और उपमंडलों से रिपोर्ट इकट्ठा करने के बाद यह जानकारी साझा की गई है।

संक्रमण का मुख्य कारण

एचआईवी संक्रमण का मुख्य कारण संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध बनाना और संक्रमित इंजेक्शन या नीडल का उपयोग करना है। ड्रग्स लेने वाले अक्सर नीडल्स साझा करते हैं, जो एचआईवी संक्रमण का एक प्राथमिक कारण है। इससे वायरस सीधे ब्लड में पहुंचता है।

समृद्ध परिवारों के बच्चे अधिक प्रभावित 

रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि एचआईवी पॉजिटिव अधिकांश छात्र संपन्न परिवारों से हैं। माता-पिता मुंह मांगी रकम बच्चों को भेजते हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसे परिवारों में छोटा मोटा नशा आधुनिक जीवन शैली की श्रेणी में आता है। ऐसे में बच्चा कब खतरनाक नशे की ओर उन्मुख हो जाता है कई बार माता पिता को पता भी नहीं चलता। जीवन हाथ से फिसल जाएगा इसका अनुमान बच्चों को भी नहीं होता।

लेकिन दुख की बात यह है कि युवाओं में नशे की समस्या सिर्फ त्रिपुरा तक सीमित नहीं है, देश का लगभग हर राज्य इससे जूझ रहा है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा के बाद राजस्थान भी बुरी तरह इसकी चपेट में है। जोधपुर कमिश्नरेट की ओर से हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 17 जिले एमडी ड्रग की चपेट में हैं। यह नशा मुंबई जैसे शहरों में उच्च आय वर्ग के लोगों से मारवाड़ के मुंबई प्रवासियों की पहुंच में आया है। अब राजस्थान के जालोर, सांचोर, बाड़मेर, जोधपुर व फलोदी इसके गढ़ बन गए हैं। पिछले दिनों जोधपुर के आईआईटी, एनएलयू, एफडीडीआई जैसे संस्थानों में सप्लाई की जाने वाली नशे की खेप पकड़ी गई थी। राजस्थान में कॉलेज छात्रों में इंजेक्टेबल ड्रग्स का चलन भी बढ़ रहा है। इसको देखते हुए सरकार को त्रिपुरा के मामले से सबक लेना चाहिए। प्रदेश में वर्तमान में 50 हजार से अधिक एड्स रोगी हैं। देश में इसका 12वां स्थान है। यहां हर वर्ष इस बीमारी से औसतन 280 लोगों की मौत हो जाती है।

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