मोटापे की महामारी से निपटना होगा

मोटापे की महामारी से निपटना होगा

अमित बैजनाथ गर्ग

मोटापे की महामारी से निपटना होगामोटापे की महामारी से निपटना होगा

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में देश और दुनिया में तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि खाने में ऐसी चीजों का प्रयोग मत कीजिए, जिससे मोटापा बढ़े। इनके स्थान पर शुद्ध सात्विक वस्तुओं का सेवन करें। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ राष्ट्र बनाने के लिए हमें मोटापे की समस्या से निपटना ही होगा। मोटापे से मुक्ति पाना व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह परिवार के प्रति भी हमारा दायित्व है। उन्होंने खाने में तेल का उपयोग कम करने की सलाह देते हुए कहा कि यह कई बीमारियों का कारण बनता है। इससे मोटापे के साथ ही डायबिटीज, बीपी और हृदय रोगों का खतरा लगातार बना रहता है, इसलिए हमें तेल के अधिक प्रयोग से बचना बहुत आवश्यक है। पीएम मोदी पहले भी मोटापा कम करने के लिए कह चुके हैं। इससे एक बार फिर महामारी बनती मोटापे की बीमारी पर देशभर में चर्चा छिड़ गई है। एक्सपर्ट लगातार इस पर चर्चा करते हुए मोटापे से बचने की सलाह दे रहे हैं।

दुनियाभर के लिए मोटापा कितना गंभीर रोग बनता जा रहा है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे का शिकार है। स्वास्थ्य को लेकर जारी रिपोर्ट बताती हैं कि देश में महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले मोटापा अधिक है। महिलाओं में मोटापे की दर 9.8 प्रतिशत है। वहीं पुरुषों में यह 5.4 प्रतिशत है, जबकि लड़कियों में मोटापे की दर 3.1 प्रतिशत और लड़कों में 3.9 प्रतिशत है। वहीं बच्चों में भी मोटापा चार गुना तक बढ़ गया है। भारत में 40 प्रतिशत महिलाएं और 12 प्रतिशत पुरुष पेट से जुड़े मोटापे से ग्रस्त हैं। शहरी क्षेत्रों में मोटापा ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में बहुत सारे लोग मोटापे से परेशान हैं। वर्ष 2022 में तो एक अरब से अधिक लोग इस समस्या से जूझ रहे थे। अध्ययन कहता है कि 2022 में अधिक वजन वाले वयस्कों की संख्या लगभग 43 प्रतिशत थी। वहीं यूरोप में अधिक वजन या मोटापा लोगों की मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार, मोटापे के चलते पूरी दुनिया में हर वर्ष 12 लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अधिक वजन वाले और मोटापे से ग्रस्त लोग कोविड महामारी के परिणामों से अलग-अलग रूप से प्रभावित हुए हैं, जिन्हें अक्सर अधिक गंभीर बीमारी और अन्य जटिलताओं का सामना करना पड़ रहा है। अधिक वजन या मोटापे को कम से कम 13 विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण माना जाता है, जो पूरे यूरोप में सालाना कैंसर के कम से कम दो लाख नए मामलों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हो सकता है।

असल में मोटापे को एक जटिल दीर्घकालिक बीमारी समझा जाता है, जो एक संकट बन गया है। यह एक ऐसी महामारी के रूप में उभर रहा है, जिसमें पिछले कुछ दशकों में भारी वृद्धि हुई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैसे तो मोटापे के लिए जिम्मेदार कारणों के साथ-साथ इस संकट को रोकने के लिए आवश्यक साक्ष्य-आधारित कार्यक्रमों की आवश्यकता को भी समझा जाता है, लेकिन समस्या यह है कि उन्हें लागू नहीं किया जाता। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि लगभग सभी देशों की सरकारों और समुदायों को मोटापे पर काबू पाने के वैश्विक लक्ष्यों की पूर्ति करने के लिए कार्रवाई और प्रगति के मार्ग पर वापस लौटना होगा। इन प्रयासों को डब्ल्यूएचओ और राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों की साक्ष्य-आधारित नीतियों का समर्थन देने की भी बात कही गई है। इसमें निजी क्षेत्र के सहयोग की भी आवश्यकता है, जिसे अपने उत्पादों के स्वास्थ्य प्रभावों के लिए उत्तरदायी होना होगा।

वर्ष 2022 में किए गए अध्ययन में सामने आया है कि दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त बच्चों, किशोरों और वयस्कों की कुल संख्या एक अरब से अधिक हो गई है। 2022 में 15.90 करोड़ बच्चे और किशोर तथा 87.90 करोड़ वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2022 में 43 प्रतिशत वयस्क अधिक वजन वाले थे। डब्ल्यूएचओ के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में 190 से अधिक देशों में 1,500 से अधिक शोधकर्ताओं ने पांच वर्ष या उससे अधिक आयु के 22 करोड़ से अधिक लोगों के वजन और ऊंचाई की माप का विश्लेषण किया। उन्होंने यह समझने के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को देखा कि 1990 से 2022 तक दुनिया भर में मोटापा और कम वजन में किस तरह बदलाव आया। अध्ययन में कहा गया है कि 1990 के बाद से कम वजन वाले लोगों की संख्या में गिरावट के साथ-साथ मोटापा अधिकांश देशों में कुपोषण का सबसे आम रूप बन गया है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कुपोषण सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर एक बहुत बड़ी चुनौती बना हुआ है।

द लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के आंकड़ों के अनुसार, 1990 के बाद से मोटापे की चपेट में आने वाले वयस्कों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। वहीं 1990 के बाद से मोटापे की चपेट में आने वाले पांच से 19 वर्ष के बच्चों व किशोरों की संख्या चार गुनी हो गई है, यानी इस आयु की जनसंख्या में मोटापा अपना दायरा बहुत तेजी से बढ़ा रहा है। रिपोर्ट कहती है कि मोटापा कई गैर-संचारी रोगों के खतरे को बढ़ाता है, जिनमें हृदय रोग, टाइप-2 मधुमेह (डायबिटीज) और सांस संबंधी पुरानी बीमारियां शामिल हैं। वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि मोटापे के कारण हृदय रोग, डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, मोटापा हमारे शरीर को भी कमजोर बनाता है। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और चलने-फिरने की क्षमता भी कम हो सकती है। मोटापे के कीरण नींद भी अच्छी नहीं आती और हम प्रतिदिन के काम भी ठीक से नहीं कर पाते।

कई देशों में मोटापा सेहतमंद बनाम गैर सेहतमंद भोजन का मामला भी बन गया है। कुछ मामलों में यह मार्केटिंग कंपनियों की आक्रामक रणनीति भी है, जो गैर सेहतमंद भोजन को बढ़ावा देती है। कई बार सेहतमंद भोजन की कीमत अधिक होने या उपलब्ध न होने पर भी लोग ऐसे भोजन को प्राथमिकता देते हैं, जो मोटापा बढ़ा सकते हैं। एक्सपर्ट कहते हैं कि वे मोटापे के आंकड़े को वर्षों से देखते रहे हैं। वे मोटापे की बढ़ती रफ्तार से आश्चर्यचकित हैं। अब कई और देश लोगों में बढ़ते मोटापे के संकट से जूझ रहे हैं। वे कहते हैं कि उन जगहों की संख्या भी घटी है, जहां लोगों में कम वजन एक समस्या बनती जा रही थी। कुछ एक्सपर्ट मोटापे को दो नई कैटेगरी में बांटने की वकालत भी करते हैं। पहली क्लीनिकल मोटापा, जिसका अर्थ है मोटापे के कारण हमारे शरीर का कोई अंग ठीक से काम नहीं कर रहा है, जैसे कि हृदय, किडनी या लिवर। दूसरी, प्री-क्लीनिकल मोटापा। इसका अर्थ है अभी तक कोई बीमारी नहीं हुई है, लेकिन मोटापे के कारण बीमार होने का खतरा बढ़ गया है।

तेल मोटापे का सबसे बड़ा कारण है। सबसे पहले अपने भोजन में तेल की कटौती करनी होगी। अगर धीरे-धीरे कटौती करेंगे, तो वजन घटेगा। वहीं मोटापे से बचने के लिए अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव करें। प्रतिदिन जितनी कैलोरी बर्न करते हैं, उससे अधिक कैलोरी न खाएं। चीनी-मीठे पेय पदार्थों का सेवन सीमित करें। अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों से परहेज करें। प्रोटीन के स्रोतों जैसे बीन्स, दाल और सोया का सेवन बढ़ाएं। फल, सब्जियां, साबुत अनाज खाएं। भरपूर पानी पिएं। खाने में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। हर सप्ताह तीन से चार दिन औसतन 60 से 90 मिनट या उससे अधिक मध्यम से तीव्र शारीरिक गतिविधि करें। टहलना, सीढ़ियां चढ़ना-उतरना, बगीचे में काम करना, टेनिस खेलना, बाइकिंग, स्केटिंग जैसी गतिविधियां करें। पर्याप्त नींद लें और तनाव प्रबंधन करें। अपने स्वास्थ्य देखभाल के लिए पेशेवरों से सलाह लें। व्यवहार संबंधी उपचार जैसे समूह परामर्श और सत्रों में शामिल हों। ध्यान रखें कि वजन धीरे-धीरे घटाने से वजन को बनाए रखने की संभावना अधिक होती है। इस तरह कुछ बातों का ध्यान रखकर मोटापे की समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है।

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