पापा.. आप बहुत याद आते हैं
अनिल बीएल टाक
पापा… आप बहुत याद आते हैं
पापा…जब आप थे
तब आपको समझ नहीं पाए
आज समझे
तब आप नहीं हैं।
वो कहना, समझाना
रोकना, टोकना तब
फिजूल लगता था,
आज वो ही जीवन की
सफलता का आधार लगता है।
वो बातें संघर्ष की
स्वाभिमान की
एवं संस्कारों की
तब अर्थहीन लगती थीं,
आज जीवन राह पर
वे ही राह प्रशस्ता हैं।
छांव तले तब भी थे
तब आप राह समझाते थे
ना जाने क्यूं हम
चाह कर भी कह ना पाए,
जो प्यार आभार था
वो जता ना पाए।
छांव तले अब भी हैं
अब आपकी यादें
राहें समझाती हैं,
अब किसे कहें
और कैसे कहें
यह सोच कर ही
आंखें भर आती हैं।
आप हमारी प्रेरणा हैं
पापा….
आप हर दिन
बहुत याद आते हैं।