फोर्ट विलियम अब विजय दुर्ग, किचनर हाउस कहलाएगा मानेकशॉ हाउस

फोर्ट विलियम अब विजय दुर्ग, किचनर हाउस कहलाएगा मानेकशॉ हाउस

फोर्ट विलियम अब विजय दुर्ग, किचनर हाउस कहलाएगा मानेकशॉ हाउसफोर्ट विलियम अब विजय दुर्ग, किचनर हाउस कहलाएगा मानेकशॉ हाउस

भारतीय सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय, कोलकाता स्थित फोर्ट विलियम का नाम बदलकर विजय दुर्ग कर दिया गया है। रक्षा मंत्रालय के कोलकाता स्थित प्रमुख जनसंपर्क अधिकारी, विंग कमांडर हिमांशु तिवारी ने इस परिवर्तन की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि फोर्ट विलियम के अंदर स्थित कुछ अन्य ऐतिहासिक संरचनाओं के नाम भी बदले गए हैं।

विंग कमांडर तिवारी के अनुसार, फोर्ट विलियम के अंदर स्थित किचनर हाउस का नाम बदलकर मानेकशॉ हाउस कर दिया गया है, जबकि साउथ गेट, जिसे पहले सेंट जॉर्ज गेट कहा जाता था, अब शिवाजी गेट के नाम से जाना जाएगा।

फोर्ट विलियम का निर्माण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 1696 में शुरू किया गया था और इसे इंग्लैंड के राजा विलियम III के नाम पर रखा गया था। यह किला हुगली नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है और कोलकाता के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। वर्तमान में, यह भारतीय सेना की पूर्वी कमान का मुख्यालय है।

नाम परिवर्तन के पीछे का उद्देश्य औपनिवेशिक नामों को हटाकर भारतीय इतिहास और संस्कृति को सम्मान देना है। विजय दुर्ग, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग तट पर स्थित एक प्राचीन किला है, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के समय में मराठों का एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा था। इसका नाम भारतीय सेना की शक्ति और साहस का प्रतीक है।

किचनर हाउस, जिसे अब मानेकशॉ हाउस के नाम से जाना जाएगा, 1771 में फोर्ट असॉल्ट कंपनी के ब्लॉकहाउस के रूप में बनाया गया था। बाद में, यह ब्रिटिश भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के निवास के रूप में उपयोग किया गया। इसका नाम पहले ब्रिटिश फील्ड मार्शल होराशियो हर्बर्ट किचनर के नाम पर रखा गया था, जो 1902 से 1909 तक इस पद पर रहे थे। अब इसका नाम फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के सम्मान में रखा गया है, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना का नेतृत्व किया था।

साउथ गेट, जिसे पहले सेंट जॉर्ज गेट कहा जाता था, अब शिवाजी गेट के नाम से जाना जाएगा। छत्रपति शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे और भारतीय इतिहास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

फोर्ट विलियम का यह नाम परिवर्तन भारतीय सेना के इतिहास और संस्कृति के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक प्रयास है, जो देश की समृद्ध धरोहर को दर्शाता है।

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