Google ने संस्कृत सहित आठ भारतीय भाषाओं को Google Translate में जोड़ा

Google ने संस्कृत सहित आठ भारतीय भाषाओं को Google Translate में जोड़ा

Google ने संस्कृत सहित आठ भारतीय भाषाओं को Google Translate में जोड़ाGoogle ने संस्कृत सहित आठ भारतीय भाषाओं को Google Translate में जोड़ा

इंटरनेट सर्च इंजन Google ने संस्कृत सहित आठ भारतीय भाषाओं को Google Translate में जोड़ा है। गूगल लगातार अपने ऑनलाइन ट्रांसलेशन प्लेटफॉर्म पर क्षेत्रीय भाषाओं को जोड़ रहा है। गूगल रिसर्च के सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर आइजैक कैसवेल ने ईटी के साथ इंटरव्यू में कहा कि – ‘संस्कृत गूगल ट्रांसलेट में नंबर वन और सबसे अधिक रिक्वेस्ट की जाने वाली भाषा है और अब हम इसे आखिरकार जोड़ रहे हैं। हम पूर्वोत्तर भारत से पहली बार भाषाओं को जोड़ रहे हैं।”

संस्कृत के अतिरिक्त, गूगल ट्रांसलेट के लेटेस्ट प्रोग्राम में अन्य भारतीय भाषाएं असमिया, भोजपुरी, डोगरी, कोंकणी, मैथिली, मिजो और मेइतिलोन (मणिपुरी) हैं। इसी के साथ अब गूगल ट्रांसलेट पर उपलब्ध भारतीय भाषाओं की कुल संख्या को 19 हो गई है। यह घोषणा बुधवार देर रात शुरू हुए वार्षिक Google सम्मेलन I/O में की गई।

भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची भारत की भाषाओं से संबंधित है और इस अनुसूची में 22 भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है। लेकिन गूगल का लेटेस्ट अपडेट भारत की सभी 22 अनुसूचित भाषाओं को कवर नहीं करता है। इसको लेकर कैसवेल ने ईटी को बताया, “हमने अनुसूचित भाषाओं के इस गैप को कम से कम करने के लिए काफी सीमा तक प्रयास किया है।”

अपडेट में जोड़ी गई सभी भाषाओं को केवल टेक्स्ट ट्रांसलेशन फीचर में सपोर्ट किया जाएगा, लेकिन कंपनी जल्द ही वॉयस टू टेक्स्ट, कैमरा मोड और अन्य फीचर्स को रोल आउट करने पर काम करेगी। उन्होंने कहा, “हम उन पर काम कर रहे हैं, लेकिन वे अभी तक इन सभी भाषाओं को सपोर्ट नहीं करते हैं।”

Google भारतीय भाषाओं के ट्रांसलेशन के संबंध में कमियों को दूर करने के लिए भी काम कर रहा है। कैसवेल ने कहा, “हमें यह आभास होता है कि भारतीय भाषाओं के लिए हमारे मॉडल द्वारा अक्सर किए जाने वाले अनुवाद में गलतियाँ पुराने शब्दों की होती हैं।” उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसे शब्द ट्रांसलेट होते हैं, जिन्हें लोग नहीं जानते या नियमित रूप से प्रयोग नहीं करते हैं।

“हम (समस्याओं) को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास कर रहे हैं, हमारे मॉडल को इस पुराने जमाने के बजाय अधिक बोलचाल के आउटपुट की ओर स्थानांतरित करना होगा।”

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