हिन्दू सहिष्णु है, सहमा हुआ नहीं

हिन्दू सहिष्णु है, सहमा हुआ नहीं

डॉ. अभिमन्यु

हिन्दू सहिष्णु है, सहमा हुआ नहींहिन्दू सहिष्णु है, सहमा हुआ नहीं

हर दिन जब समाचार पत्रों में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में समाचार पढ़ने को मिलते हैं, तो हर हिन्दू का मन पीड़ा से भर जाता है। हद तो तब हो गई, जब 25 नवंबर, 2024 को बांग्लादेश सरकार ने हिन्दुओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचार को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने वाले इस्कॉन के सन्यासी चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 28 नवंबर, 2024 को चिन्मय दास के लिए जेल में प्रसादम ले जा रहे दो हिन्दू सहयोगियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसका सीधा सा अर्थ निकलता है, बांग्लादेश सरकार पूरी तरह से कट्टर व तानाशाह बन चुकी है।

बांग्लादेश में हिन्दुओं के विरुद्ध अत्याचार के मामले तब तेजी से बढ़ने लगे, जब 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट कर दिया गया। शुरुआत में वह आंदोलन शेख हसीना सरकार के विरुद्ध आरक्षण के मुद्दे को लेकर यूनिवर्सिटी छात्रों की नाराजगी का परिणाम था, लेकिन अब यह हिन्दुओं एवं बौद्धों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को दबाने व कुचलने का आंदोलन बन चुका है।

यदि हम वहां हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों की घटनाओं की चर्चा करें, तो उनकी भयावहता को जान कर हर किसी की रूह काँप उठेगी। 4 अगस्त 2024 को रंगपुर के दो पार्षदों हराधन राय और काजल राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई, मेहरपुर में मुस्लिम भीड़ ने इस्कॉन मंदिर पर हमला किया। 5अगस्त, 2024 को दंगाइयों ने हिन्दू शिक्षक मृणाल कांत चट्टोपाध्याय की निर्मम हत्या कर दी, हिन्दू सिंगर राहुल आनंद के घर को आग लगा दी, कट्टरपंथियों की भीड़ ने नरसिंगड़ी में काली माता मंदिर पर तोड़फोड़ की, कोमिला में महाराजा वीर चंद्र लाइब्रेरी में तोड़फोड़ कर उसमें आग लगा दी, 7 सितंबर को गणेश मूर्ति ले जा रहे हिन्दू भक्तों पर हमला किया, 19 सितंबर को चटगांव में बौद्ध चकमा और हिन्दू त्रिपुरी समुदाय पर हमला किया, 11 अक्टूबर को ढाका में दंगाइयों ने दुर्गा पूजा पंडाल पर पेट्रोल बम फेंके, 4 नवंबर को चटगांव में जय श्री राम के नारे को सांप्रदायिक बताते हुए धमकी दी, 20 नवंबर को बरगुना में मासूम हिन्दू छात्रा के साथ बलात्कार किया, 24 नवंबर को भाग्यारहट में हिन्दू लड़की को जबरन मुस्लिम बना दिया गया, 26 नवंबर को चटगांव में दंगाइयों ने लोकनाथ मंदिर में पत्थर बाजी की।

ये तो मात्र कुछ घटनाएं हैं। हजारों प्रकरण तो ऐसे हैं, जो मीडिया में आ ही नहीं पा रहे। उपरोक्त घटनाओं से अनुमान लगाया जा सकता है, कि वहां के हिन्दू एवं अन्य अल्पसंख्यक कितनी दहशत में जी रहे हैं। उनके लिए वहां की कट्टरपंथी सरकार एवं दंगाइयों द्वारा ऐसी परिस्थितियों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे वे अपनी मातृभूमि बांग्लादेश को छोड़ने के लिए विवश हो जाएं। वहां के हिन्दुओं का सिर्फ एक दोष है कि उन्हें अपनी मातृभूमि बांग्लादेश से प्यार है, जिसको वहां के कट्टरपंथी सहन नहीं कर पा रहे हैं।

इतने अत्याचार सहने के बावजूद भी वहां के हिन्दू शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात बांग्लादेश सरकार तक पहुंचा रहे हैं, लेकिन वहां की सरकार हिन्दुओं का दमन करने से पीछे नहीं हट रही है। वहां की सरकार भूल गई है कि ‘हिन्दू सहिष्णु है, सहमा हुआ नहीं’। दुनिया हिन्दुओं की सहिष्णुता को कायरता न समझे। यदि कोई ऐसा समझता है, तो उसे भारत के इतिहास का ज्ञान नहीं है। इतिहास हिन्दुओं के अटल दृढ़ निश्चय एवं अनंत शौर्य का साक्षी है। एक अकेले चाणक्य ने अनेक भागों में विभाजित भारत को एक सूत्र में पिरोकर अखंड भारत का निर्माण कर दिया था और उस समय विश्व विजय के लिए निकले सिकंदर को भारत की सीमा से ही लौटने को विवश कर दिया था। आज का बांग्लादेश भी उसी अखंड भारत का हिस्सा था। पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार मुस्लिम आक्रांता मोहम्मद गौरी को धूल चटाई थी, एक अकेले महाराणा प्रताप ने जलालुद्दीन (अकबर) को घुटने टेकने पर विवश कर दिया था। झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अकेले अपने दम पर उस समय के सबसे बड़े साम्राज्य, अंग्रेजी साम्राज्य की नाक में दम कर दिया था। वहीं चाणक्य के बाद अखंड भारत राष्ट्र के निर्माण के लिए एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. केशव राम बलिराम हेगड़े ने अपनी जिजीविषा के दम पर विश्व का सबसे बड़ा संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण कर दिया तथा वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना के अतुलनीय शौर्य के आगे पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेकते हुए आत्मसमर्पण कर दिया था और इसी भारत ने इसी बांग्लादेश का निर्माण करवाया था।

उपरोक्त चर्चा से यह तो स्पष्ट हो गया कि एक अकेला हिन्दू भी असंभव कार्य को संभव कर सकता है। इसलिए आज हमें आवश्यकता है, अपने पूर्वजों के इसी शौर्य, साहस एवं बलिदान को याद करने की। आज यदि भारत में रह रहे 100 करोड़ से अधिक हिन्दू एक ही स्वर में यह बोलें कि दुनिया के किसी भी कोने में हिन्दुओं पर अत्याचार सहन नहीं किया जाएगा, तो इस बात को पूरी दुनिया को मानना पड़ेगा और भविष्य में उनको हिन्दुओं पर अत्याचार करने से पहले सैकड़ों बार सोचना पड़ेगा |

चूंकि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है, इसलिए किसी भी कोने में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भारत को आगे आना ही पड़ेगा। वर्तमान का भारत विश्व शक्ति बनकर उभर रहा है, वह असीम उत्साह तथा अनंत सामर्थ्य से परिपूर्ण है। इसलिए आज वह दुनिया कि आँखों में आँख डालकर बात करता है। भारत की बात दुनिया को सुननी पड़ेगी। अतः सर्वप्रथम भारत को अग्रसक्रिय होकर बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं पर अत्याचार के विरुद्ध राजनयिक वार्ता एवं वैश्विक जनमत तैयार करवाना चाहिए क्योंकि भारत हमेशा वैश्विक शांति का पक्षधर रहा है और वसुधैव कुटुंबकम की धारणा में विश्वास करता है। भगवान श्री कृष्ण ने भी अधर्म पर विजय के लिए सर्वप्रथम शांति के द्वारा ही प्रयास किए थे, लेकिन जब बात नहीं बनी तो, धर्म को अधर्म पर विजयी करने के लिए सुदर्शन चक्र को भी धारण करने से पीछे नहीं हटे थे। भगवान श्री कृष्ण का सा अदम्य साहस एवं अनंत शौर्य का प्रदर्शन आज भारत को करना ही होगा, तब ही बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार रुक सकेंगे।

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