भारत के इतिहास को भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखे जाने की आवश्यकता- आंबेकर
भारत के इतिहास को भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखे जाने की आवश्यकता- आंबेकर
सीकर, 3 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने भारत को भारत की दृष्टि से जानने की आवश्यकता बताते हुए भारतीय इतिहास को भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखने पर ज़ोर दिया। आंबेकर ने गत 28 सितंबर से शुरू हुए शेखावाटी साहित्य संगम के आखिरी दिन बुधवार को स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र विषय पर आयोजित सत्र में कहा कि संघ एवं भारत की यात्रा अलग-अलग नहीं है। स्वतंत्रता के पूर्व सभी के मन में एक ही धारणा कार्य कर रही थी, कैसे देश को स्वतंत्र करवाना और डॉक्टर हेडगेवार ने सभी प्रकार के आंदोलन में भाग लेते हुए विचार किया कि केवल स्वतंत्रता से ही सब कुछ नहीं होगा, इसके लिए स्वाधीनता भी आवश्यक है। उन्होंने इसी के लिए व्यक्ति तैयार करने तथा समाज को संगठित करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में प्रारंभ किया। संघ तब से ही समाज के साधारण व्यक्ति में छिपी हुई असाधारण प्रतिभा को जागृत एवं संगठित कर राष्ट्र को समृद्ध एवं विकसित बनाने की दिशा में प्रयासरत है।
उन्होंने कहा कि विश्व को भारत का सांस्कृतिक निर्यात हिन्दुत्व है। भारत के इतिहास को भारत की दृष्टि और भारत के प्राचीन स्रोतों के आधार पर लिखे जाने की आवश्यकता है। इस सत्र के वार्ताकार लेखक और उपन्यासकार मुरारी गुप्ता रहे। सत्र के प्रारंभ में पुस्तक परिचय के अंतर्गत मुरारी गुप्ता के उपन्यास सुगंधा के बारे में जानकारी दी गई।