तथ्यों का तोड मरोड़ है, IC 814 वेब सीरीज़

तथ्यों का तोड मरोड़ है, IC 814 वेब सीरीज़

तथ्यों का तोड मरोड़ है, IC 814 वेब सीरीज़तथ्यों का तोड मरोड़ है, IC 814 वेब सीरीज़

वेब सीरीज़ – IC 814

कास्टिंग – नसीरुद्दीन शाह, दिया मिर्जा, राजीव ठाकुर

डायरेक्टर – अनुभव सिन्हा

IC 814 – The Kandhar Hijack, वेब सीरीज़ दिसम्बर 1999 में हुए कंधार विमान अपहरण पर आधारित है। काठमांडू से दिल्ली की ओर उड़ान भरने वाले इंडियन एयरलाइंस के इस विमान का आतंकियों ने अपहरण कर लिया था और उसे कंधार ले गए थे। तब वे 160 यात्रियों के बदले मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को छुड़ाने में सफल रहे थे। इस महत्वपूर्ण विषय को निर्देशक अनुभव सिन्हा ने फिल्म में बहुत हल्का करके दिखाया है। पूरे प्रकरण में भारत को बेचारा और पाकिस्तान को पूरी तरह से निर्दोष देश दिखाना समझ से परे है और निंदनीय भी। वेब सीरीज़ देख कर लगता है जैसे पाकिस्तान इस‌‌ विमान अपहरण से पूरी तरह से अनभिज्ञ था और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार भारत के सहायक के रूप में थी।

फिल्म निर्माताओं की मानें तो अफगानिस्तान की तत्कालीन तालिबान सरकार ओसामा बिन लादेन से सहमत नहीं है। अफगानिस्तान में मुल्ला उमर का तालिबान और ओसामा बिन लादेन का तालिबान दो अलग विषय हैं, जैसा कि अक्सर भारत का कथित बुद्धिजीवी वर्ग गुड टेररिज्म बनाम बैड टेररिज्म का नेरेटिव चलाता है। ओसामा के तालिबान ने विमान अपहरण करवाया, जिसकी भनक मुल्ला उमर के तालिबान को नहीं थी। ऐसे में मुल्ला उमर का तालिबान भारत का सहायक बनता है। ना केवल सहायक बनता है, अपितु भारत को दोषी भी ठहराता है कि आप हमारी सरकार को मान्यता भी नहीं देते फिर भी हम आपकी सहायता कर रहे हैं। अफगानिस्तान सरकार केवल भारत सरकार और आतंकियों के बीच मध्यस्थता कर रही दिखाई पड़ती है। पाकिस्तान तो पूरी तरह से ना केवल नदारद है, अपितु आतंकियों को अपना एयर स्पेस व लैंडिंग तक की परमिशन नहीं दे रहा है। इतना ही नहीं, दुबई एयरपोर्ट पर लैंडिंग की परमिशन मांगते आतंकियों को एयरपोर्ट पर कार्यरत एक पाकिस्तानी कर्मचारी द्वारा सच्चे इस्लाम की परिभाषा समझाते हुए इस आतंकी कृत्य की निंदा भी दर्शाई गई है। हद तो तब हो गई, जब कंधार एयरपोर्ट पर खड़े विमान में बैठे यात्रियों को आतंकी बड़े प्यार से अपना नाम शंकर और भोला बता रहे हैं।‌ कोई अनुभव सिन्हा से पूछे कि मसूद अजहर को छुड़ाने वाले आतंकी हिन्दू कैसे हो गए? आतंकियों के कोड नेम को वेब सीरीज में वैसे का वैसा दिखा दिया। यहां तक कि वेब सीरीज देख कर ऐसा लगता है कि वे आतंकी अत्यंत मानवीय स्वभाव के हैं। बेचारे विवशता में विमान अपहरण कर बैठे। 

तथ्यों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ कर दर्शकों के सामने रखा गया है। समझ ही नहीं आ रहा कि इस विमान अपहरण का दोषी कोई है भी या नहीं? क्योंकि वेब सीरीज के अनुसार, केवल दो-चार लोगों ने मिलकर योजना बना ली थी। इसमें ना किसी आतंकी संगठन का हाथ है और ना किसी आतंकी देश का। बल्कि भारत सरकार ही दोषी दिखाई पड़ती है कि पहले तो लापरवाही की फिर यात्रियों को सकुशल भारत वापस लाने में भी कोई रुचि नहीं है।‌ बेचारे यात्रियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।‌ भारत सरकार ने उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया था।

तकनीकी पैरामीटर पर भी बात करें तो वेब सीरीज का फिल्मांकन तय मानकों से नीचे ही दिखता है। अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट व उसके आसपास के कुछ दृश्य ठीक ठाक लगे। वेब सीरीज में कुछ बातें अच्छी लगीं। विजय वर्मा ने फ्लाइट कैप्टन की भूमिका में जान डाल दी। मैंने विजय वर्मा जैसे अभिनेता से इस बेहतरीन अभिनय की कल्पना नहीं की थी।‌ इसके अतिरिक्त राजीव ठाकुर जैसे कॉमेडियन को आतंकी सरगना के रूप में देखना भी रुचिकर लगा। सोचा नहीं था कि अभिनय की ऐसी अपार संभावना है राजीव ठाकुर के पास।‌ कपिल शर्मा शो या कॉमेडी सर्कस जैसे टीवी शोज़ में सस्ती कॉमेडी करने वाले कॉमेडियन को एक एंग्री यंगमैन जैसे आतंकी के किरदार में भारत सरकार के अधिकारियों के साथ नेगोशिएट करते देखना सच में आश्चर्यजनक था। अभिनय की संभावनाओं को खोजने के लिए अनुभव सिन्हा की प्रशंसा की जा सकती है। अन्यथा जिस कहानी में नसीरुद्दीन शाह व दिया मिर्जा जैसे कलाकार हों, तो वहां भारत व हिन्दू द्वेष की संभावना होना अवश्यंभावी है।

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