अंतर्राष्ट्रीय बिंदी एवं तिलक दिवस
रुचि श्रीमाली
अंतर्राष्ट्रीय बिंदी एवं तिलक दिवस
15 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय बिंदी एवं तिलक दिवस’ मनाया जाता है। बिंदी और तिलक हिन्दू समाज की एक पहचान है। यह दिन इसे वैश्विक स्तर पर पहचान देने का है।
बिंदी और तिलक हिन्दू धर्म के प्रतीक हैं। इन्हें माथे के बीच में लगाया जाता है। माथे को ज्ञान का स्थान माना जाता है। यहाँ हमारा छठा चक्र स्थित होता है। बिंदी हमारी एकाग्रता को बढ़ाती है और हमारी दोनों भौहों के मध्य स्थान से निकलने वाली ऊर्जा को बनाए रखती है। बिंदी को फैशन स्टेटमेंट के तौर पर भी लगाया जा सकता है। हालांकि आज कल बाजार में उपलब्ध प्लास्टिक की “स्टिक बिंदी” का उपयोग करना इस दृष्टि से बहुत लाभदायक नहीं है।
तिलक व्यक्ति में पवित्रता की भावना को जागृत करता है। इसे एक धार्मिक चिन्ह के रूप में मान्यता प्राप्त है। तिलक का रूप और रंग किसी धार्मिक संप्रदाय या पूजे जाने वाले ईश्वर के स्वरूप के अनुसार अलग-अलग होता है। जैसे विष्णु उपासक “यू” आकार का चंदन तिलक लगाते हैं, शिव उपासक भस्म का त्रिपुंड, देवी उपासक कुमकुम की लाल बिंदी लगाते हैं इत्यादि।
तिलक भौहों के बीच के स्थान को ढंकता है, जो स्मृति और सोच का स्थान है। इसे योग की भाषा में ‘आज्ञा चक्र’ के नाम से जाना जाता है। तिलक इस प्रार्थना के साथ लगाया जाता है कि “मैं ईश्वर को याद करता हूँ। यह पवित्र भावना मेरी सभी गतिविधियों में व्याप्त हो। मैं अपने कर्मों में सच्चा एवं कर्मठ रहूं।” यदि कभी हम अस्थायी रूप से अपने इस प्रार्थनापूर्ण भाव को भूल जाते हैं, तो यह तिलक हमें अपने संकल्प की याद दिलाता है। इस प्रकार तिलक ईश्वर का आशीर्वाद है और बुरी प्रवृत्तियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है।
पूरे शरीर से विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में ऊर्जा निकलती है, विशेष तौर पर माथे पर भौंहों के बीच के सूक्ष्म स्थान से। इसी कारण चिंता होने पर शरीर गर्म होने लगता है और यही सिरदर्द का कारण बनता है। तिलक माथे को ठंडक देते हैं और ऊर्जा की होने वाली हानि को रोकते हैं। कभी-कभी पूरा माथा भी चंदन या भस्म से ढंका जा सकता है।
भारत में तो हमेशा से ही बिंदी लगाने की परंपरा रही है। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के मध्य भी इसका उतना ही प्रचलन है।
इस दिन हम क्या करें:
• बिंदी या तिलक अवश्य लगाएं।
• स्कूलों, कॉलेजों या कार्यस्थलों पर बिंदी या तिलक लगा कर जाएँ।
• परिवार और दोस्तों के साथ बिंदी और तिलक के महत्व को साझा करें।
Reference:
In Indian Culture Why Do We by Swamini Vimlananda and Radhika Krishnakumar, Published by Central Chinmaya Mission Trust