इराक बाल निकाह को बना रहा वैध, संसद में प्रस्तुत किया बिल

इराक बाल निकाह को बना रहा वैध, संसद में प्रस्तुत किया बिल

इराक बाल निकाह को बना रहा वैध, संसद में प्रस्तुत किया बिलइराक बाल निकाह को बना रहा वैध, संसद में प्रस्तुत किया बिल

इराकी संसद में लड़के लड़कियों के निकाह की आयु घटाने सम्बंधी एक बिल प्रस्तुत किया गया है। यदि यह पास हो जाता है तो इराक में 9 वर्ष की लड़की और 15 वर्ष का लड़का निकाह कर सकेंगे। इस समय वहां लड़का-लड़की की निकाह करने की आयु 18 वर्ष है। इराक में इस समय रूढ़िवादी शिया पार्टियों का शासन है। यह गठबंधन इराक में कासिम सरकार के समय 1959 में बने कानून में बदलाव की मांग कर रहा है। 

महिला अधिकार कार्यकर्ता सुहालिया अल असम के अनुसार, 1959 में विशेषज्ञों, वकीलों, मजहब प्रमुखों और विशेषज्ञों की राय से बना यह कानून कई मायनों में पुरुषों और महिलाओं को बराबरी के अधिकार देता है। जैसे, दोनों के लिए निकाह की कानूनी आयु समान है। यह पुरुषों को दूसरी पत्नी रखने की अनुमति पर प्रतिबंध लगाता है। अभी इस कानून को मुस्लिम देशों में महिलाओं के अधिकारों की दृष्टि से सबसे अच्छे कानूनों में से एक माना जाता है। लेकिन अब कट्टरपंथी इससे छेड़छाड़ करके फिर से महिलाओं को अपना गुलाम बना लेना चाहते हैं। 

संसद में प्रस्तुत नए ड्राफ्ट में कहा गया है कि जोड़े को व्यक्तिगत स्थिति के सभी मामलों में सुन्नी या शिया संप्रदाय के बीच चयन करना होगा। यह बदलाव अदालतों के बजाय शिया और सुन्नी बंदोबस्ती के कार्यालयों को निकाह पर निर्णय करने की अनुमति देगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि शिया कोड जाफरी लीगल सिस्टम पर आधारित होगा। जाफरी कानून का नाम छठे शिया इमाम जाफर अल सादिक के नाम पर रखा गया है। इसमें निकाह, तलाक, विरासत और गोद लेने के नियम हैं। यह नौ वर्ष की लड़कियों और पंद्रह वर्ष के लड़कों के निकाह की अनुमति देता है।

इराकी संसद में यह विधेयक निर्दलीय सांसद राएद अल-मलिकी ने प्रस्तुत किया है। 

उल्लेखनीय है यह बिल इसी वर्ष जुलाई के अंत में पहले भी प्रस्तुत किया जा चुका है। लेकिन कई सांसदों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद संसद ने प्रस्तावित बदलावों को वापस ले लिया था। अब 4 अगस्त के सत्र में इसे फिर से प्रस्तुत किया गया है। 

वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इराक में कामकाजी महिलाओं की संख्या पहले ही अन्य देशों की तुलना में सबसे कम, सिर्फ एक प्रतिशत है। वे बुरी तरह घरेलू हिंसा की शिकार हैं। इस विधेयक के पास होने पर इराकी महिलाओं का जीवन बद से बदतर हो जाएगा। बाल निकाह व बाल शोषण के मामले बढ़ेंगे। बच्चियों के स्कूल छोड़ने की दर बढ़ेगी। वे समय से पहले गर्भधारण करेंगी तो स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं बढ़ेंगी और घरेलू हिंसा का खतरा भी बढ़ेगा। बिल के आलोचकों का कहना है कि यह उम्र बच्चों के खेलने और पढ़ने की होती है। बिल के ये प्रावधान उनके मानवाधिकारों पर डकैती हैं। वहीं इस बिल के समर्थकों का मानना है कि इस बिल का उद्देश्य लड़कियों को अनैतिक सम्बंधों से बचाना है। 

इराकी महिला अधिकार मंच की सीईओ तमारा अमीर ने मिडिल ईस्ट आई से कहा है कि प्रस्तावित बदलावों का इराक में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। क्या कानून बनाने वाले भी अपनी नौ वर्ष की बेटी का निकाह होने देंगे? उन्होंने कहा कि इराकी समुदाय इन प्रस्तावों को स्पष्ट रूप से खारिज करता है, यह इराकी पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक अपमानजनक कदम है। इराक में महिला स्वतंत्रता संगठन (ओडब्ल्यूएफआई) की अध्यक्ष यानार मोहम्मद ने मिडिल ईस्ट आई को बताया कि यह कट्टरपंथी गठबंधन सरकार स्वयं द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार और अपनी कमियों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए यह विधेयक लेकर आयी है। यह विधेयक इराकी महिलाओं और नागरिक समाज को आतंकित करने वाला और इराकी महिलाओं को प्राप्त सभी अधिकार छीन लेने वाला है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता सारा सनाबर का कहना है कि इस कानून को पारित करने से लगेगा कि देश प्रगति करने के बजाय पीछे जा रहा है। इराक महिला नेटवर्क की अमल कबाशी ने कहा कि यह संशोधन पहले से ही रूढ़िवादी समाज में ‘पारिवारिक मामलों पर पुरुषों को और अधिक नियंत्रण देगा।’

यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इराक में 28 प्रतिशत लड़कियों का निकाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही हो जाता है। 

दुनिया के अन्य देशों में यदि चाइल्ड मैरिज की बात करें तो, प्रथम स्थान नाइजर का है, जहॉं 75 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की 18 वर्ष से पहले मैरिज हो जाती है। इनमें से 30 प्रतिशत की आयु 15 वर्ष से भी कम होती है। दूसरे स्थान पर चड और मालावी हैं। यहॉं लड़कियों की मैरिज की न्यूनतम आयु ही 15 वर्ष है। अधिकांश की मैरिज इससे पहले ही हो जाती है। साउथ सूडान में लड़कियों की मैरिज 18 वर्ष की आयु से पहले ही कर दी जाती है।

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