इसरो का शतक, 100वें मिशन में एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट का किया सफल प्रक्षेपण

इसरो का शतक, 100वें मिशन में एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट का किया सफल प्रक्षेपण

इसरो का शतक, 100वें मिशन में एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट का किया सफल प्रक्षेपणइसरो का शतक, 100वें मिशन में एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट का किया सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कल सुबह 6:23 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने 100वें मिशन के अंतर्गत जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के माध्यम से एनवीएस-02 नेविगेशन सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया। 

जीएसएलवी-एफ15, भारत के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) से यह 17वीं उड़ान है और स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ 11वीं उड़ान है। इस मिशन में 3.4 मीटर व्यास वाले धातु पेलोड फेयरिंग का उपयोग किया गया है। 

एनवीएस-02 उपग्रह, इसरो द्वारा विकसित नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन (NavIC) प्रणाली का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत और इसके आसपास के 1,500 किलोमीटर के क्षेत्र में सटीक पोजीशनिंग, वेग और समय (PVT) सेवाएं प्रदान करना है।

NavIC प्रणाली दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करती है

1. स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS): सभी उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध।

2. रिस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS): प्राधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित सेवा।

NavIC की एसपीएस सेवा 20 मीटर से बेहतर पोजिशन सटीकता और 40 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता प्रदान करती है। 

श्रीहरिकोटा से 100वां प्रक्षेपण: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

इस सफल प्रक्षेपण के साथ, इसरो ने श्रीहरिकोटा से अपने 100वें मिशन को पूरा किया है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है। पहला प्रक्षेपण 10 अगस्त 1979 को सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) के माध्यम से किया गया था। 

एनवीएस-02 उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के साथ, इसरो ने भारत की नेविगेशन क्षमताओं को और मजबूत किया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और यह देश की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में एक और कदम साबित होगा।

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