पत्रकार का दायित्व समाज को परिष्कृत करना- हनुमान सिंह राठौड़
पत्रकार का दायित्व समाज को परिष्कृत करना- हनुमान सिंह राठौड़
भीलवाड़ा। पत्रकार का दायित्व समाज को परिष्कृत करना है। देवर्षि लोक कल्याणकारी पत्रकारिता के आदर्श प्रतिमान हैं, वर्तमान पत्रकारिता जगत अपनी समस्त चुनौतियों का समाधान उनसे प्राप्त कर सकता है। ये उद्गार शिक्षाविद हनुमान सिंह राठौड़ ने देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
उन्होंने देवर्षि नारद जी के जीवन मूल्यों और वर्तमान समय की पत्रकारिता की तुलना बहुत ही तर्कपूर्ण और गहराई से की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में भी देश और समाज पहले होना चाहिए। देवर्षि नारद का संवाद संप्रेषण सबके लिए हितकारी होता था। यही कारण है कि भले ही देवताओं और असुरों में युद्ध चल रहा हो, लेकिन दोनों ही वर्ग नारद जी की सूचनाओं पर विश्वास करते थे। असुरों से संवाद होने के बाद भी नारद जी हमेशा धर्म के साथ खड़े रहे, उन्होंने कभी असत्य नहीं कहा। आज की पत्रकारिता में भी उन्हीं संस्कारों की आवश्यकता है। वर्तमान में पत्रकारिता बहुआयामी हो गई है, लेकिन उस पर से विश्वास कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में नई तकनीक की आवश्यकता है, लेकिन आज इस तकनीक के दम पर पत्रकारिता का अर्थ बदल गया है।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बाद अब सोशल मीडिया और आर्टिफिशल इटेंलीजेंस जैसी तकनीकें आ गई हैं। हमें इन से सावधान रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति का अध्यात्म से जुड़ाव है। हमें तकनीक और समाचार संकलन के साथ साथ पाठक की रुचि का विशेष ध्यान रखना होगा। आज पाठक और सूचना के बीच समय और दूरी घट गई है। राठौड़ ने इस बात पर अफसोस जताया कि हिन्दी के अखबारों में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग होता है। अखबार के संपादक तर्क देते हैं कि पाठकों को आसानी से समझ में आ जाए इसलिए अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया जाता है। वास्तव में यह तर्क नहीं कुतर्क है, क्योंकि जो शब्द हिन्दी भाषा के स्वरूप को ही बदल दें, उसे पत्रकारिता नहीं कहा जा सकता है। राठौड़ ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि अब पत्रकारिता अर्थिक पैकेज से प्रभावित होने लगी है। कई बार समाज की खबर इसलिए नहीं छप पाती है कि आर्थिक पैकेज वाला कोटा पूरा नहीं हुआ होता है।
उन्होंने कहा कि आज सूचनाओं की भरमार है, लेकिन कौन सी सूचना दी जाए, यह तय करना महत्व का काम है। आए दिन अखबारों में बलात्कार की घटनाओं के समाचार प्रकाशित होते हैं। मीडिया को यह भी बताना चाहिए कि देश की जनसंख्या की तुलना में बलात्कार की कितनी घटनाएं हो रही हैं। आज मीडिया का काम सिर्फ सूचना देना नहीं बल्कि सूचना के पीछे छिपे तथ्यों को भी लाना है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. डा. संगीता प्रणवेंद्र ने कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारिता का काम काफी चुनौतियों से भरा है। पत्रकार को समय, काल और परिस्थिति के अनुसार सही निर्णय कर सही तथ्यों को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए भीलवाड़ा राजस्थान पत्रिका के संपादकीय प्रभारी एडिटर अनिल सिंह चौहान ने कहा कि पत्रकारिता मानव धर्म आधारित होनी चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भीलवाड़ा प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुखपाल जाट ने कहा कि दो पक्षों की सच्चाई की खबर दिखाना ही बड़ी चुनौती होती है। इस चुनौती को पत्रकार भली-भांति जानता है, चाहे कितना भी दबाव हो, पत्रकार नहीं डरता और दोनों पक्ष रखता है।
कार्यक्रम का आयोजन रविवार को भीलवाड़ा आरसी व्यास स्थित शगुन फूड कोर्ट पर हुआ।
भीलवाड़ा महानगर सह प्रचार प्रमुख पवन विजयवर्गीय ने बताया कि कार्यक्रम के लिए चित्तौड़ प्रांत के सभी पत्रकारों से 4 श्रेणियों में ऑनलाइन प्रविष्टियां मांगी गई थीं। कुल 152 आवेदन प्राप्त हुए। सभी प्रविष्टियों को देखकर निर्णायक समिति द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों का चयन किया गया।
उत्कृष्ट पत्रकार कैटेगरी में राजस्थान पत्रिका (भीलवाड़ा) के तेज नारायण शर्मा एवं दैनिक भास्कर (बारां) के संजय चौरसिया को तथा उत्कृष्ट सोशल मीडिया पत्रकार कैटेगरी में प्रतापगढ़ के संजय जैन को सम्मानित किया गया। उत्कृष्ट छाया चित्रकार कैटेगरी में अजमेर के स्वतंत्र फोटोजर्नलिस्ट दीपक शर्मा एवं कोटा राजस्थान पत्रिका के नीरज गौतम को तथा न्यूज रूम पत्रकार कैटेगरी में कोटा राजस्थान पत्रिका के शैलेंद्र तिवारी को चुना गया। सभी को चेक एवं देवर्षि नारद का चित्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ देवर्षि नारद एवं भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ।