जेएनयू में होगी हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पढ़ाई, राजस्थान में भी शुरू हों ऐसे कोर्स

जेएनयू में होगी हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पढ़ाई, राजस्थान में भी शुरू हों ऐसे कोर्स

जेएनयू में होगी हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पढ़ाई, राजस्थान में भी शुरू हों ऐसे कोर्सजेएनयू में होगी हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पढ़ाई, राजस्थान में भी शुरू हों ऐसे कोर्स

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म के अध्ययन के लिए नए केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। जेएनयू विश्वविद्यालय ने 29 मई, 2024 को हुई एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया और आज 12 जुलाई, 2024 को इसकी अधिसूचना जारी की गई है। ये केंद्र ‘स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज’ के अंतर्गत स्थापित किए जाएंगे।

निर्णय से पूर्व किया गया समिति का गठन

जेएनयू ने विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) और भारतीय ज्ञान प्रणाली के कार्यान्वयन के बारे में अधिक जानने और सिफारिश करने के लिए एक समिति का गठन किया था। 9 जुलाई को जारी की गई अधिसूचना में कहा गया कि, “कार्यकारी परिषद ने 29 मई को की गई बैठक में एनईपी-2020 और भारतीय ज्ञान प्रणाली तथा विश्वविद्यालय में इसके आगे के कार्यान्वयन पर जानने तथा संस्कृत और भारतीय अध्ययन स्कूल के भीतर निम्नलिखित केंद्रों की स्थापना के लिए गठित समिति की सिफारिश को मंजूरी दी है।”

डीयू पहले ही कर चुका है यह पहल

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) पहले ही ‘सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज’ की स्थापना कर चुका है, जिसमें पीजी कोर्स उपलब्ध है और जल्द ही यूजी कोर्स भी शुरू किया जाएगा। डीयू में पहले से ही बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए केंद्र है, जिसे ‘सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन बुद्धिज्म’ के रूप में अपग्रेड करने के लिए केंद्र सरकार से 35 करोड़ रुपए का फंड मिला है।

राजस्थान में भी शुरू हों ये कोर्स

राजस्थान में विभिन्न सरकारी, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालय मिलाकर कुल 80 से अधिक विश्वविद्यालय हैं। इनके अतिरिक्त, राजस्थान में कई निजी विश्वविद्यालय भी हैं, इन विश्वविद्यालयों में विभिन्न स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रम उपलब्ध हैं। लेकिन हिन्दू, बौद्ध या जैन स्टडीज का कोई कोर्स नहीं है।

राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है, इसलिए यहॉं भी इस तरह के केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए। राजस्थान में कई प्रमुख विश्वविद्यालय हैं, जो इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। ऐसा करना राजस्थान के सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हो सकता है। इससे न केवल इन धर्मों के अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं के बीच भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति जागरूकता और समझ भी बढ़ेगी। इन केंद्रों की स्थापना से जहॉं एक ओर स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को भारतीय धर्मों के गहन अध्ययन का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर राज्य में शैक्षणिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *