कन्या गुरुकुल की 134 बेटियों ने धारण किया जनेऊ, सरसंघचालक ने दिया आशीर्वाद
कन्या गुरुकुल की 134 बेटियों ने धारण किया जनेऊ, सरसंघचालक ने दिया आशीर्वाद
अमरोहा। 30 जुलाई को गायत्री मंत्र के बीच अमरोहा के चोटीपुरा स्थित श्रीमद् दयानंद कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में कक्षा सात की 134 नव प्रविष्ट बालिकाओं का उपनयन तथा वेदारंभ संस्कार कराया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघसंचालक डॉ. मोहनराव भागवत तथा केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के कुलपति आचार्य प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी उपस्थित रहे। बच्चियों द्वारा जनेऊ धारण करने के उपरांत सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने उन्हें आशीर्वाद दिया, साथ ही दस सूत्र वाक्यों के साथ सफल जीवन पथ के लिए उनका मार्गदर्शन किया।
सरसंघचालक ने अपने संदेश में कहा कि इस प्रकार के संस्कार हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रखते हैं और आने वाली पीढ़ियों को भारत की समृद्ध परंपराओं से जोड़ते हैं। उन्होंने कहा, बच्चियों को शिक्षा और संस्कार दोनों का महत्व समझाना चाहिए, ताकि वे समाज में एक सशक्त और सकारात्मक भूमिका निभा सकें। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज को सकारात्मक संदेश देते हैं और हमारी सांस्कृतिक विरासत को सजीव रखते हैं।
डॉ. मोहन भागवत ने छात्राओं की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। संघ के कार्यक्रम में नारी की भूमिका के विषय में उन्होंने कहा कि संघ में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है। मातृवर्ग संघ की अप्रत्यक्ष कार्यकर्ता हैं। धर्मोन्नति और देशोन्नति एक ही है। हमें अपने धर्म और आचरण की संस्कृति संपूर्ण विश्व को प्रदान करनी चाहिए। यह शिक्षा बहुत मुश्किल से मिलती है। आप बहुत भाग्यवान हो, जो यह शिक्षा पूर्ण रूप से आपको यहां मिल रही है। नई शिक्षा नीति को तैयार करने वाले लोगों को मैं कहूँगा कि ऐसे विद्यालयों में जाइए, वहाँ कैसे क्या चल रहा है देखिए।
आचार्य वरखेड़ी ने अपने संदेश में कहा कि कर्तव्य और प्रयत्न से संकल्प स्वयं सिद्ध हो जाते हैं। कन्या गुरुकुल चोटीपुरा के माध्यम से ऋषि दयानंद का संकल्प यज्ञ पूर्ण हो गया है। यह भारत के पुनर्निर्माण में मूल स्तंभ का कार्य कर रहा है।
गुरुकुल की आचार्य सुमेधा ने कहा कि उपनयन संस्कार भारतीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे ‘यज्ञोपवीत संस्कार’ भी कहा जाता है। यह संस्कार हिन्दू धर्म में शिक्षा और जीवन के एक नए चरण में प्रवेश का प्रतीक है। कई धार्मिक ग्रंथों में बेटों के साथ ही बेटियों के उपनयन संस्कार का भी वर्णन है। उपनयन का अर्थ होता है गुरु के समीप जाना। विद्या की देवी मॉं सरस्वती और माता सीता के भी जनेऊ धारण करने के प्रसंग देखे जा सकते हैं। इस कन्या गुरुकुल महाविद्यालय में प्रतिवर्ष कक्षा सात की बेटियों का उपनयन संस्कार होता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के नूतन भवन ‘संस्कृति नीड़म्’ का उद्घाटन भी किया गया। गुरुकुल की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से डॉ. भागवत एवं कुलपति का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम में छात्राओं ने ‘भारत संकीर्तन’, ‘गीता नाट्य संवाद’ एवं ‘गीता गौरव गाथा’ आदि गरिमापूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किए।