किसी शब्द के अंत में या बीच में अनुस्वर (ं) आने पर उसका उच्चारण क्या होगा?
रुचि श्रीमाली
किसी शब्द के अंत में या बीच में अनुस्वर (ं) आने पर उसका उच्चारण क्या होगा?
हमने अनुस्वर (ं) पढ़ा है। अनुस्वर का शाब्दिक अर्थ है = अनु + स्वर यानी स्वर के बाद आने वाला। अक्षर के ऊपर लगाई जाने वाली बिंदी के रूप में अनुस्वर लगाया जाता है। इसका उच्चारण भिन्न शब्दों में भिन्न होता है। यह अनुनासिका (चंद्रबिंदी) से अलग होता है।
अनुनासिका में ध्वनि नाक से निकलती है। अनुनासिका – ँ (चन्द्रबिन्दु)
उदाहरण – आँख, हँसना, माँ, पूँछ, गाँव
जबकि अनुस्वर में पंचमाक्षर का उच्चारण आता है। अनुस्वर – ं (बिंदु)
उदाहरण – संतरा, नींद, बंदर, हंस, सिंह, मंदिर
अब यह प्रश्न आता है कि मात्र बिंदी देख कर कैसे पता चले कि कौन सा उच्चारण आएगा? न आएगा, म आएगा या कुछ और?
इसके लिए हमें पंचमाक्षर को समझना होगा। पंचमाक्षर का तात्पर्य है कि प्रत्येक वर्ग का पाँचवाँ अक्षर, यानी:
1. क वर्ग में ‘ङ’
2. च वर्ग में ‘ञ’
3. ट वर्ग में ‘ण’
4. त वर्ग में ‘न’
5. प वर्ग में ‘म’
किसी शब्द के अंत में या बीच में जब अनुस्वर (ं) आता है, तो उसके बाद आने वाले वर्ण के आधार पर अनुस्वर का उच्चारण निर्भर करता है। अर्थात अनुस्वर के बाद आने वाले वर्ण के वर्ग का पाँचवाँ अक्षर उस अनुस्वर के स्थान पर आता है। जैसे –
1. क वर्ग: यदि अनुस्वर के बाद क, ख, ग, घ आता है, तो अनुस्वर के स्थान पर ‘ङ’ आएगा। (पंख = पङ्ख) (मंगल = मङ्गल) (गंगा = गङ्गा)
2. च वर्ग: अनुस्वर के बाद च, छ, ज, झ आता है, तो अनुस्वर के स्थान पर ‘ञ’ आएगा। (पंच = पञ्च) (गंज = गञ)
3. ट वर्ग: अनुस्वर के बाद ट, ठ, ड, ढ आता है, तो अनुस्वर के स्थान पर ‘ण’ आएगा। (घंटा = घण्टा) (ठंडा = ठण्डा) (कंठ = कण्ठ)
4. त वर्ग: अनुस्वर के बाद त, थ, द, ध आता है, तो अनुस्वर के स्थान पर ‘न’ आएगा। (मंदिर = मन्दिर) (पंथ = पन्थ) (अंधा = अन्धा)
5. प वर्ग: अनुस्वर के बाद प, फ, ब, भ आता है, तो अनुस्वर के स्थान पर ‘म’ आएगा। (कंपन = कम्पन) (चुंबक = चुम्बक) (कुंभ = कुम्भ)
इस प्रकार हम आसानी से पता कर सकते हैं कि किसी शब्द में अगर बिंदी (अनुस्वर) है तो उसका उच्चारण कैसे करना है।