सही शब्द स्वादिष्ठ है या स्वादिष्ट?
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कमलेश कमल
सही शब्द स्वादिष्ठ है या स्वादिष्ट?
स्वादयुक्त भोज्य पदार्थ के लिए स्वादिष्ट शब्द का प्रचलन इतना अधिक हो गया है कि हम लगभग भूल गए हैं कि शुद्ध शब्द ‘स्वादिष्ठ’ है, स्वादिष्ट नहीं। यह भी जानना चाहिए कि कोई भी भोज्य पदार्थ तभी स्वादिष्ठ कहा जा सकता है, जब उसका स्वाद सर्वोत्तम हो।
भाषिक दृष्टि से कोई व्यंजन सुस्वादु हो सकता है; यदि उसका स्वाद सबसे अच्छा या सबसे लज़ीज़ हो तो स्वादिष्ठ हो सकता है; पर स्वादिष्ट नहीं हो सकता। स्मरण रहे कि लजीज, लज़ीज और लजीज़ अशुद्ध शब्द हैं। स्वाद के लिए ‘लज़्ज़त’ शब्द है। जो लज़्ज़त दे, वह लज़ीज़ कहलाता है। अस्तु, हिंदी में इसके लिए शुद्ध शब्द ‘स्वादिष्ठ’ है, जिसमें उत्तमावस्थासूचक ‘इष्ठन्’ प्रत्यय है, जो श्रेष्ठ, वरिष्ठ, कनिष्ठ आदि में है। यह भी जानना चाहिए कि भोजन ‘स्वादिष्ठ’ तो हो सकता है, स्वदिष्ठतम नहीं। इसी प्रकार, वरिष्ठतम, कनिष्ठतम आदि शब्द चाहे जहाँ भी लिखे हों, ग़लत हैं; क्योंकि उत्तमावस्था की उत्तमावस्था नहीं हो सकती। [नियम : तमप्(तम) और इष्ठन् दोनों प्रत्ययों का एकसाथ प्रयोग करना अतिव्याप्तिदोष के अंतर्गत आता है।
आजकल वरिष्ठतम सदस्य, श्रेष्ठतम रचना या श्रेष्ठतम रचनाकार आदि प्रयोग धड़ल्ले से किए जा रहे हैं, जो नितांत अव्याकरणीय हैं। जब ‘घनिष्ठ-मित्र’ का अर्थ ही है– ‘जिस मित्र से मैत्री सबसे अधिक प्रगाढ़ हो’ तो ‘घनिष्ठतम-मित्र’ लिखने का क्या प्रयोजन है? इसी प्रकार, ‘गरिष्ठ’ शब्द को अज्ञानवश गरिष्ट लिख दिया जाता है, जिसका मूल कारण शब्द व्युत्पत्तिजनक अज्ञान है। जानना चाहिए कि गरिष्ठ शब्द ‘गुरु’ शब्द की उत्तमावस्था है। [गुरु + इष्ठन् = गरिष्ठ = सबसे भारी]। अगर आपने कुछ भोजन किया है और वह भारी हो गया है तो उसके लिए भी गरिष्ठ शब्द का प्रयोग किया जा सकता है।