लोक अदालतें बन गईं भगवान का मंदिर, तीन जोड़े माला पहना कर फिर एक दूजे के हो गए

लोक अदालतें बन गईं भगवान का मंदिर, तीन जोड़े माला पहना कर फिर एक दूजे के हो गए

लोक अदालतें बन गईं भगवान का मंदिर, तीन जोड़े माला पहना कर फिर एक दूजे के हो गएलोक अदालतें बन गईं भगवान का मंदिर, तीन जोड़े माला पहना कर फिर एक दूजे के हो गए

अजमेर, पाली और बाड़मेर में गोविंद- उर्मिला, सुमेर-सोनिया और उकाराम-होली के लिए शनिवार का दिन विशेष रहा। तीनों जोड़ों के लिए लोक अदालतें जैसे भगवान का मंदिर बन गईं। बरसों के रूठे पति-पत्नी ने जजों की समझाइश के बाद सुलह कर एक दूसरे को मालाएं पहनाईं और फिर से एक दूजे के हो गए। इस अवसर पर वातावरण इतना भावुक हो गया कि उपस्थित लोगों की भी आंखें भर आईं।

अजमेर के फैमिली कोर्ट संख्या 2 में शनिवार को जज रामेश्वर लाल चौधरी ने लगभग 20 प्रकरण सुलझाए। इन सभी प्रकरणों में सबसे प्रमुख था बोराज निवासी गोविंद और उर्मिला का प्रकरण। आखिर 8 वर्ष बाद पति-पत्नी फिर से एक हुए थे। दोनों की शादी 2016 में हुई थी।

8 वर्ष पहले किन्हीं कारणों से पति-पत्नी के बीच दूरियां पैदा हो गईं, जो समय के साथ गहरी होती चली गईं। समय बीतता गया, लेकिन उनके हृदयों में एक-दूसरे के लिए स्थान बना रहा और अंत में फैमिली कोर्ट के प्रयासों से वे फिर से मिल गए। खुशी के इस अवसर पर जज ने उन पर फूल बरसाए और मिठाई खिलाकर इस पुनर्मिलन को सेलिब्रेट किया। उनके एक बेटा है। उर्मिला का कहना है कि बच्चे के भविष्य के लिए हम फिर से एक हुए, मैं बहुत खुश हूं।

दूसरा मामला पाली शहर का है। पाली की सोनिया की 7 दिसंबर 2019 को अहमदाबाद निवासी सुमेर सिंह से शादी हुई थी। दोनों पति-पत्नी प्रेम पूर्वक रह रहे थे, लेकिन कोविड महामारी के दौरान सास-बहू के बीच अनबन हो गई। सोनिया परेशान होकर मायके चली गई। काफी समय तक जब ससुराल से किसी ने उसकी सुध नहीं ली तो वर्ष 2023 में उसने पति के विरुद्ध कोर्ट में भरण पोषण का मुकदमा दायर कर दिया। कई बार कोर्ट में पेशी हुई। शनिवार को लोक अदालत में जज ने दोनों को सुलह के लिए समझाया तो उनके बीच की कड़वाहट मिठास में बदल गई। दोनों एक दूसरे को माला पहना कर फिर से एक दूजे के हो गए। सास बहू ने भी एक दूसरे को गले लगाया। यह दृश्य देख सभी की आंखें नम हो गईं।

बाड़मेर में भी ऐसा ही कुछ हुआ। यहॉं की लोक अदालत में भी जज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और परिवार को बिखरने से बचा लिया। 8 वर्षों से अलग रह रहे पति-पत्नी फिर एक हो गए। 12 वर्ष पहले कवास निवासी उकाराम और होली आटा साटा के अंतर्गत वैवाहिक बंधन में बंधे थे। चार वर्षों तक दोनों के बीच सब कुछ ठीक रहा। इस बीच होली दो बेटों की मॉं बन गई। तभी आटा-साटा के चलते दोनों परिवारों में कहासुनी हो गई। होली मायके आ गई। मामला कोर्ट में चला गया।

कोर्ट ने दोनों परिवारों को समझाया। लम्बी समझाइश के बाद परिणाम सकारात्मक आया। परिवारों में सुलह हुई तो पति-पत्नी भी साथ रहने को राजी हो गए। दोनों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और साथ-साथ घर गए।

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