भारत के सांस्कृतिक उत्थान की अग्रदूत हैं लोकमाता अहिल्याबाई- डॉ. कृष्णगोपाल
भारत के सांस्कृतिक उत्थान की अग्रदूत हैं लोकमाता अहिल्याबाई- डॉ. कृष्णगोपाल
पुष्कर। हजार वर्षों तक विदेशी बर्बर आक्रमणों के कारण रौंदे जाते रहे भारत की आस्था व संस्कृति के प्रतीकों का इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ढूंढ-ढूंढ कर जीर्णोद्धार व पुनर्निर्माण करवाया। जहां जैसी आवश्यकता रही, उस अनुसार तीर्थ स्थलों और सांस्कृतिक केंद्रों का योजनाबद्ध विकास अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा किया गया। इसलिए वास्तविक अर्थों में माता अहिल्याबाई होल्कर भारत के सांस्कृतिक उत्थान की अग्रदूत रही हैं। ये विचार शुक्रवार को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के जन्म की त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पुष्कर में आयोजित धर्म सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल ने व्यक्त किये।
इस अवसर पर उपस्थित विशाल जन समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने हृदय में प्राणी मात्र के प्रति अगाध संवेदना रखकर अपनी न्यायप्रियता और लोक कल्याणकारी शासन की पद्धति के कारण उन्हें जनता ने लोकमाता के रूप में स्वीकार किया। अपने जीवन में अनगिनत कष्टों को झेलते हुए भी वे अपने कर्तव्य मार्ग से कभी विचलित नहीं हुईं और राज्य के समस्त कार्यों को शिव की आज्ञा मानकर, धर्म की मर्यादा में शासन का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मानपुरा पीठ के परम पूज्य जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज तथा मुख्य अतिथि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के वंशज उदयराजे होल्कर रहे। साथ ही समाजसेवी शीतल शेखावत की विशिष्ट उपस्थिति रही।
अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी समारोह समिति के संरक्षक रामनिवास वशिष्ठ तथा अध्यक्ष दशरथ सिंह तंवर ने सभी अतिथियों का स्मृति चिन्ह व श्रीफल भेंट कर स्वागत किया।