लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति लोकमाता के संदेश को पहुंचाएगी जन-जन तक
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति लोकमाता के संदेश को पहुंचाएगी जन-जन तक
इंदौर। 300वें जन्म जयंती वर्ष में सारा देश पुण्यश्लोका लोकमाता देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व एवं कृतत्व से परिचित हो, इस उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर ‘लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति’ का गठन किया गया है।
पद्मविभूषण सोनल मानसिंह तथा पद्मभूषण सुमित्रा महाजन ने समिति के संरक्षक के रूप में अपनी सहमति प्रदान की है। समिति की अध्यक्ष प्रख्यात शिक्षाविद् चंद्रकला पाड़ीया तथा कार्याध्यक्ष होलकर राजवंश के उदयसिंह राजे होलकर के मार्गदर्शन में वर्षभर लोकमाता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। समिति में देशभर के प्रख्यात कलाकार, शिक्षाविद्, साहित्यकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सम्मिलित हुए हैं।
समिति द्वारा निर्धारित कार्यक्रम
समिति द्वारा वर्ष भर में अनेक कार्यशालाएँ, सेमिनार तथा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में लोकमाता के साहित्य का प्रकाशन किया जाएगा। लोकमाता के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व के साथ तीर्थ स्थलों के चित्रों सहित एक कॉफ़ी टेबल बुक का भी प्रकाशन होगा। ललित कलाओं जैसे संगीत, नाटक, चित्रकला आदि के माध्यम से देवी अहिल्याबाई के जीवन को जन जन तक पहुंचाया जाएगा।
ये आयोजन देश के प्रमुख महानगरों एवं विश्वविद्यालयों में संपन्न होंगे। देवी अहिल्याबाई ने देश भर के 100 से अधिक तीर्थस्थानों पर धर्मशालाएं, बावड़ी, अन्न क्षेत्र आदि के निर्माण करवाए थे, उन स्थानों पर भी विशेष आयोजन होंगे।
पुण्यश्लोक लोकमाता देवी अहिल्याबाई के जीवन वृत्त के असंख्य पहलु हैं। त्रिशताब्दी समारोह समिति जिन बिंदुओं पर अधिक फोकस करेगी, वे इस प्रकार हैं –
कुशल प्रशासक – देवी अहिल्याबाई समाज के तथाकथित वंचित वर्ग से आती थीं। साथ ही दुर्भाग्य से उन्हें वैधव्य प्राप्त हुआ था। ऐसी कठिन परिस्थिति के उपरान्त भी उन्होंने 30 वर्ष तक कुशलता से साम्राज्य का संचालन किया। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित हिंदवी स्वराज्य व उनकी कल्पनाओं के अनुरूप लोक कल्याणकारी राज्य व्यवस्था को साकार रूप दिया।
अखिल भारतीय दृष्टि – विदेशी आक्रमणकारियों और मुगल साम्राज्य के कारण ध्वस्त हो चुके, भारत के तीर्थ स्थलों के पुनर्निर्माण करने के पीछे उनका उद्देश्य मात्र पुण्य लाभ प्राप्त करना ही नहीं, अपितु भारत की अस्मिता को पुनर्स्थापित करना था। वे मानती थी कि भारत की एकात्मता में तीर्थ यात्राओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है, किंतु तीर्थ स्थलों पर सुविधाओं व सुरक्षा के अभाव के कारण देशभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या निरंतर घट रही थी। तीर्थ स्थल भी उजाड़ तथा वीरान हो चुके थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने देश के 100 से अधिक तीर्थ स्थलों पर धर्मशालाओं, अन्न क्षेत्रों तथा जल संरचनाओं का निर्माण करवाया। गुलामी के कारण दुर्दशा को प्राप्त काशी विश्वनाथ तथा सोमनाथ मंदिर का भी पुनरुद्धार करवाया। देवी अहिल्याबाई द्वारा करवाए गए इन निर्माणों को भारत के मानचित्र पर देखने पर हम उनकी अखिल भारतीय दृष्टि से परिचित होते हैं। यह तीर्थ स्थान दक्षिण में रामेश्वरम से लेकर उत्तर में केदारनाथ तक तथा पश्चिम में सोमनाथ से लेकर पूर्व में जगन्नाथपुरी तक देखने को मिलते हैं।
इतनी बड़ी संख्या में इतने अधिक स्थानों पर और इतने बड़े क्षेत्र में करवाए निर्माण कार्य का यह विश्व में एकमात्र उदाहरण है। इसमें विशेष बात यह है कि देवी अहिल्याबाई ने इन सारे कार्यों के लिए शासकीय धन का उपयोग नहीं किया। यह सारे कार्य उन्होंने अपने निजी धन से ही करवाए। होलकर वंश की यह कुल परंपरा है कि परिवार की महिला को उसके पति की आय का एक चतुर्थांश मिलता है। जिसे स्त्रीधन या खासगी धन कहा जाता है। देवी अहिल्याबाई ने इस धन से ही यह सारे निर्माण कार्य संपन्न करवाए।
महिला सशक्तिकरण – महिला सशक्तिकरण के आवश्यक तत्वों में स्त्री शिक्षा तथा स्वावलंबन हेतु उन्होंने अनेक सफल प्रयास किये। इस्लामी शासकों के कारण हिन्दू समाज में आए दोष जैसे सतीप्रथा, दहेज, स्त्री को बाहर न निकलने देना आदि से भी मुक्ति दिलाने के लिए उन्होंने प्रयास आरंभ कर दिए थे। महेश्वर का साड़ी उद्योग उनकी दूर दृष्टि व कुशल प्रबंधन का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने युद्धों में हताहत सैनिकों की स्त्रियों के स्वावलंबन के लिए कौशल विकास, उत्पादन एवं उनके विपणन तथा ब्रांडिंग का उत्तम प्रबंध किया। महेश्वर का साड़ी उद्योग आज जगत विख्यात है।
उद्घाटन समारोह
त्रिशताब्दी समारोह का औपचारिक शुभारंभ 31 मई, 2024 को सायं 5:30 बजे अभय प्रशाल इंदौर में होने वाला है। नगर पालिका निगम इंदौर भव्य समारोह का सह आयोजक है। भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री ज्ञानानंद जी तीर्थ, श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर किरणदासबापू महाराज तथा श्री श्री १००८ महामंडलेश्वर कृष्णवदन जी महाराज के पावन सान्निध्य में यह आयोजन होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी, राष्ट्र सेविका समिति की प्रमुख संचालिका शांता अक्का जी, सहित समारोह समिति के समस्त सदस्य आयोजन में उपस्थित रहेंगे।
पद्मश्री निवेदिता भिड़े (विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) कार्यक्रम में मुख्य वक्ता होंगी। इंदौर के ही ख्यातनाम कलाकार गौतम काले एवं उनके सहयोगियों द्वारा देवी अहिल्याबाई पर केंद्रित संगीतमय प्रस्तुति भी होगी। इंदौर के 10 हजार से अधिक समाज जाति प्रमुखों, कार्यकर्ताओं, प्रबुद्धजनों को कार्यक्रम का आमंत्रण दिया जा रहा है।
लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति
संरक्षक – पद्म विभूषण सोनल मानसिंग जी, प्रसिद्ध नृत्यांगना
पद्म भूषण सुमित्रा ताई महाजन, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष
अध्यक्ष प्रो. चंद्रकला पाडीया – अवकाशप्राप्त कुलपति, काशी
कार्याध्यक्ष श्री. उदय सिंह राजे होळकर – समाजसेवी, इंदौर
सचिव रघुजी राजे आंग्रे – समाजसेवी, रायगड, महाराष्ट्र
सचिव कॅ. डॉ. मीरा दवे – अवकाश प्राप्त सेना अधिकारी, सुरत
सचिव डॉ. माला ठाकूर – समाजसेवी, इंदौर
कोषाध्यक्ष श्री. मनोज फडणीस – सुप्रसिद्ध CA, इंदौर
पद्म विभूषण पद्मा सुब्रह्मण्यम – सुप्रसिद्ध भरतनाट्यम् गुरू, चैन्नई
पद्मश्री मालिनी अवस्थी – प्रसिद्ध लोकगायिका, लखनऊ
पद्मश्री डॉ. विकास महात्मे – डायरेक्टर AIIMS, नागपुर
पद्मश्री कल्पना सरोज – प्रसिद्ध उद्योजक, मुंबई
पद्मश्री कालुराम बामनिया –कबीर भजन गायक, टोंक
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ – भानपुरा पीठ
महंत गुरुविंदर सिंह – जालंधर
दत्त माउली अण्णा महाराज – इंदौर
रानी लक्ष्मी कुमारन सेतुपती, रामनाथपुरं, तमिळनाडू
गायत्री राजे पवार, विधायक भाजपा, समाजसेवी, देवास, मध्य प्रदेश
के. रत्न प्रभा – अवकाश प्राप्त मुख्य सचिव, हैदराबाद
प्रो. शशी प्रभा कुमार – अध्यक्ष, इन्स्टिट्यूट ऑफ अडवान्स स्टडीज, शिमला
प्रो. प्रतिमा गोयल – कुलपति, डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
डॉ. माधुरी कानिटकर – कुलपति, आरोग्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नासिक, महाराष्ट्र
प्रो. उज्वला चक्रदेव – कुलपति, SNDT, विश्वविद्यालय, मुंबई
प्रो. नीरजा गुप्ता – कुलपति, गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद
प्रो. सुरेखा धांगवाल- कुलपति दून विश्वविद्यालय, देहरादून
प्रो. गीता भट – डायरेक्टर, NCWEB, नई दिल्ली
डॉ. कृष्ण गोपाल – सह सरकार्यवाह रा. स्व. संघ, दिल्ली
प्रो.किरण अरोरा – पूर्व कुलपति बहारा विश्वविद्यालय, हिमाचल
प्रो. कुसुमलता केडिया – सुप्रसिद्ध साहित्यकार, काशी
डॉ. पंकज मित्तल – शिक्षाविद, दिल्ली
सिनु जोसेफ – इतिहास तज्ञ, बंगलूरू
जुला शर्मा – इतिहास तज्ञ, गुवाहटी, असम
श्री हंसराज हंस – पंजाबी लोकगायक, जालंधर
श्री सुखमिंदर बरार – प्रसिद्ध लोकगायिका, चंडीगढ़
श्रीमती मंजू बोरा – आसमी फिल्म निर्देशक, गुवाहटी, असम
श्रीमती अद्वैता काला – लेखिका, निर्देशिका, दिल्ली
डॉ. चमनलाल बंगा – शिक्षाविद, हिमाचल
श्रीमती प्रीती पटेल – शस्त्र उद्योजक, राजकोट
श्री देविदास पोटे – लोकमाता अहिल्याबाई चरित्रकार, मुंबई
श्रीमती आशा राम शिंदे – समाजसेविका, चौंडी, महाराष्ट्र
प्रो. सखाराम मुजालदे – शिक्षाविद, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
डॉ. चंदन गुप्ता –निदेशक, EMRC, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
श्री नरेश वैद – समाजसेवी, फतेगड साहिब, पंजाब
प्रो. विरूपाक्ष व्ही जड्डीपाल- सचिव, महर्षि सांदीपनी राष्ट्रिय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन
पं. विजय शंकर मेहता – प्रेरक वक्ता, उज्जैन
प्रो. विजय कुमार सी जी – कुलगुरू, महर्षि पाणिनि विश्वविद्यालय, उज्जैन
श्री आनंद बांगर- प्रसिद्ध उद्योगपति, उज्जैन