भगवान श्रीकृष्ण का संघर्ष हमारी प्रेरणा- निम्बाराम
भगवान श्रीकृष्ण का संघर्ष हमारी प्रेरणा- निम्बाराम
जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के ऋषि गालव भाग द्वारा जयपुर प्रांत घोष दिवस के अवसर पर नाद गोविंदम् कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर तोपखाना संघ स्थान से लेकर अल्बर्ट हॉल तक घोष पथ संचलन निकाला गया, जिसमें घोष वाद्य यंत्रों की धुनों के साथ स्वयंसेवक कदम से कदम मिलाते हुए पहुंचे।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम ने अपने सम्बोधन में संघ का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि संघ का मूल कार्य प्रचार और प्रदर्शन नहीं, बल्कि व्यक्ति निर्माण है। उन्होंने 2017 में आयोजित कार्यक्रम स्वर गोविन्दम का स्मरण कराते हुए कहा शारीरिक, समता और घोष के कार्यक्रम के लिए बहुत अभ्यास करना पड़ता है, बिना अभ्यास के निपुणता और गुणवत्ता नहीं आती। संघ में प्रागण्य से लेकर रणागण्य तक सब प्रकार का संगीत, उसकी भिन्न-भिन्न प्रकार की रचनाएं, अलग अलग वाद्य यंत्रों को लेकर निर्मित की गई हैं, जिनकी प्रतिष्ठा आज सम्पूर्ण समाज और देश में है। उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष में समाज को साथ लेकर चलने का आग्रह करते समय भगवान श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों को उद्धृत करते हुए कहा कि जन्म से देवलोक गमन तक भगवान श्रीकृष्ण ने अनेक संघर्ष किए, उनका संघर्ष हमें जीवन जीने व हार न मानने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा, समाज के सामान्य व्यक्ति को भी यह समझना होगा कि आज के समय में भगवान श्रीकृष्ण के कौन से स्वरूप व भाव की आवश्यकता है, हमें वह अपनाना है।
उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए संघ के पंच प्रण के संकल्प को दोहराया और स्पष्ट किया कि संघ अकेले सब कुछ नहीं कर सकता। उन्होंने अन्य संस्थाओं द्वारा देश के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की और शताब्दी वर्ष में गुणवत्तापूर्ण कार्य व समाज को साथ लेकर चलने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कार्यक्रम में राजस्थान संगीत संस्थान के डॉ. विजयेन्द्र गौतम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। घोष स्वयंसेवकों ने स्थिर वादन के अंतर्गत 22 प्रकार की रचनाओं की प्रस्तुति दी।