ड्रग फैक्ट्रियों का नया गढ़ बनता राजस्थान, छात्र के पास मिली एलएसडी
ड्रग फैक्ट्रियों का नया गढ़ बनता राजस्थान, छात्र के पास मिली एलएसडी
जयपुर, 30 जून। राजस्थान की राजधानी जयपुर में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने दो दिन पहले जयपुर के एक विद्यार्थी के पास से एलएसडी (लिसेर्जिक एसिड डाइ-इथाइल-एमाइड) नामक खतरनाक विदेशी ड्रग बरामद की है। पिछले पांच वर्षों में पहली बार ब्यूरो ने यहां एलएसडी बरामद की। इस संबंध में पुलिस ने दो विदेशी तस्करों दक्षिण अफ्रीका के माइकल और नाइजीरिया के इमैनुएल को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि ये दोनों बिजनेस वीजा पर भारत आए हैं और देश में मादक पदार्थों की तस्करी का जाल बिछा रहे थे। इनके पास एक डायरी भी मिली, जिसमें नशा करने वालों के नाम और पते लिखे हैं।
जयपुर ईस्ट डीसीपी कावेंद्र सिंह सागर ने बताया कि ऑपरेशन क्लीन स्वीप के अंतर्गत DST ईस्ट और प्रताप नगर थाना पुलिस ने श्रीराम विहार स्थित अकीरा लाइब्रेरी के पास से ड्रग्स की डिलीवरी करने जा रहे दो विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस टीम को देख एक बार तो दोनों आरोपियों ने मौके से भागने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने घेराव कर उन्हें पकड़ लिया। जब पुलिस ने उनके बैग की तलाशी ली तो दोनों के पास से 116 ग्राम कोकीन बरामद हुई।
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि ये तस्कर पिछले 8 महीने से जयपुर में किराए से रहकर कोकीन की सप्लाई कर रहे थे। पुलिस ने लगभग 60 लाख रुपए कीमत की कोकीन जब्त की है। इसके अलावा तस्करों के पास से 45 हजार रुपए, 11 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप और तस्करी में प्रयुक्त एक बाइक भी बरामद हुई है। अब दोनों तस्करों के विरुद्ध एनडीपीएस एक्ट, विदेशी अधिनियम 1946 और आईपीसी की अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर पुलिस ड्रग्स की तस्करी के इंटरनेशनल कनेक्शन को खंगालने में जुटी है।
एलएसडी जैसी खतरनाक ड्रग विद्यार्थियों के पास मिलना चिंताजनक
दरअसल एलएसडी यानी लिसेर्जिक एसिड डाइ-इथाइल-एमाइड स्टाम्प टिकट की तरह दिखने वाला ऐसा मादक पदार्थ है, जिसके सेवन से मतिभ्रम होता है। एनसीबी के जोनल निदेशक घनश्याम सोनी ने बताया इससे पहले वे मई माह में डाक से भेजी गई एलएसडी ड्रग की खेप को होल्ड करवा चुके हैं। उन्होंने राजस्थान में मादक पदार्थों के बढ़ते सेवन पर चिंता जताई।
राजस्थान के क्षेत्र, जो बने नशा सप्लाई के हब
राजस्थान में कोटा और चित्तौड़गढ़ यानी हाड़ौती बेल्ट में तो अफीम और गांजे की खेती ही होती है। जालोर, जोधपुर और सिरोही के कई गांवों में एमडी ड्रग बनाने की फैक्ट्रियां खुल गई हैं। पिछले तीन माह में इन फैक्ट्रियों में तैयार 250 करोड़ रुपए की एमडी ड्रग पकड़ी जा चुकी है। गंगानगर, हनुमानगढ़, बाड़मेर व जैसलमेर क्षेत्र पाकिस्तान से आने वाली ड्रग्स की सप्लाई का केंद्र है। सवाई माधोपुर जिले में मध्यप्रदेश से नशीले पदार्थों की तस्करी के मामले सामने आ चुके हैं। जिले के पालीघाट के पास मध्यप्रदेश की सीमा लगती है। यहीं से नशीले पदार्थों की आपूर्ति राजस्थान में होती है।
ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे ड्रग
एनसीबी के अनुसार पुलिस, इंटैलीजेंस और एनसीबी की कार्रवाई से बचने के लिए मादक पदार्थ का सेवन करने वाले लोगों ने इसकी बिक्री व खरीद का तरीका भी बदल दिया है। ऑनलाइन शॉपिंग एप अमेजॉन सहित अन्य कॉमर्शियल साइट्स पर एमडी यानी मारिजुआना ड्रग ऑर्डर की जा रही है। ड्रग तस्करी में महिलाएं व बच्चे भी शामिल हैं। ड्रग सप्लायर आर्थिक रूप से कमजोर, तलाकशुदा, विधवा महिलाओं को अपने नेटवर्क में शामिल कर रहे हैं। सोनी ने बताया कई किशोरियां भी इस आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा बन कर ड्रग पैडलर बन चुकी हैं।
झाड़ू और मेहंदी कोन में छिपाते हैं ड्रग
ड्रग सप्लायरों ने झाड़ू, मेहंदी कोन, वाइपर, टॉफी में भी एमडी छिपा कर बेचना शुरू कर दिया है। सोनी ने बताया कि गुप्तचर विभाग की सूचना पर जांच की गई तो वाइपर के पाइप के अंदर और मेहंदी के कोन में ड्रग का पाउच रख कर बेचा जा रहा था। बाजार में मिलने वाली फूल झाड़ू के पीछे लगे पाइप व काले रंग के कवर में भी ड्रग्स की आपूर्ति के मामले सामने आए हैं।
ढाबों पर टिफिन में भरकर हो रही नशे की तस्करी
अफीम और डोडा पोस्त का गढ़ बन चुके जोधपुर से पंजाब और हरियाणा तक नशे की खुराक ले जाई जा रही है। आश्चर्यनजक बात यह कि पंजाब व हरियाणा की महिलाएं और बुजुर्ग पुरुष प्रतिदिन टिफिन या खाने की सामग्री के बीच छुपाकर मादक पदार्थ की तस्करी कर रहे हैं। ये महिलाएं और बुजुर्ग पुरुष हर दिन या एक दिन छोड़कर जोधपुर आते हैं। टिफिन में आधा-एक किलो डोडा पोस्त या अफीम की कुछ मात्रा ले जाते हैं। इनमें नशे की गोलियां भी पीसकर मिलाई जाती हैं। इन्हें बेचकर यह लोग दुबारा लेने आ जाते हैं। महिला या बुजुर्ग होने से कोई इन पर संदेह भी नहीं करता।