मैं मदरसा नहीं जाऊंगा, वहॉं लड़के करते हैं गंदा काम
मैं मदरसा नहीं जाऊंगा, वहॉं लड़के करते हैं गंदा काम
मैं मदरसा नहीं जाऊंगा, वहॉं लड़के करते हैं गंदा काम, परिवारजनों ने अपने बच्चे के मुंह से यह सुना तो सन्न रह गए। मामला चूरू के एक मदरसे का है। जून 2024 में 11 वर्ष का एक बच्चा हंसता खेलता नागौर से चूरू आया। उसके नाना ने यहॉं के एक मदरसे में अच्छी तालीम के लिए उसका प्रवेश करवाया। लेकिन पिछले कुछ समय से वह बीमार रहने लगा। सितम्बर में घर आया तो नाना ने डॉक्टर को दिखाया, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। बच्चे के नाना का कहना है कि हमेशा खिलखिलाने वाला बच्चा जैसे हंसना ही भूल गया था। हर समय गुमसुम देखकर परिवारजनों ने बार बार उदासी का कारण पूछा, तो उसने कहा, अब मैं मदरसा नहीं जाऊंगा, मदरसे के दो लड़के मेरे साथ गंदा काम करते हैं। बच्चे ने बताया कि किसी प्रकार साहस करके उसने इस बारे में मदरसे की देखरेख करने वाले शाहरुख कायमखानी को बताया। लेकिन उसने कोई एक्शन नहीं लिया। इस खुलासे के बाद परिवार सदमे में आ गया और नाना ने पुलिस में मामला दर्ज कराया।
इससे पहले गोरखपुर के एक मदरसे में पढ़ने वाली छात्रा के साथ मदरसे के मौलवी रहमत अली द्वारा रेप की घटना सामने आई थी। किशोरी जैसे तैसे मौलवी के चंगुल से छूट कर रोती हुई घर पहुंची और मॉं को सारी बात बतायी।
ऐसे ही अगस्त में एक मामला सामने आया, जिसमें पता चला कि शामली के एक मदरसे में मदरसा टीचर चाँद मोहम्मद, दीनी तालीम के बहाने बच्चों को अपने कमरे में बुलाता था और बच्चों से अपने प्राइवेट पार्ट पर मालिश करवाता था। एक दिन उसने मदरसे में पढ़ रहे नाबालिग अनाथ छात्र से कुकर्म किया, अनाथ बच्चा कुछ बोल नहीं सका, तो अक्सर ही उसे अपनी हवस का शिकार बनाने लगा। शामली जिले के गाँव गुराना स्थित इस मदरसे का नाम जामिया अरबिया तालीमुल कुरआन है। मदरसे में बाहरी और गाँव के अनेक छात्र दीनी और मज़हबी तालीम लेने आते हैं। मदरसे का संचालक इस्रायल है। बाद में पता चला कि चांद मोहम्मद और भी कई बच्चों से कुकर्म कर चुका है। इस खुलासे पर ग्रामीण आक्रोशित हो गए, तो मदरसा संचालक ने चांद मोहम्मद को भगा दिया और मामले को दबा दिया गया।
ये तीन उदाहरण तो एक बानगी हैं, मदरसों में आए दिन सामने आने वाली अराजक घटनाओं के। कई बार तो नृशंसता की भी सीमा नहीं रहती। फतेहपुर के एक मदरसे में तो पोर्न देखने के आदी मौलवी ने मदरसे में पढ़ने वाले 9 वर्षीय बच्चे के साथ पहले कुकर्म किया और फिर उसे मार डाला। उसकी लाश को बोरे में भरकर कुएं में फेंक दिया, जिसमें उसके साथी मौलवी ने भी साथ दिया।
दीनी और मजहबी तालीम देने वाले मौलवियों द्वारा ऐसे कृत्य किए जाने पर इस्लाम छोड़ चुके एक सज्जन इसका कारण मजहबी शिक्षा ही बताते हैं।
पिछले दिनों राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मदरसों पर आयी रिपोर्ट गार्जियन ऑफ फेथ आर ओप्रेसस ऑफ राइट्स कांस्टीट्यूशनल राइट्स ऑफ चिल्ड्रेन वर्सेस मदरसा काफी चर्चा में रही। 69 पेज की यह रिपोर्ट देश में मदरसों की आरंभ से लेकर वर्तमान तक की स्थिति और मुस्लिम समाज को स्वाधीनता के पहले से शिक्षा के मामले में पीछे रखने के गहरे षड्यंत्र को उजागर करती है। जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई मदरसों में अशरफ अली थानवी की पुस्तक पढ़ाई जा रही है, जिसमें लिखा है कि बच्चों के साथ सेक्स करने के दौरान क्या सावधानी बरतनी चाहिए। दारुल उलूम देवबंद ने फतवा दिया हुआ है कि मदरसों में बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए एक समय में तीन थप्पड़ मारना जायज है। इस स्थिति पर एनसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो साफ कहते हैं, मदरसा व्यवस्था के नाम पर मुस्लिम बच्चों के साथ छल हो रहा है। मदरसा बोर्ड से संबद्ध मदरसों में एनसीईआरटी की पुस्तकें नहीं पढ़ाई जातीं, मदरसों में स्कूलों वाला कोई वातावरण नहीं है। उन्होंने मदरसा बोर्ड पर भी कई प्रश्नचिन्ह लगाए। उनका कहना है, अधिकतर मदरसे वक्फ बोर्ड से संबद्ध हैं। वक्फ बोर्ड जिसका अकादमिक गतिविधियों से कोई वास्ता नहीं है, वह शैक्षणिक प्रमाण पात्रता कैसे बांट सकता है? फिर केवल आठ राज्यों में मदरसा बोर्ड है। ऐसे में जिन राज्यों में मदरसा बोर्ड नहीं है, वहां मदरसे कैसे संचालित हो रहे हैं? यानि बड़ी संख्या में मदरसे बिना पंजीकरण के चल रहे हैं। स्थिति वास्तव में चिंतनीय है, सरकारों को तो इन मुद्दों को गम्भीरता से लेना ही चाहिए, दूसरी ओर मुस्लिम समाज को भी मनन करना चाहिए कि उनके समाज में ऐसा क्या है कि वे आज भी कबीलाई संस्कृति से बाहर नहीं आ पा रहे और कुछ राजनीतिक पार्टियों के वोट बैंक तथा नेताओं के हाथों की कठपुतली बने हुए हैं।