अमिट स्मृतियां छोड़ गया महाकुंभ 2025

अमिट स्मृतियां छोड़ गया महाकुंभ 2025

मृत्युंजय दीक्षित

अमिट स्मृतियां छोड़ गया महाकुंभ 2025अमिट स्मृतियां छोड़ गया महाकुंभ 2025

महाकुंभ संपन्न हो चुका है। यह एक ऐसा अद्भुत धार्मिक, सामाजिक, दार्शनिक, सांस्कृतिक आयोजन बना, जिससे न केवल संपूर्ण वैश्विक जगत सनातन संस्कृति से परिचित हुआ अपितु उसकी दिव्यता से आश्चर्यचकित भी रह गया। महाकुंभ -2025 राष्ट्र व वैश्विक जगत को कई संदेश देकर विदा हुआ। इस महाआयोजन में न तो कोई गरीब था न ही अमीर। पूरा कुम्भ ऊंच- नीच, जाति-पांति के भेदभाव से मुक्त था। पुरुष – महिला, युवक-युवतियों तथा छोटे -छोटे बच्चों तक के मन में केवल एक ही उत्सुकता, रोमांच व भाव था कि किसी न किसी प्रकार मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर स्नान करना है। महाकुंभ -2025 में 66 करोड़ से अधिक सनातनियों ने बिना किसी भेदभाव के स्नान किया। विहंगम दृष्टि से अनुमान लगाया जा सकता है कि हर हिंदू सनातन के परिवार से कम से कम एक व्यक्ति ने तो संगम में पवित्र डुबकी लगाई ही है। डुबकी लगाने वाले वहां से पवित्र गंगाजल लेकर गये हैं और उसे उन आस्थावान लोगों तक पहुंचाया है, जो किसी कारण से संगम स्थल तक पहुंच नहीं सके। यह महाकुंभ सनातन के वैभव और सनातनी आस्था के लिए स्मरण किया जायेगा। यह महाकुंभ 66 करोड़ से अधिक स्नानार्थियों के आगमन के साथ ही अन्य अनेक कीर्तिमानों के लिये भी स्मरण किया जाएगा। यह महाकुंभ उन समर्पित सनातनियों के लिए भी स्मरण किया जाएगा, जिन्होंने दिन रात बिना थके, बिना रुके संगम की रेती पर आने वाले अनजान श्रद्धालुओं की निःस्वार्थ भाव से सेवा की। 

महाकुंभ-2025 के संपन्न होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भावुक कर देने वाली पोस्ट में लिखा कि इस महाकुंभ में युग परिवर्तन की आहट दिख रही है। महाकुंभ- 2025 में सनातन धर्म को कन्वर्जन की चोट से बचाने के लिए विचार विमर्श हुआ। काशी- मथुरा के लिए आंदोलन और हिंदू बेटियों को लव जिहादियों के चंगुल से बचाने का संकल्प लिया गया, साथ ही भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने और गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलवाने जैसे संकल्प भी पारित किये गये। महाकुंभ -2025 में जलवायु परिवर्तन और उससे उपजे संकट पर भी व्यापक चर्चा की गई। सभी प्रमुख साधु संतों, अखाड़ों व उनके महामंडलेश्वरों ने एक ही संकल्प गुंजायमान किया कि भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाकर विश्वगुरु बनाना है। महाकुंभ ने “एक भारत श्रेष्ठ भारत“ की संकल्पना को साकार करने का संदेश दिया। महाकुंभ ने सनातन की शक्ति का जो परिचय दिया, उससे भारत का गौरव पूरे विश्व में छा गया। दूसरी ओर सनातन विरोधी वे शक्तियां, जो सनातन के उन्मूलन का सपना देखती हैं, बुरी तरह से हिल गईं। महाकुंभ 2025 को विफल करने के लिए इन सनातन विरोधी शक्तियों की ओर से कई प्रकार के षड्यंत्र किये गए, अफवाहें फैलाई गयीं कि लोग वहां न जायें। किंतु कोई भी षड्यंत्र सफल नहीं हुआ। महाकुंभ ने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बाँध दिया। महाकुंभ -2025 में भारत का विश्वरूप दर्शन दिखा। महाकुंभ में आम सनातनी व सनातन को जानने का इच्छुक हर जिज्ञासु प्रचार से नहीं विचार से प्रयागराज पहुंचा। 

महाकुंभ -2025 स्वच्छता व श्रद्धा का संगम बना। महाकुंभ में स्वच्छता के लिए 1.5 लाख से अधिक शौचालय बनाये गये। 15 हजार सफाई कर्मचारी तैनात रहे। 1,500 गंगा सेवादूतों को जागरूकता के लिए कुंभ में नियुक्त किया गया। महाकुंभ में 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को त्वरित उपचार का लाभ मिला। चिकित्सा सेवाओं को विश्वस्तरीय बनाने के लिए कनाडा, जर्मनी, रूस के विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ एम्स दिल्ली और आइएमएस बीएचयू के चिकित्सक युद्ध स्तर पर जुटे रहे। इस बार डिजिटल खोया पाया विभाग ने 20 हजार से अधिक बिछड़े लोगों को मिलाया।

महाकुंभ में नेत्र महाकुंभ भी लगाया गया, जिसमें 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के नेत्रों की जांच की गई और 1.5 लाख से अधिक लोगों को चश्मे वितरित किए गए। जिन मरीजों को मोतियाबिंद के ऑपरेशन की महती आवश्यकता थी, उन सभी का प्रयागराज और चित्रकूट में निःशुल्क ऑपरेशन करवाकर उन्हें घर भेजा गया। भारत में समृद्ध खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी खेलों के खेल महाकुंभ का आयोजन भी चर्चा का विषय रहा। 

महाकुंभ 2025 के लिए कई पल अविस्मरणीय हैं। महाकुंभ 2025 में यूपी की योगी कैबिनेट के सभी 54 मंत्रियों ने एक साथ मां गंगा में पवित्र डुबकी लगकार कीर्तिमान रचा और कई ऐतिहासिक निर्णय लिये। देश के आध्यात्मिक नेतृत्व के साथ साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, उद्योगपति, खेल जगत के पुरोधा, अन्य देशों में बैठे सनातनी, कोई भी महाकुम्भ के आकर्षण को नकार नहीं सका।

महाकुंभ में श्रद्धालुओं को सकुशल यात्रा कराने के लिए रेलवे व परिवहन सेवाओं की व्यवस्था के लिए भी स्मरण किया जाएगा। महाकुंभ के लिए 16 हजार से अधिक ट्रेनें चलीं, जिनमें 4.38 करोड़ यात्रियों का आवागमन हुआ। 3.25 करोड़ यात्रियों का आवागमन रोडवेज बसों से हुआ। 5.59 लाख यात्रियों का आवागमन विमान से हुआ। कुल मिलाकर 7.68 करोड़ यात्रियों ने ट्रेन, विमान व बसों से यात्रा की। इसके अतिरिक्त अन्य यात्री पैदल, निजी व किराये के विभिन्न साधनों से प्रयागराज पहुंचे। महाकुंभ से लाखों लोगों को रोजगार मिला। किसी ने दातुन बेचकर 45 दिनों में लाखों रुपये कमा लिये, तो किसी ने चाय की दुकान खोल ली। मां गंगा के घाटों पर नाविकों ने भी खूब धन कमाया। महाकुंभ -2025 से यूपी की आर्थिकी बहुत मजबूत हुई है, जिसका असर आगामी समय में दिखाई पड़ेगा। 

महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश में आध्यात्मिक पर्यटन के पांच मार्ग प्रशस्त किये हैं, जिनमें एक है प्रयागराज से मां विन्ध्यवासिनी धाम होते हुए काशी का सर्किट, जिस तरह प्रयागराज में अभूतभूर्व भीड़ रही, उसी प्रकार मां विन्ध्यवासिनी धाम में भी प्रतिदिन पांच से सात लाख की भीड़ रही। काशी में भी एक दिन में 10 से 15 लाख तक श्रद्धालु पहुंचे। कई बार भीड़ के दबाव के कारण मां गंगा आरती को रोकना पड़ा। प्रयागराज महाकुंभ के कारण एक और सर्किट बना अयोध्याधाम और गोरखपुर का। अयोध्याधाम में भी सात से 12 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचे।तीसरा सर्किट बना प्रयागराज से श्रृंगवेरपुर होते हुए लखनऊ और नैमिषारण्य का। प्रयागराज से राजापुर और चित्रकूट का भी एक सर्किट बना तो पांचवां सर्किट बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे होते हुए मथुरा, वृंदावन और शुकतीर्थ का रहा, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक व श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। 

महाकुंभ -2025 की सफलता से प्रसन्न मुख्यमंत्री का यह कहना कि सनातन की ध्वजा अब झुकेगी नहीं, एकदम सटीक टिप्पणी है। 

महाकुंभ- 2025 के सफल आयोजन से पूरे विश्व में सनातन का मान बढ़ा है, भारत की प्रबंधकला, क्षमता और कुशलता के प्रति विश्वास बढ़ा है। पूरे विश्व ने माना कि जो कोई नहीं कर पाया वह भारत के प्रयागराज ने कर दिखाया। इस अभूतपूर्व आयोजन की गूंज भारत के जन सामान्य को बरसों बरस सुनाई देती रहेगी।

समापन समारोह के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेले की सफलता का आधार बने सफाई कर्मियों, स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस कर्मियों के साथ समय बिताया। उनके लिए घोषणाएं कीं और उनके साथ भोजन किया तथा स्वयं स्वच्छता अभियान में भाग लेकर उनका मनोबल बढ़ाया।

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