महाकुम्भ : विहिप के मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के साथ ही अनेक मुद्दों पर हुआ मंथन
महाकुम्भ : विहिप के मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के साथ ही अनेक मुद्दों पर हुआ मंथन
महाकुम्भ नगर, प्रयागराज। शुक्रवार को विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें देश के प्रमुख संत उपस्थित रहे। केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल विश्व हिन्दू परिषद की वैधानिक इकाई है। मार्गदर्शक मण्डल के मार्गदर्शन में विश्व हिन्दू परिषद आरम्भ से ही कार्य करता आया है। बैठक के उपरान्त आयोजित पत्रकार वार्ता में मंच पर उपस्थित पूज्य संत जगतगुरु आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरि जी, तथा अध्यक्षता कर रहे आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानन्द जी, विहिप के केन्द्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, केन्द्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा ने बताया कि मार्गदर्शक मण्डल के पूज्य संतों ने विश्व के हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आवश्यकताएँ, चुनौतियाँ और संकटों के संदर्भ में विचार करते हुए हिन्दू समाज का मार्गदर्शन किया है।
जिसमें निम्नलिखित विषय-बिन्दुओं पर सन्तों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ –
* देश भर में हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करवाने का जनजागरण अभियान प्रारम्भ हुआ है। आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से अभियान का शंखनाद हो चुका है। संतों ने आग्रह किया है कि सभी मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किये जाएं, सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले कानून हटाए जाएं और मन्दिरों का प्रबंधन आस्था रखने वाले भक्तों को सौंपा जाए।
* हिन्दू समाज के घटते जन्म दर के कारण हिन्दू जनसंख्या में हो रहा असन्तुलन है। हिन्दू समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दायित्व के रूप में हर हिन्दू परिवार में कम से कम तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए। मार्गदर्शक मण्डल के पूज्य संतों ने आह्वान किया कि हिन्दू समाज की जनसंख्या को संतुलित बनाये रखने के लिए हिन्दू समाज की जन्म दर को बढ़ाने की आवश्यकता है।
* वक्फ बोर्ड के निरंकुश व असीमित अधिकारों को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र सरकार कानून सुधार अधिनियम लाने वाली है, उसका केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल स्वागत करती है और यह आह्वान करती है कि यह कानून पारित होना चाहिए तथा सभी दलों के सांसदों को इसमें सहयोग करना चाहिए।
* 1984 के धर्म संसद से लेकर अयोध्या, मथुरा, काशी तीनों मन्दिरों की प्राप्ति के लिए पूज्य संत समाज, हिन्दू समाज, विश्व हिन्दू परिषद संकल्पबद्ध था, है और भविष्य में भी रहेगा।
* भारत के उत्थान के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण की रक्षा, कुटुम्ब प्रबोधन से हिन्दू संस्कारों का सिंचन तथा सामाजिक कुप्रथाओं का निर्मूलन, स्व का आत्मबोध तथा नागरिक कर्तव्य पालन, ये समाज में राष्ट्रीय चारित्र्य के विकास के लिए आवश्यक है।
बैठक में प्रमुख रूप से जगतगुरु शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरि, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानन्द, महामंडलेश्वर विश्वात्मानन्द भारती, महामंडलेश्वर बालकानन्द, स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी राजेंद्र देवाचार्य, स्वामी कौशल्यानन्द गिरि, स्वामी अश्विलेश्वरानन्द, स्वामी हरिहरानन्द, श्री महंत निर्मोही अखाड़ा राजेंद्रदास, पूज्य महंत रविन्द्र पुरी जी महानिर्वाणी, पूज्य महामंडलेश्वर चूड़ामणि जी (भोपाल), पूज्य महामंडलेश्वर जितेंद्रानंद जी (महामंत्री, संत समिति), पूज्य परमात्मानंद जी (महामंत्री, आचार्य सभा), नामधारी से पूज्य उदय सिंह जी महाराज, पूज्य बालयोगी उमेश्नाथ जी महाराज, महामंडलेश्वर पूज्य आत्मानंद जी नेपाल, पूज्य संग्राम सिंह जी (आन्ध्र प्रदेश), पूज्य केवलानंद जी सरस्वती (आन्ध्र प्रदेश), पूज्य भास्कर गिरि जी (देवगढ़), पूज्य बाबू सिंह जी (बंजारा समाज) आदि का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।