महर्षि दयानंद सरस्वती प्रत्येक युग की आवश्यकता हैं- हनुमान सिंह

महर्षि दयानंद सरस्वती प्रत्येक युग की आवश्यकता हैं- हनुमान सिंह

महर्षि दयानंद सरस्वती प्रत्येक युग की आवश्यकता हैं- हनुमान सिंहमहर्षि दयानंद सरस्वती प्रत्येक युग की आवश्यकता हैं- हनुमान सिंह

अजमेर, 13 नवम्बर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ एवं शैक्षिक फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय, अजमेर में शिक्षाविद् तथा चिन्तक हनुमान सिंह राठौड़ द्वारा लिखित पुस्तक “स्वामी दयानंद सरस्वती” का विमोचन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में महेंद्र कपूर (संगठन मंत्री, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे, अध्यक्षता एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रदेश महामंत्री एबीआरएसएम प्रो. सुशील कुमार बिस्सु एवं प्रदेश उपाध्यक्ष व महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल रहे।

सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) मनोज कुमार बहरवाल ने अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि‌ संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज की महती भूमिका से परिचित कराया। मुख्य वक्ता एवं पुस्तक के लेखक हनुमान सिंह राठौड़ ने स्वामी दयानन्द सरस्वती के जीवन की विहंगम प्रस्तुति के संबंध में कहा कि यह पुस्तक महर्षि दयानंद के अतुल्य जीवन और उनके उद्देश्यपूर्ण प्रयासों की साक्षी है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने वेदों की ओर लौटो का न केवल उद्घोष दिया, अपितु उसके लिए राष्ट्र को तैयार भी किया। महर्षि दयानन्द पाखण्ड खंडन के लिए पाखण्ड खंडिनी पताका लेकर आगे बढ़े और सम्पूर्ण समाज एक आन्दोलन के रूप में उनसे जुड़ गया। महर्षि दयानन्द ने कहा कि मैं मूर्ति भंजन करने नहीं आया, अपितु लोगों के मन से मूर्ति पूजा के दोषों को दूर करने आया हूँ। शास्त्रार्थ परम्परा के पुनरुज्जीवन, आर्ष शिक्षा के विस्तार, गायों की रक्षा के लिए गौशाला, अनाथों के लिए अनाथालय, समान अधिकारों वाले सशक्त समाज की नींव रखी। महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज परोपकारिणी सभा और आर्ष गुरुकुलों के माध्यम से भारत की आर्ष विचारों का दिग्दर्शन कराया।

पुस्तक के लेखक हनुमान सिंह ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती प्रत्येक युग की आवश्यकता हैं। उनके 200वें जन्म जयंती वर्ष पर हमें वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उनके चिन्तन को अपने जीवन का अंग बना कर राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनने की आवश्यकता है। यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का दर्शन करने में उपयोगी सिद्ध होगी। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के अन्तर्गत शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा अनवरत शिक्षा, शिक्षक और समाज से जुड़े विविध विषयों पर सारगर्भित पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है, इसी क्रम में यह 31वीं पुस्तक है। स्वामी दयानंद सरस्वती पर लिखित इस पुस्तक में लेखक ने स्वामी दयानंद की वर्तमान युग में प्रासंगिकता को पुरजोर तरीके से प्रस्तुत किया है। अतः यह पुस्तक वर्तमान समाज को स्वामी दयानंद से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रदेश महामंत्री एबीआरएसएम प्रो. सुशील कुमार बिस्सु ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार विकसित भारत के निर्माण में समाज के सभी वर्गों का मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं। आज की पीढ़ी इन विचारों को आत्मसात् कर आगे बढ़े, इस दिशा में यह पुस्तक एक पथप्रदर्शक की भूमिका निभाने वाली होगी। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अनिल दाधीच ने किया।

पुस्तक विमोचन

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