जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना रक्षाबंधन का संदेश 

जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना रक्षाबंधन का संदेश 

जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना रक्षाबंधन का संदेश जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना रक्षाबंधन का संदेश

कोटा, 23 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समन्वय रक्षाबंधन उत्सव बुधवार को जवाहर नगर स्थित एलन सत्यार्थ भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक मुरलीधर ने मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति विश्व को नित्य निरंतर नवीन चेतना देने वाली रही है। संघ की शाखा में योग्य नागरिकों का निर्माण हो रहा है। इस बार की विजयादशमी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। अब हमें समाजव्यापी काम खड़ा करने की आवश्यकता है। हमारा काम केवल संघ की शाखा तक सीमित नहीं रहे। हमें जन-जन तक संघ को पहुंचाना होगा। समाज परिवर्तन की दिशा में हमें आगे बढ़ना होगा। हमारे स्वत्व का नाश करने के लिए विश्व भर में अनेक षड्यंत्र किए गए। इस कारण से भारत की 83 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि घटकर आज 33 लाख वर्ग किलोमीटर बची है।

उन्होंने कहा कि जन-जन में स्व की रक्षा का भाव जगाना ही रक्षाबंधन का संदेश है। रक्षाबंधन पर स्वभाषा, स्व परंपरा, स्वभूषा, स्व खान-पान और स्व ज्ञान की रक्षा के साथ समाज रक्षा और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प हमें करना होगा। हम ज्ञान, विज्ञान, तकनीक में सर्वश्रेष्ठ रहे हैं। प्रकृति की रक्षा का संस्कार केवल सनातन में है। हम दुनिया को अपनी ज्ञान और परंपरा से श्रेष्ठ बनाने के लिए निकले थे। हमने तलवार के दम पर किसी देश पर अतिक्रमण नहीं किया। आज इसी ज्ञान और परंपरा का आधार लेकर भारत का विश्व गुरु होना विश्व की नियति बन चुका है। भारत विश्व की आशा का केंद्र है और भारत में जन-जन की आशा का केंद्र राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। संघ साधना सारा देश चाहता है। सनातन विचार ही विश्व में मानवता को बचा सकता है। इसके लिए कृणवंतो विश्वमार्यम के मंत्र का घोष करते हुए दुनिया को फिर से श्रेष्ठ बनाने के लिए निकलना होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. कैलाश सोढानी (वर्धमान खुला विश्वविद्यालय के कुलपति) ने कहा कि भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन वह पर्व है, जो एक धागे में भी असीम शक्ति को दर्शाता है। भारत के विरुद्ध आज विश्वव्यापी षड्यंत्र चल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 वर्ष में हिंदुओं को जागृत करने का काम किया है। विश्व का दुर्भाग्य है कि भारत की सीमा घटती गई। आज भारतीय संस्कृति, भारतीय शिक्षा और सोच को आगे बढ़ाने और शिक्षा में राष्ट्र वंदना का पाठ जोड़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विदेशी को श्रेष्ठ मानने का भाव हमें मन से निकालना होगा। आज कोटा की कचोरी भी दुनिया के किसी अच्छे पिज़्ज़ा से श्रेष्ठ है। हमारा आयुर्वेद एलोपैथी से कहीं बेहतर है। हमारे अंदर स्वदेशी का यह भाव होना चाहिए। 

कार्यक्रम में भावगीत “राष्ट्र रक्षा हित मनाएं आओ हम सब रक्षाबंधन…” की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम के पश्चात सभी ने परस्पर रक्षा सूत्र बांधे।

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