राजस्थान का मेवात क्षेत्र बच्चियों के साथ यौन हिंसा में सबसे आगे

राजस्थान का मेवात क्षेत्र बच्चियों के साथ यौन हिंसा में सबसे आगे

राजस्थान का मेवात क्षेत्र बच्चियों के साथ यौन हिंसा में सबसे आगेराजस्थान का मेवात क्षेत्र बच्चियों के साथ यौन हिंसा में सबसे आगे

जयपुर। राजस्थान महिलाओं के सम्मान और बलिदान के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में महिलाओं के साथ रेप के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। महिला अत्याचार का सबसे गंभीर पहलू यह है कि नाबालिग बच्चियों के प्रति यौन हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हो़ रही है। प्रदेश में प्रतिदिन पांच से छह बच्चियां यौन शोषण का शिकार हो रही हैं। सरकार की ओर से अनेक प्रयास करने और कठोर से कठोर कानून लाने के बावजूद प्रदेश में बालिकाएं कहीं सुरक्षित नहीं हैं। घर की चौखट से लेकर खेल के मैदान तक, स्कूल से लेकर गार्डन तक, गली से लेकर गांव और चौराहे, हर जगह छोटी बच्चियों के प्रति यौन हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। नाबालिग बालिकाओं के साथ शर्मसार कर देने वाली घटनाओं ने सभी को झकझोर दिया है। परिजनों को भी अब बच्चियों की चिंता सताने लगी है। माता-पिता को बच्चों को अकेले भेजने में डर लगने लगा है।

प्रति वर्ष बढ़ रहे पॉक्सो एक्ट के मामले

बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों पर पॉक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत मामला दर्ज होता है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है। एक्ट के अंतर्गत अलग अलग धाराओं में दोषी पाए जाने पर पांच वर्ष की सजा से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने और अर्थदंड लगाए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद हर वर्ष राजस्थान में पॉक्सो एक्ट के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

सरकार ने जारी किए आंकड़े, अलवर जिला टॉप पर

राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष जनवरी से जून तक महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में अलवर जिला सबसे ऊपर है। अलवर जिले में छह माह में 881 मामले दर्ज हुए हैं। दूसरे नंबर पर भरतपुर जिला है, जहां 763 मामले दर्ज हुए हैं। तीसरे नंबर पर उदयपुर जिला है, जहां 648 केस रजिस्टर हुए हैं। चौथा स्थान दौसा जिले का है, जहां 550, पांचवें नंबर पर पाली जहां 549 मामले अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए हैं। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के जिला उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम में कुल 1637 मामले दर्ज हुए हैं।

अलवर और भरतपुर में ही क्यों होते हैं सर्वाधिक मामले?

यौन हिंसा के अधिकांश मामलों में अलवर और भरतपुर का नाम ही सबसे ऊपर आता है। इसके पीछे आखिर क्या कारण है? अलवर जिले की बात करें तो यह जिला दौसा और भरतपुर के साथ हरियाणा और दिल्ली से जुड़ा है। जिले के जिन स्थानों पर मेवाती मुसलमानों की संख्या अधिक है, वहां बलात्कार, छेड़छाड़ और ठगी की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं। भरतपुर जिले में भी इसी प्रकार के हालात हैं। पहाड़ी और सीकरी नगर मुस्लिम बाहुल्य वाले क्षेत्र हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भरतपुर जिले में इस वर्ष जुलाई के अंत तक 113 नाबालिग बालिकाओं के साथ यौन हिंसा हुई है। यहां हर दूसरे दिन नाबालिग के साथ रेप होता है। 

लोगों की विकृत मानसिकता से गिरी राजस्थान की साख 

प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के साथ बढ़ती यौन हिंसा की घटनाएं राजस्थान को तो शर्मसार कर ही रही हैं, साथ ही समाज की गिरती मानसिकता को भी उजागर कर रही हैं। राजस्थान में प्रतिदिन लगभग आधा दर्जन घटनाएं नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ की हो रही हैं। बीते कुछ वर्षों की बात करें तो थानागाजी का मामला सबको याद होगा। इसके अलावा करौली, भीलवाड़ा, जोधपुर, जयपुर सहित प्रदेश की गांव-ढाणी से लेकर बड़े शहरों तक में महिलाओं और बच्चियों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। वहीं जोधपुर में पिछले 15 दिनों में तीसरी बार नाबालिग के साथ हैवानियत हुई है। 20 अगस्त को प्रताप नगर थाना क्षेत्र की डिफेन्स कॉलोनी के पार्क में खेल रही साढ़े तीन वर्ष की मासूम का रेप हुआ है। फिलहाल आरोपी पुलिस हिरासत में है। इस घटना के बाद शहर के लोगों में डर और गुस्सा है। क्षेत्रवासी अपने बच्चों को घर के बाहर भेजने से डर रहे हैं। सलूंबर जिले में रक्षाबंधन के दिन एक नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। बकरी चराने गई नाबालिग को कुछ लोग अगवा कर ले गए। इसके बाद बच्ची के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया गया। 

अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को लेनी होगी जिम्मेदारी

बढ़ते यौन हिंसा के मामलों को लेकर सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है। कई सामाजिक संगठन भी लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं। इन सबके बावजूद सबसे बड़ी जिम्मेदारी बच्चों के माता-पिता को निभानी पड़ेगी। माता-पिता हर जगह बच्चों के साथ नहीं जा सकते, इसलिए उन्हें बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना पड़ेगा। देखा गया है कि अधिकांश मामलों में परिचित ही आरोपी निकलता है। अभिभावकों के अलावा स्कूलों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। स्कूल संचालक को ऑटो और बस ड्राइवर से लेकर चपरासी, गार्ड और शिक्षकों पर पूरी नजर रखनी होगी। कई मामलों में शिक्षक ही भक्षक निकला है। अगर हम कुछ सावधानियां बरतें तो इस तरह के मामलों से बच सकते हैं।

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